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हिंद-प्रशांत में सहयोग का मोदी का सुझाव जापान को मंजूर, 5जी और आइटी के क्षेत्र में खुलेगी दोस्ती की नई राह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल इंडो-पैसिफिक ओसियन इनीसिएटिव (आइपीओआइ) बनाने का प्रस्ताव दिया था। इसमें जापान ने बतौर लीड पार्टनर शामिल होने को मंजूरी दे दी है। भारत और जापान ने 5जी नेटवर्क में सहयोग का फैसला भी किया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 09:53 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 01:40 AM (IST)
हिंद-प्रशांत में सहयोग का मोदी का सुझाव जापान को मंजूर, 5जी और आइटी के क्षेत्र में खुलेगी दोस्ती की नई राह
भारत और जापान ने 5जी नेटवर्क में सहयोग की नई राह खोलने का फैसला किया है।

नई दिल्ली, जेएनएन। चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र अभी वैश्विक कूटनीति के केंद्र में है। ऐसे में इस क्षेत्र में सभी देशों के लिए एक समान अवसर बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव को अब व्यापक स्वीकृति मिलने लगी है। मोदी ने पिछले वर्ष इंडो-पैसिफिक ओसियन इनीसिएटिव (आइपीओआइ) बनाने का प्रस्ताव दिया था। जिसमें जापान ने बतौर लीड पार्टनर शामिल होने की स्वीकृति दे दी।

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5जी नेटवर्क में सहयोग करेगा जापान

बुधवार को टोक्यो में भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर और जापान के विदेश मंत्री टी मोटेगी की अगुवाई में दोनों देशों के बीच हुई 13वीं रणनीतिक वार्ता में जापान ने यह स्वीकृति दी। इस बैठक में भारत और जापान ने 5जी नेटवर्क में सहयोग की नई राह खोलने का फैसला किया है। जल्द ही दोनों देशों के बीच इस बारे में एक व्यापक समझौता होगा जो 5जी नेटवर्क के साथ ही आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस, साइबर सिक्योरिटी के क्षेत्र में वैश्विक स्तर की बेहद सुरक्षित ढांचागत सेवा प्रदान करेगा।

जल्द भारत में आयोजित होगी प्रधानमंत्रियों की बैठक

5जी नेटवर्क एवं तकनीक से जुड़े समझौते पर प्रधानमंत्रियों की अगुवाई में होने वाली शिखर बैठक में हस्ताक्षर होंगे। बुधवार की बैठक में यह तय हुआ कि शिखर बैठक जल्द से जल्द भारत में आयोजित होगी। वैसे यह बैठक नवंबर, 2019 में गुवाहाटी में आयोजित की गई थी। बैठक के ठीक पहले सीएए विरोध की वजह से हिंसा हो गई और इसे टाल दिया गया। सितंबर, 2020 में दोनों देशों के बीच वर्चुअल बैठक की तैयारी चल रही थी कि पूर्व पीएम शिंजो एबी ने हटने का एलान कर दिया।

साझेदारी मजबूत करने पर सहमति

अब माना जा रहा है कि नवंबर, 2020 के अंत तक यह सालाना शिखर बैठक का आयोजन किया जाएगा। जयशंकर और मोटेगी के बीच हुई बातचीत में भावी शिखर बैठक का एजेंडा काफी हद तक तय कर लिया गया है। इंडो-पैसिफिक ओसियन इंसीयिटव (आइपीओआइ) में प्रमुख साझेदार के तौर पर जापान का शामिल होना एक मजबूत संकेत है। इससे यह भी पता चलता है कि भारत व जापान क्वाड के इतर भी हिंद प्रशांत सेक्टर में अपनी साझेदारी को मजबूत करने की मंशा रखते हैं।

एक साथ काम करें दोनों देश

यह संगठन इस क्षेत्र के देशों में हर तरह के ढांचागत कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का काम करेगा। बुधवार की बैठक में हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिति एक अहम मुद्दा रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इस समूचे क्षेत्र के विकास के लिए यह बहुत जरूरी है कि दोनों देश एक साथ काम करें। दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि इस क्षेत्र में कानून सम्मत व्यवस्था होनी चाहिए जिसमें सभी देशों की संप्रभुता और भौगोलिक अखंडता का आदर किया जाए।


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