गृह मंत्रालय ने जारी की सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस, कहा- प्रवासी मजदूरों का ख्याल रखें सभी राज्य
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि देश भर में फंसे प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों को राहत शिविरों में रखा जाए और उन्हें वहां भोजन स्वच्छ पेयजल और साफ-सुधरा माहौल दिया जाए।
नई दिल्ली, एजेंसियां। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को देश भर में मौजूद प्रवासी श्रमिकों और अन्य लोगों को विभिन्न राहत शिविरों में आश्रय के साथ ही भोजन, दवाएं, मोबाइल और निशुल्क वीडियो कॉल सुविधा मुहैया करना को कहा है। इसके साथ ही सभी आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश के सभी गोदामों और वेयहाउसों को लॉकडाउन से मुक्त करते हुए सभी प्रकार की वस्तुओं को रखने की अनुमति दे दी है। साथ ही सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देशित किया है कि आवश्यक वस्तुओं की निर्माण इकाइयों से जुड़े कर्मचारियों की आवाजाही में कोई बाधा न आने दें।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार कोरोना संक्रमण के चलते केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देश भर के राहत शिविरों में रह रहे प्रवासी मजदूरों को सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार हरेक जरूरी सुविधा मुहैया कराने को कहा है। इसके लिए मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखा है। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा था कि देश भर में फंसे प्रवासी मजदूरों और अन्य लोगों को राहत शिविरों में रखा जाए और उन्हें वहां भोजन, स्वच्छ पेयजल और साफ-सुधरा माहौल दिया जाए। इन शिविरों में अपने घरों से दूर घबराए प्रवासी श्रमिकों को पर्याप्त चिकित्सकीय सुविधाओं के साथ उन्हें चिंता और भय से मुक्त करने के लिए धर्मगुरुओं और सामुदायिक नेताओं से उनकी काउंसिलिंग कराई जाए।
सामाजिक कार्यकर्ताओं की ली जाए मदद
लिहाजा, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि आगे भी इन प्रवासियों की सहायता के लिए पुलिस और सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद ली जाए और उनके साथ मानवीय संवेदनाओं के अनुसार बर्ताव किया जाए। गृह मंत्रालय ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को भी कहा है कि वह इनकी मनोवैज्ञानिक परेशानियों का भी समाधान करें। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि इन नई परिस्थितियों में प्रवासी मजदूरों की आर्थिक स्थिति के साथ ही सामाजिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति भी बदहाल होती है। चूंकि वह अपने परिवारों से दूर रोजी-रोटी कमाने जाते हैं। कमाई के साधन बंद पड़ने पर नासिर्फ वह बदहाली के शिकार होते हैं, बल्कि सुदूर गांवों व कस्बों में उनके परिवार भी आर्थिक तंगी से जूझते हैं, जोकि उन पर पूरी तरह से आश्रित हैं।
लॉकडाउन के चलते पहले सिर्फ आवश्यक वस्तुएं रखने की थी छूट
केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देशित किया है कि अब से देश भर में गोदाम और कोल्ड स्टोरेज को लॉकडाउन की शर्तों से मुक्त किया जाता है। अब वह सिर्फ आवश्यक वस्तुएं ही नहीं, बल्कि सभी प्रकार के सामान रख सकेंगे। भल्ला ने सभी राज्यों के गृह सचिवों को एक प्रेस ब्रीफिंग में निर्देशित किया कि गोदामों और कोल्ड स्टोरेजों में अब सभी प्रकार के सामानों को रखा जा सकेगा। लॉकडाउन के चलते पहले उन्हें केवल आवश्यक वस्तुओं की रखने की छूट थी। लेकिन लॉकडाउन खुलने में अब कुछ ही हफ्ते बाकी रहने के चलते इन्हें सभी प्रकार के सामान रखने की फिर से इजाजत दे दी गई है।
आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति नियंत्रण में
केंद्रीय गृह मंत्रालय की संयुक्त सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि लॉकडाउन के दौरान देश भर में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति और उपलब्धता की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। इस सिलसिले में नागरिक उड्डयन मंत्रालय, उपभोक्ता मामले और रेलवे राज्यों के साथ पूरे तालमेल से काम कर रहे हैं। गृह मंत्रालयों ने राज्यों को बताया कि राज्यों के अंदर और एक से दूसरे राज्य में माल ढुलाई के वाहनों की आवाजाही पर कोई रोक नहीं है। राज्य प्रशासनों को यह भी सुनिश्चित करना है कि निर्माण कंपनियों के कर्मचारियों पास मुहैया हों। इसके अलावा, मंत्रालय साइबर दोस्त ट्विटर हैंडल के जरिए लोगों को साइबर क्राइम के प्रति भी सचेत कर रहा है। ताकि उपभोक्ताओं के ऑनलाइन ट्रांजैक्शन सुरक्षित रहें।