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भारत और जर्मनी के बीच कौशल विकास व व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में हुए दो समझौते

Agreements between India and Germany भारत और जर्मनी ने शनिवार को कौशल विकास तथा व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के दो महत्वपूर्ण करार पर हस्ताक्षर किए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 07:39 AM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 07:39 AM (IST)
भारत और जर्मनी के बीच कौशल विकास व व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में हुए दो समझौते
भारत और जर्मनी के बीच कौशल विकास व व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में हुए दो समझौते

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत और जर्मनी ने शनिवार को कौशल विकास तथा व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग के दो महत्वपूर्ण करार पर हस्ताक्षर किए। भारत के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय और जर्मनी के आर्थिक सहयोग एवं विकास मंत्रालय ने इस आशय की संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के बीच इस गठजोड़ से मंत्री तथा विशेषज्ञ स्तर पर आपसी परामर्श, सलाह कार्य तथा नीतिगत आदान-प्रदान के लिए व्यवस्थित प्रणाली तैयार होगी और तकनीकी सहायता भी उपलब्ध होगी।

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इससे व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण को लेकर गठित भारत-जर्मन संयुक्त कार्य समूह के दायरे में आने वाले विभिन्न क्षेत्रों में सफलतापूर्वक सहयोग को और बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। आधिकारिक बयान में कहा गया कि इन अनुबंधों से प्रशिक्षुओं को उन्नत तकनीकी कौशल सीखने में मदद मिलेगी, जिससे वे अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता जैसे क्षेत्रों में रोजगार पा सकेंगे।

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा, 'जर्मनी उन देशों में से है जो विनिर्माण और निवेश के पिरामिड पर शीर्ष पर है और लगातार अत्याधुनिक उत्पाद विकसित कर रहा है। जर्मनी के पास टिकाऊ कामगार तैयार करने के कुछ सर्वश्रेष्ठ वर्किंग मॉडल हैं और यही उसकी आर्थिक प्रगति का कारण है। जर्मनी के साथ इस भागीदारी से हमें कौशल विकास मुहिम को मजबूत करने में मदद मिलेगी।'

मोदी ने एंजेला मर्केल को भेंट की खादी शॉल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत दौरे पर आई जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल को ऊनी खादी शॉल और रत्नम कलम भेंट की। पारंपरिक लद्दाखी बॉर्डर पैटर्न वाली इस शॉल को 'कॉल ऑफ लद्दाख' कहा जाता है। वहीं रत्नम कलम का नाम राजामुंदरी के सुनार केवी रत्नम के नाम पर रखा गया है। इसे महात्मा गांधी ने पहचान दिलाई थी। 1934 में रत्नम ने उनके लिए पूरी तरह स्वदेशी कलम बनाई थी। गांधीजी ने अपने कई पत्र उसी कलम से लिखे थे। इस कलम में ड्रॉपर से स्याही डाली जाती है और जर्मनी में तैयार इरीडियम की निब का इस्तेमाल किया जाता है।


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