गृह मंत्री अमित शाह ने की जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा
गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के तीन महीने बाद मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की।
नई दिल्ली, प्रेट्र। गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के तीन महीने बाद मंगलवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। यह गृह मंत्री और नव गठित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के शीर्ष नागरिक और पुलिस अधिकारियों के बीच पहली बैठक है। बैठक में केंद्रीय गृह सचिव अजय के भल्ला एवं गृह मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम और पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने केंद्र शासित प्रदेश में मौजूदा हालात खासतौर से मोबाइल फोन नेटवर्क पर से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद की स्थिति के बारे में शाह को बताया। बहरहाल, अभी यह नहीं पता चला है कि बैठक में नेताओं को रिहा करने के बारे में चर्चा की गई है या नहीं। ये नेता पांच अगस्त से हिरासत में हैं। हिरासत में लिए गए नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर में जनजीवन अब भी बाधित है। स्कूल और अन्य शिक्षण संस्थान अभी पूरी तरह नहीं खुले हैं जबकि बाजार और व्यावसायिक प्रतिष्ठान कुछ अवधि के लिए आंशिक रूप से खुल रहे हैं। सोमवार को श्रीनगर में ग्रेनेड हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 12 से अधिक अन्य लोग घायल हो गए।
लद्दाख के उपराज्यपाल ने राष्ट्रपति से मुलाकात की
लद्दाख के उपराज्यपाल आरके माथुर ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। राष्ट्रपति भवन में वह राष्ट्रपति से मिले। 31 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में गठित होने के बाद माथुर ने लद्दाख के पहले उपराज्यपाल का प्रभार ग्रहण किया है।
उधर, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने घाटी की कठोर सर्दी का हवाला देते हुए जिला प्रशासन से उनकी मां को ऐसे स्थान पर शिफ्ट करने को कहा है, जहां सर्दी से बचने के लिए बेहतर संसाधन उपलब्ध हों।
नेशनल कांफ्रेंस ने मंगलवार को केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक गतिविधियों को पूरी तरह बहाल करने और हालात सामान्य बनाने के लिए मुख्यधाारा से संबधित सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई का आग्रह किया।
पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि घाटी में प्रशासनिक पाबंदियों के भी तीन माह पूरे हो गए हैं। 90 दिन बाद भी कश्मीर में लोग इंटरनेट और मोबाइल फोन की निर्विघ्न सेवा को बहाल किए जाने की मांग कर रहे हैं। देश के अन्य भागों में लोग इन सुविधाओं का बिना किसी रुकावट लाभ ले रहे हैं। कश्मीर में लोगों को मोबाइल पर एसएमएस की सेवा से भी वंचित किया गया है।