असम में एनआरसी से छूटे लोगों के भविष्य का फैसला करेगी उच्चस्तरीय समिति
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 25 सितंबर को एनआरसी के मसौदे पर आपत्तियां दायर की गई थी। यह प्रक्रिया 15 दिसंबर को समाप्त हो जाएगी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। असम में प्रकाशित होने वाली नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) की अंतिम सूची में शामिल होने से रह जाने वाले बिना वैध दस्तावेजों वाले लोगों के भविष्य का फैसला एक उच्चस्तरीय समिति करेगी।
गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया फैसला
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार रात हुई बैठक में इस समिति के गठन का फैसला लिया गया। बैठक में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, गृह सचिव राजीव गौबा, खुफिया ब्यूरो के निदेशक राजीव जैन और कई अन्य अधिकारी मौजूद थे।
असम के करीब 34 लाख लोगों ने अब तक नहीं किया नागरिकता का दावा
बता दें कि 30 जुलाई को प्रकाशित एनआरसी के मसौदे में 2.9 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे, जबकि इसके लिए 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। मसौदे में शामिल होने से छूट गए करीब 40 लाख लोगों में से अब तक सिर्फ छह लाख लोगों ने ही एनआरसी में अपने नाम शामिल करने के लिए वैध दस्तावेजों के साथ फिर से आवेदन किया है।
साफ है कि करीब 34 लाख लोगों ने अभी यह दावा नहीं किया है कि वे भारतीय नागरिक हैं। उक्त अधिकारी का कहना है, हो सकता है कि उनके पास वैध दस्तावेज न हों। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित समिति बिना वैध दस्तावेजों वाले असम के लोगों के बारे में सभी उपलब्ध विकल्पों की जांच करेगी। हालांकि उन्होंने यह बताने से इन्कार कर दिया कि क्या सरकार उन्हें वर्क परमिट देने पर विचार करेगी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 25 सितंबर को एनआरसी के मसौदे पर आपत्तियां और दावे दायर करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी। यह प्रक्रिया 15 दिसंबर को समाप्त हो जाएगी।