1959 में चीनी सैनिकों ने की थी अंदर तक घुसपैठ, अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेस विधायक के इस दावे की लें पूरी जानकारी
निनोंग इरिंग ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि 1959 में चीन के सेना ने भारत में काफी अंदर तक घुसपैठ कर ली थी। एएनआइ से बात करते हुए विधायक ने बताया 1959 में जब दलाई लामा तवांग आए तो पीएलए ने भारत में अंदर तक घुसपैठ की।
ईटानगर, एएनआइ। पिछले साल से गतिरोध में भारत और चीन के लिए हाल का समय ठीक चल रहा है। तमाम बैठकों के बाद चीन की मनमानी ढीली पड़ी और उसने अपने सैनिकों को वापस बुलाना शुरू कर दिया। इस बीच अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेस विधायक निनोंग इरिंग ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि 1959 में चीन के सेना ने भारत में काफी अंदर तक घुसपैठ कर ली थी। एएनआइ से बात करते हुए विधायक ने बताया- 1959 में जब दलाई लामा तवांग आए, तो पीएलए ने भारत में अंदर तक घुसपैठ की, लेकिन अमानवीय परिस्थितियों के कारण उन्हें वापस जाना पड़ा।'
विधायक आगे कहते हैं कि वे(चीनी सैनिक) अभी भी उस जगह को पकड़ रहे हैं जहां से वे वापस चले गए और फिर उनके द्वारा तवांग से अंजाव तक झोपड़ियों का निर्माण किया गया। चीन ने वहां अपने नागरिकों को बसाया, जिससे उनका उस जमीन पर दावा मजबूत हो सके। चीन की ये ही पॉलिसी है।
#WATCH | In 1959, when Dalai Lama came to Tawang, PLA made deep incursion into India but had to move back due to inhospitable conditions. They're still holding the place they moved back to &have built huts from Tawang till Anjaw: Arunachal Pradesh Congress MLA Ninong Ering(16.02) pic.twitter.com/v1lBdpPAqQ— ANI (@ANI) February 17, 2021
इसके अलावा कांग्रेस विधायक निनोंग इरिंग ने मंगलवार को केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार नॉर्थ-ईस्ट राज्यों को खास महत्व नहीं देती है। उन्होंने कहा, 'सरकार में हमारा ज्यादा प्रतिनिधित्व नहीं है। रावेश्वर तेली केवल कुछ फूड पार्क बना रहे हैं। किरन रिजिजू आयुष देख रहे हैं। मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि हमारे लोगों को महत्वपूर्ण विभाग दें।'
बता दें कि एक लंबे गतिरोध के बाद चीन ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील इलाके से अपने सैनिकों की वापसी की गति तेज कर दी है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी सैनिक अपने टैंकों, हथियारों और भारी वाहनों को वापस ले जा रहे हैं। साथ ही एलएसी पर टकराव के स्थान पर बनाए गए अपने अस्थायी निर्माण को भी चीनी सेना खुद ध्वस्त कर रही है।