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सीबीआइ में मचे घमासान के पीछे कहीं पूर्व निदेशक एपी सिंह असली वजह तो नहीं

सीबीआइ के तत्कालीन निदेशक एपी सिंह को 50 लाख रुपये की रिश्वत दी थी। सना ने ईडी को लिखित बयान में यह जानकारी दी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 09:01 PM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 11:21 AM (IST)
सीबीआइ में मचे घमासान के पीछे कहीं पूर्व निदेशक एपी सिंह असली वजह तो नहीं
सीबीआइ में मचे घमासान के पीछे कहीं पूर्व निदेशक एपी सिंह असली वजह तो नहीं

नीलू रंजन, नई दिल्ली। सीबीआइ में मचे घमासान के पीछे कहीं पूर्व निदेशक एपी सिंह असली वजह तो नहीं है। सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच लड़ाई की अंदरूनी जानकारी रखने वाले अधिकारियों की माने तो सतीश बाबु सना ने सबसे पहले एपी सिंह को मोइन कुरैशी के मार्फत 50 लाख रुपये की रिश्वत देने का खुलासा किया था। राकेश अस्थाना को इसकी जांच सौंपी गई थी, लेकिन अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है और वहीं सना अब आलोक वर्मा को दो करोड़ और राकेश अस्थाना को 2.95 करोड़ की रिश्वत देने का आरोप लगा रहा है।

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एपी सिंह पर लगे थे रिश्वत लेने के आरोप

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार मोइन कुरैशी के साथ लेन-देन की जांच के दौरान सतीश बाबु सना ने ईडी को बताया था कि किस तरह हैदराबाद के सुकेश गुप्ता ने सीबीआइ की जांच से बचने के लिए मोइन कुरैशी के मार्फत सीबीआइ के तत्कालीन निदेशक एपी सिंह को 50 लाख रुपये की रिश्वत दी थी। सना ने ईडी को लिखित बयान में यह जानकारी दी है।

आरोपी के लिखित बयान को अदालत में ठोस सबूत माना जाता है। ईडी ने इस जानकारी को सीबीआइ के पास आगे की जांच के लिए भेज दिया था, जो राकेश अस्थाना की टीम के पास पहुंची थी, लेकिन इस मामले में कोई केस दर्ज नहीं किया गया।

राकेश अस्थाना की टीम ने नहीं होने दी जांच

उच्च पदस्थ सूत्र के अनुसार राकेश अस्थाना ने सतीश बाबु सना के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया था। उनका कहना था कि सना 2012 के मध्य में एपी सिंह को रिश्वत देने की बात कह रहा है, जबकि सुकेश गुप्ता के खिलाफ सीबीआइ में एफआइआर जनवरी 2013 में दर्ज हुई थी और एपी सिंह 30 नवंबर 2012 को ही सेवानिवृत हो गए थे, लेकिन राकेश अस्थाना यह नहीं बता रहे हैं कि सुकेश गुप्ता के खिलाफ शिकायत कब आई थी और प्रारंभिक जांच का केस कब दर्ज हुआ था।

जांच से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हो सकता है कि एपी सिंह के मार्फत सुकेश गुप्ता प्रारंभिक जांच को ही मैनेज करने की कोशिश कर रहा है।

सबसे बड़ी बात यह है कि एक तरफ राकेश अस्थाना की टीम ने सुकेश गुप्ता के मामले में एपी सिंह के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया, वहीं सना को मोइन कुरैशी के साथ एक दूसरे लेन-देन के आरोप में बार-बार सम्मन भेजकर बुलाते रहे।

राकेश अस्थाना के खिलाफ दर्ज सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार सना ने इसी प्रताड़ना से बचने के लिए 2.95 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। वहीं राकेश अस्थाना की टीम ने सना का 26 सितंबर का एक बयान दर्ज किया है, जिसमें वह इसी प्रताड़ना से बचने के लिए डीटीपी सांसद के मार्फत आलोक वर्मा को मैनेज करने की बात कर रहा है और राकेश अस्थाना कैबिनेट सचिव से दो करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप भी लगा चुके हैं।


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