डीबीटी से जुड़ेंगे सहकारी बैंक, केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने की घोषणा, कहा- इस कदम से ज्यादा लोगों को मिलेगा लाभ
केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को घोषणा की कि सहकारी बैंकों को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (डीबीटी) से जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया कि डीबीटी के जरिये 52 मंत्रालयों की 300 योजनाओं से जुड़े लाभ दिए जाते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आने वाले समय सहकारी बैंकों के ग्राहकों को भी केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। इसके लिए सहकारी बैंकों को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर (डीबीटी) से जोड़ा जाएगा। केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। अभी केंद्र के 52 मंत्रालयों की ओर से संचालित 300 योजनाओं के लाभ डीबीटी के जरिये सीधे लाभार्थियों तक पहुंचाए जा रहे हैं।
लोगों को मिल रहा बैंकिंग क्षेत्र में हुए सुधारों का लाभ
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में हुए सुधारों से देश के प्रत्येक नागरिक को बैंकिंग सेवाओं का लाभ मिल रहा है। जनधन योजना के चलते 45 करोड़ नए लोगों का अपना बैंक खाता खुला है। ऐसे 32 करोड़ लोगों को रूपे डेबिट कार्ड मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'सहकार से समृद्धि का संकल्प' से इसे पूरा करने में मदद मिली है। सहकारिता मंत्री शाह ने कहा कि देश की समृद्धि और आर्थिक उत्थान में सहकारिता क्षेत्र का अहम योगदान होगा।
डिजिटल लेन देन बढ़ा
उन्होंने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में अनेक सुधार किए गए हैं। प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत खोले गए करोड़ों नए बैंक खातों का डिजिटल लेन देन एक ट्रिलियन डालर को भी पार कर गया है। वर्ष 2017-18 के डिजिटल लेन-देन के मुकाबले इनमें 50 गुना की बढ़ोतरी हुई है। सहकारी बैंकों के डीबीटी से जुड़ने से नागरिकों के साथ और संपर्क बढ़ेगा और सहकारिता क्षेत्र मजबूत होगा।
साहूकारों से बचाने में खेती बैंक का उल्लेखनीय प्रदर्शन रहा
जरात स्टेट को-ऑपरेटिव एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बैंक (खेती बैंक) के 71वें वर्ष में प्रवेश पर केंद्रीय सहकारिता मंत्री शाह ने बधाई देते हुए बैंक के ऐतिहासिक महत्व का विस्तार से जिक्र किया। साहूकारों के चंगुल से बचाने में इस बैंक ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। एग्रीकल्चरल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने की दिशा में भी इन बैंकों ने अहम भूमिका निभाई है।
नाबार्ड की स्थापना से फायदे
शाह ने कहा कि नाबार्ड की स्थापना के बाद खेती से बैंकों के स्वरूप में थोड़ा बहुत बदलाव आया है। अब खेती के साथ इन बैकों से ग्रामीण विकास, कुटीर उद्योग, डेयरी व स्वरोजगार के लिए भी पर्याप्त ऋण प्राप्त होने लगा है।
पहले के मुकाबले सस्ता हुआ ऋण
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक और नाबार्ड ने बैंकिंग के जितने मानदंड बनाए हैं, उन सभी मानकों पर खेती बैंक ने अच्छा प्रदर्शन किया है। पहले बैंक से 12 से 15 प्रतिशत की ब्याज पर ऋण मिलता था जो अब घटकर 10 प्रतिशत तक आ गया है। इसके साथ नियमित ऋण चुकाने वाले लाभार्थियों को दो प्रतिशत की रियायत भी दी जाती है।