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समझौते की राह पर भारत व चीन, मोदी-चिनफिंग द्विपक्षीय रिश्ते का एजेंडा तय करेंगे

डोकलाम विवाद के बाद दोनो देशों के रिश्तों में धीरे धीरे तनाव कम होता दिख रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 22 Apr 2018 09:10 PM (IST)Updated: Sun, 22 Apr 2018 11:32 PM (IST)
समझौते की राह पर भारत व चीन, मोदी-चिनफिंग द्विपक्षीय रिश्ते का एजेंडा तय करेंगे
समझौते की राह पर भारत व चीन, मोदी-चिनफिंग द्विपक्षीय रिश्ते का एजेंडा तय करेंगे

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । भारत और चीन के रिश्तों में पिछले कुछ समय से बढ़ रहे तनाव को दूर करने के लिए दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के स्तर पर एक नई शुरुआत होने जा रही है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी हफ्ते 27 व 28 अप्रैल को चीन जाएंगे जहां वह राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ एक अनौपचारिक बैठक करेंगे। मोदी और चिनफिंग के बीच होने वाली इस बैठक के खास मायने बताए जा रहे हैं। बताते हैं कि दोनों नेता अगले डेढ़ दशक के लिए द्विपक्षीय रिश्तों का एजेंडा तय करेंगे।

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इसकी अहमियत इससे भी समझी जा सकती है कि मोदी जून में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शीर्षस्तरीय बैठक में हिस्सा लेने के लिए भी चीन जाने वाले हैं। लेकिन उसके पहले दोनों देशों ने केंद्रीय चीन के वुहान शहर में एक अलग बैठक करने का फैसला किया है। इस बैठक की तैयारियों के लिए रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की। सुषमा एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए बीजिंग में हैं। उन्होंने वहीं मोदी की आगामी यात्रा की घोषणा की। सुषमा और चीनी विदेश मंत्री के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनी है जो रिश्तों में तनाव के खत्म होने के संकेत हैं।

ऐतिहासिक होगी मोदी-चिनफिंग वार्ता

डोकलाम के बाद यह पहला मौका होगा जब भारत-चीन के बीच शीर्षस्तरीय द्विपक्षीय वार्ता होगी। दोनों नेताओं के बीच डोकलाम विवाद के दौरान और बाद में मुलाकात हुई है, लेकिन बड़े एजेंडे वाली बैठक पहली बार हो रही है। कई जानकार इसकी तुलना राजीव गांधी की 1988 की बीजिंग यात्रा से कर रहे हैं जब दोनों देशों ने 1962 की लड़ाई के साये से निकलने की शुरुआत की थी। माना जा रहा है कि दोनों नेता अगले डेढ़ दशक का द्विपक्षीय रिश्तों का एजेंडा भी तय करेंगे। मोदी की यात्रा से यह भी साबित होगा कि विदेश नीति पर राजग सरकार किसी देश के दबाव में नहीं है। तभी वह अमेरिका के साथ ही चीन के साथ संबंधों को भी खासी तवज्जो दे रही है। मुलाकात में हर वह मुद्दा उठेगा जो द्विपक्षीय रिश्तों को ठेस पहुंचा रहा है।

मसलन, एनएसजी में भारत का प्रवेश, पाकिस्तानी कब्जे वाले हिस्से में चीन का सड़क निर्माण आदि। सुषमा के मुताबिक, 'दोनों नेताओं के बीच बैठक बहुत महत्वपूर्ण होगी जिसमें द्विपक्षीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों के अलावा लंबी अवधि में आपसी रिश्तों का भविष्य अहम होगा। कोशिश है कि दोनों नेताओं के बीच आपसी संवाद और मजबूत हो। दोनों नेता मानते हैं कि दुनिया में हो रहे बदलावों के मद्देनजर भारत-चीन का यह साझा दायित्व है कि दुनिया में शांति, सुरक्षा व संपन्नता कायम रहे।'

नदी जलस्तर की जानकारी देने के लिए दिया धन्यवाद

रविवार को सुषमा स्वराज ने चीन सरकार को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि वह ब्रह्मपुत्र व सतलुज नदी में जलस्तर संबंधी डाटा अब फिर से भारत को देने लगी है।

फिर खुलेगा नाथु-ला मार्ग

उन्होंने इस बार पर प्रसन्नता जताई कि इस वर्ष से नाथु-ला के रास्ते फिर से श्रद्धालु कैलास यात्रा पर जा सकेंगे। उन्होंने यह भी कहा, 'भारत व चीन के बीच स्वस्थ रिश्ते से यह तय होगा कि मौजूदा सदी को एशियाई सदी के तौर पर जाना जाएगा। हमारे बीच मतभेद से ज्यादा समानताएं हैं। हम आपसी मतभेदों का सर्व स्वीकार्य समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।'

सीमा पर शांति-स्थायित्व जरूरी

इसके साथ ही सुषमा ने चीनी पक्ष को यह याद दिलाने में कोई कोताही नहीं कि हर क्षेत्र में द्विपक्षीय रिश्तों में प्रगति के लिए यह भी जरूरी है भारत-चीन सीमा पर शांति व स्थायित्व बना रहे।

मोदी के फोन की अहम भूमिका

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा, इस वर्ष चीन के नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के समापन की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति शी चिनफिंग के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बहुत ही महत्वपूर्ण फोन आया था। इस फोन ने वार्ता प्रक्रिया को गति देने में सकारात्मक भूमिका निभाई है। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने आपसी संबंधों को आगे बढ़ाने पर आम सहमति जताई थी।


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