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महज पांच महीने में ही सामने आ गई इमरान खान की हकीकत, आप भी जानें

पाकिस्‍तान के आकाओं की पूरी राजनीति ही जम्‍मू कश्‍मीर और भारत के इर्द-गिर्द घूमती रही है। जिस किसी ने भी कभी इससे इतर जाने की बात की उसको वहां की गद्दी से बेदखल करने में भी ज्‍यादा समय नहीं लगता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 17 Dec 2018 05:50 PM (IST)Updated: Mon, 17 Dec 2018 06:00 PM (IST)
महज पांच महीने में ही सामने आ गई इमरान खान की हकीकत, आप भी जानें
महज पांच महीने में ही सामने आ गई इमरान खान की हकीकत, आप भी जानें

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बीते पांच माह के दौरान भारत से दोस्‍ती की जितनी दलीलें दी हैं उनका सच अब सामने आ गया है। इसके पीछे की वजह तो हम आपको आगे बताएंगे पहले ये बता दें कि आखिर इमरान की क्‍या हकीकत सभी के सामने आ गई है। दरअसल इमरान खान ने जिस तरह से जम्‍मू कश्‍मीर पर अपना रुख स्‍पष्‍ट किया है वह यूं तो पहले से ही भारत के लिए जग-जाहिर था, लेकिन इमरान इसको छिपाते आ रहे थे। पाक पीएम ने अपने एक ट्वीट के जरिए जिस तरह से जम्‍मू कश्‍मीर में मौजूद आतंकियों की खुलेतौर पर तारीफ की है और उन्‍हें शहीद का दर्जा दिया है वह न तो पाकिस्‍तान के लिए न ही भारत के लिए कोई नई बात है। उनके ट्वीट से यह बात बेहद स्‍पष्‍ट हो गई है कि इमरान खान की भारत को लेकर वही रणनीति है जो उनके पूर्व के प्रधानमंत्रियों की रही है।

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यह बात वर्षों से साफ है कि पाकिस्‍तान के आकाओं की पूरी राजनीति ही जम्‍मू कश्‍मीर और भारत के इर्द-गिर्द घूमती रही है। जिस किसी ने भी कभी इससे इतर जाने की बात की उसको वहां की गद्दी से बेदखल करने में भी ज्‍यादा समय नहीं लगता है। इसका एक जीता जागता उदाहरण नवाज शरीफ को लिया जा सकता है। भारत के पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर यात्रा को भला कोई कैसे भूल सकता है। लाहौर में जिस तरह से वाजपेयी और नवाज शरीफ ने एक दूसरे को गले लगाया था वह इस बात का स्‍पष्‍ट संकेत था कि माहौल में ठंडक आ रही है। लेकिन पाकिस्‍तान की सेना को यह मंजूर नहीं था और कुछ ही समय में न सिर्फ तत्‍कालीन जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज का तख्‍ता पलट दिया बल्कि उन्‍हें पहले जेल और फिर देश से बाहर निकाल दिया था। इसी दौरान कारगिल वार को भी भारत नहीं भूला है जो भारत के लिए पीठ में घौंपा हुआ खंजर था।

 

इस बात से जानकार इंत्‍तफाक रखते हैं कि नवाज शरीफ ने वाजपेयी के समय में सेना और आतंकियों पर नकेल कसने की कोशिश की थी। खुद नवाज ने भी इस बात को कई बार दोहराया है कि वाजपेयी के समय में दोनों देश आपसी मुद्दों को हल करने के काफी करीब थे, लेकिन ऐन मौके पर मुशर्रफ ने खेल खराब कर दिया। अब जरा इमरान की तरफ रुख कर लेना चाहिए। इमरान खान ने अक्‍टूबर 2018 में देश की सत्‍ता संभाली थी। पाकिस्‍तान में हुए आम चुनाव में उन्‍हें जबरदस्‍त सफलता हासिल हुई। अपनी चुनावी सभाओं में उन्‍होंने पाकिस्‍तान को जिन्‍ना का देश बनाने की अपील की और ऐसा करने का वादा भी किया। शुरुआत में उनके तेवर देखकर कहा जा रहा था कि वह पूर्व के प्रधानमंत्रियों या फिर तानाशाहों से अलग हो सकते हैं। ऐसा इसलिए भी क्‍योंकि उन्‍होंने अलग-अलग मंचों पर भारत से आगे आकर दोस्‍ती करने की अपील की थी।

लेकिन उनकी यही अपील वहां की सेना और आतंकियों को रास नहीं आई। आपको बता दें कि पाकिस्‍तान में हमेशा से ही सरकार से ज्‍यादा ताकतवर सेना ही रही है। इतना ही नहीं पाकिस्‍तान की मौजूदा सरकार के मंत्रियों के दिलों में वहां मौजूद आतंकी संगठनों के आकाओं के लिए भी अपार श्रद्धा भरी पड़ी है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्‍योंकि सरकार के केंद्रीय मंत्री ने आतंकियों के आका हाफिज सईद के साथ में पिछले माह मंच शेयर किया था। इसको लेकर इमरान की तरफ कोई बयान नहीं आया। भारत के साथ दोस्‍ती की बढ़चढ़कर बात करने वाले इमरान खान के मुंह को आतंकी मसूद अजहर ने एक ऑडियो टेप भेजकर बंद कर दिया था। इसमें मसूद ने भारत में हमले तेज करने की धमकी दी थी। इससे एक दिन पहले ही इमरान खान की सरकार ने अपने सौ दिन पूरे किए थे और करतारपुर कॉरिडोर बनाने की भी शुरुआत की गई थी। लेकिन मसूद के टेप ने इमरान की सारी कलई खोल कर रख दी। इमरान के ताजा ट्वीट से यह बात साफ हो गई है कि पाकिस्‍तान में सेना और आतंकियों के आगे पीएम की कोई मजाल नहीं। असल में इमरान खान ने अपने ट्वीट में लिखा है कि कश्‍मीर में जनमत संग्रह करवाकर वहां के लोगों को अपने लिए वतन चुनने की आजादी दी जानी चाहिए। इसके साथ ही जम्‍मू कश्‍मीर को लेकर इमरान खान की नीति बेहद साफ हो गई है।

पहले गूगल पर इडियट सर्च करने पर ट्रंप और अब भिखारी सर्च पर सामने आ रहे इमरान खान


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