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स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों पर हमला बर्दाश्‍त नहीं, जुर्माने के साथ 7 साल की सजा का प्रावधान; केंद्र का बड़ा ऐलान

स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों पर हमले के मद्देनजर सरकार एक अध्‍यादेश लेकर आई है जिसमें हमलावरों के लिए सख्‍त सजा का प्रावधान किया गया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 03:08 PM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2020 07:56 AM (IST)
स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों पर हमला बर्दाश्‍त नहीं,  जुर्माने के साथ 7 साल की सजा का प्रावधान; केंद्र का बड़ा ऐलान
स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों पर हमला बर्दाश्‍त नहीं, जुर्माने के साथ 7 साल की सजा का प्रावधान; केंद्र का बड़ा ऐलान

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तमाम अनुरोध और एडवाइजरी के बावजूद स्वास्थ्य कर्मियों पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने इसे गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में डाल दिया है। साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले के आरोपियों को पांच लाख रुपये तक जुर्माना और सात तक की सजा हो सकती है। यही नहीं, हमले में स्वास्थ्य कर्मी के वाहन व निजी संपत्ति के नुकसान होने की स्थिति में आरोपी से नुकसान की दोगुनी राशि वसूल की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में 123 साल पुराने महामारी बीमारी कानून में इन संशोधनों के लिए अध्यादेश को हरी झंडी दे गई।दरअसल देश के विभिन्न भागों हो रहे हमलों को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा था और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसके सांकेतिक विरोध का भी आह्वान किया था।

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स्वास्थ्य कर्मियों को भरोसा दिलाने और कोरोना के खिलाफ जंग के दौरान उनके मनोबल को बनाए रखने के लिए बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आइएमए और स्वास्थ्य कर्मियों के अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बात की। अमित शाह ने उन्हें बताया कि सरकार स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्ध है। शाह ने बताया कि किस तरह मोदी सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों के लिए 50 लाख रुपये के बीमा के साथ-साथ उनकी सुरक्षा के लिए पीपीई किट और एन 95 उपलब्ध कराने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास कर रही है। इसके बाद सूचना और प्रशासन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कैबिनेट की बैठक में नए अध्यादेश को हरी झंडी मिलने की जानकारी दी।

1897 में बने महामारी बीमारी कानून में संशोधन के बाद इस कानून के तहत आने वाले अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती हो जाएंगे। यानी थाने से आरोपी को जमानत नहीं मिल सकेगी। ऐसे मामले की जांच वरिष्ठ इंस्पेक्टर के स्तर पर 30 दिन में पूरा करने और एक साल के भीतर अदालत में इसकी सुनवाई पूरी कर फैसला का प्रावधान कर दिया गया है। पहली बार इस कानून में राष्ट्रीय स्तर पर एक समान सजा का प्रावधान किया गया है। इसके तहत अपराध साबित होने पर आरोपी को तीन महीने से पांच साल तक सजा हो सकती है। साथ ही उसे 50 हजार से दो लाख तक जुर्माना भी देना पड़ सकता है।

यदि हमले में स्वास्थ्य कर्मी गंभीर रूप से घायल हुआ तो उसी के अनुरूप सजा भी बढ़ जाएगी। ऐसे गंभीर मामले में छह महीने से सात साल तक सजा और एक लाख से पांच लाख रूपये तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है। जावडेकर ने कहा कि 'संदेश साफ है कि डाक्टरों और आरोग्यकर्मियों पर हमले बर्दास्त नहीं होंगे।' हमले के दौरान स्वास्थ कर्मी की संपत्ति के नुकसान की भरपाई आरोपी से कराने का प्रावधान भी किया गया है। यदि डाक्टर या स्वास्थ्य कर्मी के क्लीनिक या गाड़ी का नुकसान पहुंचाया गया, तो उसके बाजार मूल्य का दोगुना हमला करने वाले से भरपाई के रूप में वसूला जाएगा। अभी स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के लिए आइपीसी, एनएसए, आपदा प्रबंधन अधिनियम के साथ-साथ कई राज्यों में अलग-अलग कानून के तहत कार्रवाई की जा रही है, फिर भी सबकी मांग थी कि देश भर के लिए एक कानून बने। इस अध्यादेश इसे पूरा करेगा।

पुराने कानून में नहीं था सजा का कोई प्रावधान

123 साल पुराने महामारी बीमारी कानून में स्वास्थ्य कर्मियों के साथ हिंसक वारदातों के लिए सजा का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था। कानून की धारा तीन में सिर्फ 'जुर्माना' शब्द का जिक्र है। उसमें भी यह कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति इस कानून के तहत जारी दिशानिर्देशों का पालन नहीं करता है तो इसे अपराध माना जाएगा। लेकिन इस अपराध के लिए सीधे सजा का प्रावधान करने के बजाय उसके लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत सजा देने की बात कही गई है।

आइपीसी की धारा 188 किसी सरकारी अधिकारी को सरकारी ड्यूटी करने से रोकने की स्थिति में कानूनी कार्रवाई का प्रावधान करता है। लेकिन इस धारा में अपराध जमानती है, यानी पुलिस उसे थाने से ही जमानत देने के लिए बाध्य है। आरोप साबित होने पर भी उसे अधिकतम एक महीने की सजा और दो सौ रूपये का जुर्माना हो सकता है। जानलेवा हमले की स्थिति में इस धारा में अधिकतम छह महीने और एक हजार रूपये या फिर दोनों सजा का प्रावधान है। 

मुरादाबाद में मेडिकल टीम पर हमला

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कोरोना के संक्रमण जांच के लिए नियुक्‍त स्वास्थ्य विभाग की टीम पर पिछले बुधवार को उपद्रवियों ने हमला कर दिया। एंबुलेंस में तोड़-फोड़ के साथ स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों पर पथराव किया। मामले में 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

उत्तर प्रदेश के ही बरेली में 17 अप्रैल को फरीदपुर के ऊंचा मुहल्ले में विभाग की ओर से प्रवासी और संदिग्ध लोगों का सर्वे करने पहुंची मेडिकल टीम पर हमला किया गया। उनके मोबाइल छीन लिए गए और तो और जिस रजिस्टर में वे जानकारी जुटा रही थी, उसे भी फाड़ने का प्रयास किया।

इंदौर में कोराना सर्वे करने गई टीम पर हमला

मध्य प्रदेश के इंदौर में 18 अप्रैल को स्वास्थ्यकर्मियों की टीम पर हमला किया गया। टीम में डॉक्टर, टीचर, पैरामेडिकल और आशा कार्यकर्ता शामिल थे। हमलावर ने टीम में शामिल शिक्षिका वंदना को थप्पड़ मारा और उनका मोबाइल भी तोड़ दिया।

बिहार के औरंगाबाद जिले में हमला

बिहार के औरंगाबाद जिले के गोह थाना क्षेत्र अंतर्गत अकौनी गांव में दिल्ली से पहुंची मेडिकल टीम पर ग्रामीणों ने हमला किया था। हमले में एसडीपीओ, थानाध्यक्ष व चिकित्सक सहित पुलिस और मेडिकल टीम के दस सदस्य घायल हो गए।

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