ट्रेनों में बॉयो टायलेट का स्थान लेंगे हवाई जहाज की तरह वैक्यूम बॉयो टायलेट
दो सौ एसी डिब्बों में वैक्यूम-बॉयो टायलेट लगाने का काम चल रहा है। भविष्य में 3 हजार एसी डिब्बों के लिए दस हजार वैक्यूम-बॉयो टायलेट खरीदने की तैयारी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बॉयो टायलेट की समस्याओं और आलोचनाओं को देखते हुए रेलवे ने इनके स्थान पर ट्रेनो की एसी बोगियों में हवाई जहाज की तरह के वैक्यूम-बॉयो टायलेट लगाने का फैसला किया है। फिलहाल दो सौ एसी डिब्बों में वैक्यूम-बॉयो टायलेट लगाने का काम चल रहा है। जबकि निकट भविष्य में तीन हजार एसी डिब्बों के लिए दस हजार वैक्यूम-बॉयो टायलेट और खरीदने की तैयारी है।
रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कुछ माह पहले कहा था कि बायो टायलेट के प्रति शिकायतों को देखते हुए वे सभी ट्रेनो में बायो टायलेट के स्थान पर वैक्यूम-बॉयो टायलेट लगाने पर विचार कर रहे हैं।
बॉयो टायलेट को लेकर मिल रही थी शिकायत
वैक्यूम-बॉयो टायलेट बायो टायलेट और वैक्यूम टायलेट का हाइब्रिड रूप है अर्थात इसमें दोनो की खूबियां हैं। इसमें फर्श से नीचे का हिस्सा तो बॉयो टायलेट जैसा ही होता है। परंतु ऊपर कमोड वाला हिस्सा विमान की भांति वैक्यूम तकनीक पर आधारित होता है, जिससे पुश बटन दबाने पर पानी की काफी कम खपत के बावजूद कमोड पूरी तरह स्वच्छ हो जाता है।
जिस तरह विमान के टायलेट में फ्लश के बाद कमोड का मुंह बंद हो जाता है। उसी तरह वैक्यूम बायो टायलेट का मुंह भी बंद होने से इसमें अवांछित वस्तुओं का प्रवेश नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप टैंक के जाम होने की संभावना नहीं रहती और जैव-रासायनिक प्रक्रिया ठीक से संपन्न होने से बदबू की शिकायत दूर हो जाती है।
दस हजार वैक्यूम-बॉयो टायलेट की खरीदारी
रेल मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में फिलहाल 200 वैक्यूम-बायोटायलेट के उत्पादन का कार्य चल रहा है। जबकि कॉफमॉव द्वारा 2000 वैक्यूम-बॉयो टायलेट की खरीद के लिए टेंडर आमंत्रित किए जा चुके हैं।
इसके अलावा 8000 और वैक्यूम-बॉयो टायलेट खरीदने की मंजूरी दी गई है। इस तरह अगले एक वर्ष में लगभग दस हजार वैक्यूम-बॉयो टायलेट की खरीदारी होगी, जिनका उपयोग करीब तीन हजार एसी डिब्बों में किया जाएगा।
अधिकारी के अनुसार समस्त एसी ट्रेनों में बॉयो टायलेट बदलने के लिए ढाई लाख वैक्यूम-बॉयो टायलेट की आवश्यकता होगी। इस पर लगभग साढ़े छह हजार करोड़ रुपये का खर्च आने की उम्मीद है, जहां एक बॉयो टायलेट एक लाख रुपये में लग जाता है वहीं, वैक्यूम-बॉयो टायलेट पर ढाई लाख रुपये की लागत आती है।
बता दें कि जहां सामान्य मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के हर कोच में चार टायलेट होते हैं। वहीं राजधानी, शताब्दी जैसी प्रीमियम ट्रेनों में मिनी पेंट्री के कारण केवल तीन टायलेट का प्रावधान होता है।
अभी तक रेलवे ट्रेनों में बॉयो-टायलेट लगाने में जुटा था। जिसके तहत 31 मई, 2018 तक 37,411 डिब्बों में कुल 1,36,965 बॉयो-टायलेट लगाए जा चुके हैं। इस तरह बॉयो-टायलेट पर अब तक लगभग 1370 करोड़ रुपये की राशि खर्च की चुकी है।