लाइलाज पाकिस्तान: मुंहतोड़ जवाब से ही सुधर पाएगा पाक
चार जंगों में मुंह की खा चुका पाकिस्तान अतीत के अनुभवों से सबक सीखता नहीं दिख रहा। शांति व अहिंसा प्रेमी देश भारत को अपनी नापाक हरकतों से उकसाने में लगा है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। चार जंगों में मुंह की खा चुका पाकिस्तान अतीत के अनुभवों से सबक सीखता नहीं दिख रहा। शांति व अहिंसा प्रेमी देश भारत को अपनी नापाक हरकतों से उकसाने में लगा है। शायद वह भारत के सब्र का इम्तिहान लेना चाह रहा है। तभी तो नापाक करतूतों से लगातार भारत को घाव दे रहा है। ऐसा भी नहीं है कि हम चुप बैठे हैं। हर हमले का मुंहतोड़ जवाब उसे मिल रहा है, लेकिन अमन के लिए दोनों देशों के बीच रिश्तों को पटरी पर लाने की भारत की कोशिश आखिर कब तक जारी रहेगी
जम्मू के सुंजवां ब्रिगेड और कर्ण नगर सैन्य कैंप पर हुए हालिया आतंकी हमले तो एक बानगी हैं। दरअसल भारत विरोध पाकिस्तान की नीति रही है और वहां आसन्न चुनावों के चलते यह नीति हुक्मरानों को मुफीद दिख रही है। लेकिन भारत को हाथ पर हाथ धरे रखकर नहीं बैठना होगा। पड़ोसी देश को करारा जवाब देना ही होगा। ऐसे में लाइलाज बन चुके पाकिस्तान को सबक सिखाने की जरूरत आज सबसे बड़ा मुद्दा है।
एक बार फिर पाकिस्तान भारत की नाक में दम करने पर उतारू हो गया है। पिछले दस दिनों में भारत के 14 सुरक्षाकर्मी शहीद हो चुके हैं। कश्मीर में महबूबा मुफ्ती आए दिन एलान कर रही हैं कि भारत को पाकिस्तान से बात करनी ही होगी। मतलब साफ है आत्मसमर्पण के अलावा भारत के पास कोई दूसरा चारा नहीं है। समूचे देश में आक्रोश की लहर फैल रही है। आखिर कब तक हमें इस पाकिस्तान और उसके पिछलगुओं को सिर पर चढ़ा कर रखना होगा?
हम पुराने सैनिकों ने तब चैन की सांस ली, जब रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपनी लंबी चुप्पी तोड़ी और बयान दिया कि पाकिस्तान को इस दुस्साहस की कीमत चुकानी पड़ेगी। हर देश का अपना आत्मसम्मान होता है। काफी दिनों के बाद केंद्र सरकार से एक साफ आवाज आई है-बस बहुत हो चुका। अब हमारी बरदाश्त की सीमा खत्म हो चुकी है। हमारे सामूहिक धैर्य की सीमा रेखा पूर्णरूप से पार हो चुकी है।
तो क्या है इलाज पाकिस्तान का? जाहिर है हमने अब तक जो कुछ भी किया है पाकिस्तान को समझाने के लिए काफी नहीं है। सर्जिकल स्ट्राइक एक अच्छी शुरुआत थी। हम भूतपूर्व सैनिकों का अंदाज था कि यह नया सामान्य (न्यू नॉर्मल) होगा। अब हर पाकिस्तानी आतंकी हमले का यही जवाब होगा। हर हमले का एलओसी के पार जैसे को तैसा प्रतिउत्तर होगा। परंतु पहली सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पूर्ण विराम लग गया। कुछ देर चुप रहने के बाद पाकिस्तान ने फिर आतंकवादी हमलों की झड़ी लगा दी।
जाहिर है हमने अब तक जो कुछ भी किया है वह पाकिस्तान को रोकने के लिए काफी नहीं है। अगर हम वाकई पाकिस्तान को रोकना चाहते हैं तो हमें दर्जे हरारत बढ़ानी होगी। यह इस कदर बढ़ानी होगी जब तक पाकिस्तान उफ न करे और उस पर इस दर्जे की चोट की जाए जो उसे अपना नफा नुकसान गिनने पर बाध्य कर दे।
हमारे पास सैनिक विकल्प क्या है? इन्हें एक एस्केलेशन लैडर यानी चढ़ती सीढ़ी के रूप में देखना होगा। जिसमें एक के बाद एक कई कदम और पड़ाव हैं। पहला कदम लाइन ऑफ कंट्रोल पर एकतरफा ट्रैफिक समाप्त करना होगा। हर आतंकवादी हमले के जवाब में दो या तीन सर्जिकल स्ट्राइक, छापे या स्थानीय फायर असॉल्ट होने चाहिए।
दूसरा कदम तोपखाने का युद्ध है। 2003 में भारतीय सेना ने अपनी मध्यम और भारी तोपों से भारी पलटवार किया था। हमारी बोफोर्स तोपों और मल्टी बैरल रॉकेट लांचर ने सीमा पार भारी नुकसान किया था। खासकर नीलम घाटी में। तीन महीने की करारी हार के बाद पाकिस्तान की उफ हो गई थी। पाकिस्तानी सेना ने सीजफायर मांगा और अपनी गोलीबारी बंद कर दी। सीजफायर की बातचीत हुई और यह सीजफायर 13 वर्ष (2016) तक कायम रहा।
तीसरा कदम है वायुसेना या नौसेना का इस्तेमाल। हमारे सुखोई लड़ाकू विमान दुश्मन के आतंकी ठिकानों और मददगार ठिकानों (पाक सेना की चौकियां, यातायात व मुख्यालय) पर जबरदस्त हमले करें। हमारी नौसेना कराची समेत अन्य क्षेत्रों में आतंकी ठिकानों पर वार करे। इस दर्जे में जरूरत पड़ने पर हम ब्रह्मोस और अन्य क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
चौथा कदम है वायु और थल शस्त्रों के प्रहार। हम एलओसी के पार सीमित जमीनी हमले कर सकते हैं। हमारी वायु शक्ति जबरदस्त प्रहार करके थल सेना के लिए रास्ते खोलेगी।
पांचवें कदम के तहत अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार पहले सीमित और फिर पूर्ण क्षमता के साथ हमले हो सकते हैं। यानी हम पाकिस्तान को उस दूरी तक ले जाएंगे जहां तक वह जाना चाहता है। अगर पूर्ण युद्ध छिड़ जाता है तो छिड़ जाए। लेकिन पाकिस्तान को समझाना होगा कि अब हर दुस्साहस के लिए उसे भारी कीमत चुकानी होगी। हमने शांति का हर प्रयास करके देख लिया है। लातों के भूत बातों से नहीं मानते।
आतंकवाद की पनाहगाह
पाकिस्तान अपनी जमीन पर कई आतंकी संगठनों को आसरा दिए हुए है। इन्हीं की बदौलत भारत को वह लगातार जख्म देता रहता है। अमेरिका ने भी भारत और अफगानिस्तान में आतंक फैलाने वाले 20 आतंकी संगठनों की सूची पाकिस्तान को सौंपी है। संयुक्त राष्ट्र में भारत द्वारा पाकिस्तान को टेररिस्तान भी कहा जा चुका है।
जैश-ए-मोहम्मद और मसूद अजहर
आतंकी मौलाना मसूद अजहर ने 31 जनवरी, 2000 को जैश ए-मोहम्मद (जेईएम) का गठन किया। इसका मुख्यालय पाकिस्तान के बहावलपुर में है। जेईएम का मकसद कश्मीर को भारत से अलग कर पाकिस्तान में शामिल करवाना है। 1999 में भारतीय विमान की हाईजैकिंग, 2001 में संसद हमले और 2016 में पठानकोट हमले में मसूद का हाथ था। 2016 और 2017 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा मसूद को आतंकी घोषित किए जाने संबंधी फैसले पर चीन अड़ंगा लगा चुका है।
तालिबान
1994 में अस्तित्व में आया। इसमें करीब 60 हजार आतंकी हैं। अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज ने खदेड़ा तो पाकिस्तान ने शरण दी। अफगानिस्तान के कांधार और पाकिस्तान के क्वेटा व पेशावर में इसके मुख्यालय हैं। पाकिस्तान में इसके आतंकी तैयार होते हैं। हिबतुल्लाह अखुंदजदा मुखिया है।
अल-कायदा और जवाहिरी
1988 में आतंकी ओसामा बिन लादेन की सरपरस्ती में सक्रिय हुआ। 92 हजार से अधिक आतंकी हैं। पाकिस्तान में इसके ट्रेनिंग कैंप हैं। 2001 में अमेरिका में आतंकी हमले के दोषी ओसामा को 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिका ने मार गिराया। अयमान अल जवाहिरी इसका मौजूदा मुखिया है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान
2007 में आतंकी बैतुल्लाह महसूद के नेतृत्व में स्थापना हुई। 13 आतंकी संगठन शामिल हुए। इसमें 25 हजार आतंकी हैं। इसे पाकिस्तानी तालिबान भी कहते हैं। मौलाना फैजलुल्लाह मौजूदा नेता है।
हक्कानी नेटवर्क
1980 से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सक्रिय है। 15 हजार आतंकी हैं। पाक सेना और आइएसआइ पर इसकी मदद करने का आरोप है।
लश्कर-ए-तैयबा और हाफिज सईद
1990 में आतंकी हाफिज सईद के नेतृत्व में गठन हुआ। इसमें 50 हजार आतंकी हैं। कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना इसका मकसद है। पाकिस्तान के मुदरीके शहर में मुख्यालय है। वहां आतंकी ट्रेनिंग कैंप चलते हैं। 2001 में भारतीय संसद पर हमले और 2006 व 2008 में मुंबई बम धमाके का जिम्मेदार। उसका संगठन जमात उद दावा भी आतंकी गतिविधियों में शामिल है।
काफी दिनों के बाद केंद्र सरकार से एक साफ आवाज आई है-बस बहुत हो चुका। हमारी बरदाश्त की सीमा खत्म हो चुकी है। पाकिस्तान को समझाना होगा कि अब हर दुस्साहस के लिए उसे भारी कीमत चुकानी होगी।
जीडी बक्शी
रिटायर्ड, मेजर जनरल