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ICICI Bank case: FIR दर्ज करने वाले सीबीआइ अधिकारी का इस वजह से हुआ तबादला

सीबीआइ सूत्रों ने अधिकारी के तबादले को लेकर कहा है कि जांच के लीक होने को लेकर संदेह होने लगा। इसके बाद इसे लेकर पूछताछ की गई और एसपी सुधांशु धर मिश्रा की भूमिका पर संदेह हुआ।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 27 Jan 2019 04:11 PM (IST)Updated: Sun, 27 Jan 2019 08:40 PM (IST)
ICICI Bank case: FIR दर्ज करने वाले सीबीआइ अधिकारी का इस वजह से हुआ तबादला
ICICI Bank case: FIR दर्ज करने वाले सीबीआइ अधिकारी का इस वजह से हुआ तबादला

नई दिल्ली, प्रेट्र/आइएएनएस। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने ICICI BANK के 3,250 करोड़ रुपये के वीडियोकान लोन मामले की जांच कर रहे अपने एक अफसर का तबादला कर दिया है। चंदा कोचर और अन्य के खिलाफ केस दर्ज करने वाले सीबीआइ अफसर पर छापेमारी की जानकारी लीक करने का आरोप है। जांच एजेंसी के सूत्रों का यह भी कहना है कि इसी अफसर सुधांशु धर मिश्रा की वजह से आइसीआइसी लोन मामला बिना किसी प्रगति के अरसे से लंबित था।

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सीबीआइ ने इस तबादले को सही ठहराने के लिए मिश्रा पर प्रारंभिक जांच को लंबित रखने का आरोप लगाया है। सीबीआइ के सूत्रों का कहना है कि जांच एजेंसी ने जांच अधिकारी सुधांशु धर मिश्रा का तबादला 23 जनवरी को रांची की आर्थिक अपराध विंग में कर दिया है। सीबीआइ में एसपी पद पर तैनात मिश्रा असल में सीबीआइ की बैंकिंग एंड सिक्योरिटीज फ्राड सेल (बीएसएफसी) का हिस्सा थे। मिश्रा की जगह अब मोहित गुप्ता को इस मामले में नया जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। सूत्रों का कहना है कि नए जांच अधिकारी मोहित गुप्ता की निगरानी में ही विगत 24 जनवरी को मुंबई और औरंगाबाद समेत महाराष्ट्र के चार स्थानों पर सीबीआइ ने छापेमारी की थी।

मिश्रा के तबादले की वजह पर रोशनी डालते हुए सीबीआइ के सूत्र ने बताया कि आइसीआइसीआइ लोन मामला बेहद अहम है। लेकिन इसकी जांच बिना प्रगति के अरसे से लंबित थी। एक साल पहले मामले की प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज हुई थी। बाद में इसको रेगुलर केस (आरई) या एफआइआर में तब्दील कर दिया गया था। एफआइआर दर्ज होते ही तुरंत छापेमारी प्रस्तावित थी। हालांकि यह संशय जताया जा रहा है कि छापेमारी के संबंध में जानकारियां लीक की गई हैं। इसलिए बहुत विचारशील तरीके से जांच हुई जिसमें मिश्रा की भूमिका को बेहद संदिग्ध पाया गया। इसीलिए मिश्रा का तबादला कर दिया गया। सूत्र का कहना है कि मिश्रा की भूमिका इस मामले और अन्य को लंबित रखने में बेहद गंभीर प्रकृति की है।

बता दें कि जांच अधिकारी सुधांशु धर मिश्रा के रांची तबादले से एक दिन पहले ही यानी 22 जनवरी को सीबीआइ ने आइसीआइसीआइ बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) और सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और उद्योगपति वीएन धूत समेत चार कंपनियों एनयूपावर रीन्यूएबल्स प्रेलि (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी प्रेलि (एसईपीएल), वीडियोकान इंटरनेशनल इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (वीआइईएल) और वीडियोकान इंडस्ट्रीज लि (वीआइएल) के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी।

उल्लेखनीय है कि सीबीआइ की एफआइआर के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने फेसबुक ब्लॉग पर सीबीआइ की 'व्यापक' जांच पर ही सवाल उठा दिए थे।

चिदंबरम का तंज, तब गहरी नींद में थी सरकार 

आइसीआइसीआइ बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर पर एफआइआर दर्ज होने के मामले में वित्त मंत्री अरुण जेटली की सीबीआइ को नसीहत पर पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने ट्वीट कर तंज किया है। चिदंबरम ने कहा, 'छोटी-मोटी राशि को लेकर सीबीआइ प्रतिष्ठित आइएएस अफसरों को निरंतर निशाना बना रही थी तब सरकार गहरी नींद में थी। आखिरकार छुट्टी पर गए वित्त मंत्री (जेटली) से सीबीआइ को सर्टिफिकेट मिल ही गया कि दुस्साहस व प्रचार पाने की आदत पेशेवर जांच पर हावी हो गई है।' चिदंबरम ने अपने खिलाफ चल रहे एयरसेल-मैक्सिस केस में सीबीआइ के कई आइएएस अफसरों को नामजद करने पर यह तंज किया है।


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