लखीमपुर मामले में उबला इंदिरा गांधी के पोते का खून, शिवसेना ने किया वरुण गांधी का समर्थन
किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी मामले को लेकर मोर्चा खोलने वाले भाजपा सांसद वरुण गांधी को अब शिवसेना का साथ मिल गया है। शिवसेना ने सोमवार को कहा कि वरुण गांधी के समर्थन की तारीफ करते हुए सभी किसान संगठनों को एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए।
मुंबई, एजेंसी। किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी मामले को लेकर मोर्चा खोलने वाले भाजपा सांसद वरुण गांधी को अब शिवसेना का साथ मिल गया है। शिवसेना ने सोमवार को कहा कि वरुण गांधी के समर्थन की तारीफ करते हुए सभी किसान संगठनों को एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए। शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में वरुण गांधी की तारीफ करते हुए यह सवाल किया कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई 'भयावह' घटना को देखने के बाद भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पोते का खून तो खौल उठा, उन्होंने अपना विचार व्यक्त किया, लेकिन क्या अन्य सांसदों का खून ठंडा पड़ गया है।
वरुण गांधी का खून खौल उठा
सामना के लेख में लिखा है कि वरुण गांधी इंदिरा गांधी के पोते और संजय गंधी के पुत्र हैं। लखीमपुर खीरी की घटना को देखकर उनका खून खौल उठा और उन्होंने मत व्यक्त किया, लेकिन अन्य सांसदों के खून में बर्फ का ठंडा पानी बह रहा है क्या?' वरुण ने परिणाम की चिंता किए बगैर राजनीतिक साहस दिखाया और किसानों की हत्या की निंदा की और किसानों की मांगों का समर्थन किया।
नया स्वतंत्रता आंदोलन खड़ा करना होगा
इसके आगे कहा गया कि किसानों की हत्या, उनके खून का सैलाब देखकर सत्ताधारी पक्ष के लोगों का खून ठंडा ही पड़ गया होगा तो देश को बचाने के लिए नया स्वतंत्रता आंदोलन खड़ा करना होगा। शिवसेना ने कहा कि महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ सहयोगी दलों शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस द्वारा 11 अक्टूबर को बुलाया गया बंद उन लोगों के लिए है, जो खुलकर अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर सकते।
लखीमपुर मामले में हिंदू बनाम सिख की लड़ाई
सांसद वरुण गांधी ने रविवार को ट्वीट के जरिए कहा था कि लखीमपुर खीरी की घटना को 'हिंदू बनाम सिख की लड़ाई' में बदलने की कोशिश की जा सकती है। यह न सिर्फ अनैतिक है बल्कि खतरनाक भी है। हमें ओछी राजनीतिक लाभपूर्ति के लिए राष्ट्रीय एकता को खतरे में नहीं डालना चाहिए।
वरुण गांधी ने कहा था कि लखीमपुर खीरी मामला न्याय के लिए संघर्षरत गरीब किसानों की नृशंस हत्या को लेकर है। इसका किसी धर्म विशेष से कोई लेना-देना नहीं है। प्रदर्शनकारी किसानों को खालिस्तानी बताया जाना ना सिर्फ हमारी सीमाओं की सुरक्षा के लिए लड़ने और खून बहाने वाले तराई के महान सपूतों का अपमान है, बल्कि राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक भी है।
गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर को हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष समेत कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आशीष मिश्रा को गिरफ्तार कर तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। इस पर किसान नेताओं की कड़ी प्रतिक्रिया हुई थी, जबकि विपक्षी दलों ने केंद्र और यूपी सरकारों पर खूब हमला किया।