Ayodhya land dispute case: अदालत ने कहा, महज 'साधारण राय' नहीं मानी जा सकती है एएसआई की रिपोर्ट
Ayodhya land dispute case में आज 33वें दिन सुनवाई पूरी हो गई। आज एकबार फिर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने 18 अक्तूबर तक बहस पूरी कर लिए जाने की बात दोहराई।
नई दिल्ली, माला दीक्षित। Ayodhya land dispute case में आज शुक्रवार 33वें दिन की सुनवाई पूरी हो गई। आज मुस्लिम पक्ष के वकीलों की ओर से दलीलें रखी गईं। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने एकबार फिर 18 अक्तूबर तक बहस पूरी कर लिए जाने की बात दोहराई और कहा कि यह तय शेड्यूल के हिसाब से नहीं चल रही है। दरअसल, मुस्लिम पक्षकार फ़ारुख अहमद के वकील शेखर नाफड़े से पूछा कि उनको जिरह पूरी करने में कितना समय लगेगा? नाफड़े ने कहा उनको जिरह पूरी करने के लिए दो घंटे का समय और लगेगा। इस पर सीजेआई ने कहा कि पहले से तय शेड्यूल में बदलाव नहीं होगा आप समय से बहस पूरी करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की साल 2003 की रिपोर्ट को साधारण राय नहीं माना जा सकता है। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि माहिर विशेषज्ञों द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट से निष्कर्ष निकाला गया है। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी उस वक्त दी जब मुस्लिम पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने संविधान पीठ से कहा कि एएसआई की रिपोर्ट को साक्ष्य नहीं माना जा सकता है यह महज एक राय है।
बता दें कि कल भी सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने 18 अक्तूबर तक बहस पूरी कर लिए जाने की बात दोहराई थी। कल शीर्ष अदालत ने साफ कर दिया था कि हर हाल में 18 अक्टूबर तक अयोध्या राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमे की सुनवाई पूरी कर ली जाए। अदालत ने पक्षकारों से दो टूक कह दिया था कि सुनवाई उसके आगे नहीं बढ़ेगी।
कोर्ट ने कहा था कि 18 अक्टूबर तक उसके पास साढ़े नौ कार्यदिवस का समय शेष है। यानी नौ दिन पूरे और शुक्रवार का आधा दिन बचा है। ऐसे में मुस्लिम पक्ष शुक्रवार तक अपनी दलीलें पूरी कर ले, उसके बाद हिंदू पक्ष को जवाब के लिए दो दिन का समय मिलेगा। फिर राजीव धवन सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से दो दिन बहस करेंगे जिसका हिंदू पक्ष दोबारा जवाब देगा। इसके बाद अपीलकर्ताओं की मांगों में कुछ रद्दोबदल होगा तो अदालत उस पर सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट अगर 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी कर लेता है तो प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति तक फैसला लिखने के लिए उसके पास करीब चार हफ्ते का समय बचेगा। अयोध्या विवाद जैसे विस्तृत मामले में चार सप्ताह में फैसला लिखना किसी चुनौती से कम नहीं माना जा रहा है। मामले में 32 दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है और कुल 41 दिन सुनवाई होनी है। आंकड़ों के लिहास से देखें तो यह अभी तक किसी भी मुकदमे में चली सबसे लंबी सुनवाई होगी।
बता दें कि इसी मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखने के बाद फैसला देने में करीब दो महीने का समय लिया था। हाई कोर्ट ने जुलाई, 2010 में सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया था और 30 सितंबर, 2010 को फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट में जनवरी से जुलाई तक करीब सात महीने नियमित सुनवाई चली थी। हाई कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था जिसमें एक हिस्सा रामलला विराजमान को, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा मुस्लिम पक्ष को दिया गया था।