हापुड़ मॉब लिंचिंग केसः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- IG की निगरानी में हो जांच
हापुड़ में गोवध के शक में कथित रूप से उग्र भीड ने दो व्यक्तियों पर हमला कर दिया था। इस हमले में कासिम की मौत हो गई थी और समीयुद्दीन घायल हो गया।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मेरठ रेंज के आईजी को आदेश दिया है कि हापुड़ लिंचिग केस जांच की वह स्वयं निगरानी करें। इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि मामले की जांच में सुप्रीम कोर्ट के लिंचिंग केस के बारे मे दिये गए पूर्व दिशा निर्देशों का पालन किया जाए।
हापुड़ में 18 जून को कथित तौर पर गोरक्षक दल ने दो लोगों पर हमला कर दिया था इस हमले मे एक व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि दूसरा समीयुद्दीन गंभीर रूप से घायल हो गया था। समीयुद्दीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की जांच एसआईटी से कराने और मामला उत्तर प्रदेश से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की है। पिछली सुनवाई को कोर्ट ने आईजी से मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।
यूपी सरकार ने दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट
बुधवार को जब मामला सुनवाई पर आया तो उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कोर्ट में सील बंद कवर मे स्थिति रिपोर्ट पेश की गई। राज्य की एडीशनल एडवोकेट जनरल ऐश्वर्या भाटी और कमलेन्द्र मिश्र ने कोर्ट को बताया कि कुल 11 में से 10 अभियुक्त गिरफ्तार किये जा चुके हैं। एक अभियुक्त के खिलाफ जब्ती कुर्की की कार्यवाही चल रही है। मामले की जांच की निगरानी मेरठ रेंज के आईजी कर रहे हैं साथ ही कोर्ट के आदेश के मुताबिक नोडल अफसर एसपी और सहायक नोडल आफीसर जांच की निगरानी कर रहे हैं।
भाटी ने कोर्ट को बताया कि पहले मामले की जांच कर रहे थानाध्यक्ष को स्थानांतरित कर दिया गया है और अब नये थानाध्यक्ष जांच कर रहे हैं। लिंचिंग मामलों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए पूर्व आदेश का पालन किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया आदि पर आये वीडियो आदि को भी फोरेन्सिक जांच के लिए भेजा गया है। साथ ही अभियुक्तों की जमानत रद करने के लिए भी राज्य सरकार ने कोर्ट में अर्जी लगा रखी है।
उधर याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। पुलिस ने गत 21 अगस्त को याचिकाकर्ता और घटना के चश्मदीद गवाह घायल समीउद्दीन के धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराए हैं। उन्होंने मामले को उत्तर प्रदेश से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की। सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ ने प्रदेश सरकार से पूछा कि वह कब तक मामले की जांच पूरी कर लेगी। इस पर भाटी ने कहा कि 60 दिनों के भीतर जांच पूरी कर ली जाएगी। कोर्ट ने मेरठ रेंज के आईजी को स्वयं जांच की निगरानी करने का आदेश देते हुए मामले की सुनवाई 2 सप्ताह के लिए टाल दी।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठे थे सवाल
इस मामले में एक न्यूज चैनल ने स्टिंग किया था, जिसमें पुलिस की जांच में कई खामियां नज़र आई थीं। पुलिस एफआइआर में इसे रोड रेज का मामला बताया गया था, जबकि स्टिंग के वीडियो सबूत में कुछ और ही मामला नजर आ रहा था।
याचिकाकर्ता का कहना है कि लोकल पुलिस सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्मादी भीड़ केस में जारी दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रही है। पुलिस एफआइआर को रोड रेज का मामला बना कर केस दर्ज कर रही है। पुलिस ने अभी तक उसका बयान तक दर्ज नहीं किया है। उनकी मांग है कि बयानों को मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज कराया जाए और साथ ही मामले में विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया जाए।
मॉब लिचिंग पर सुप्रीम कोर्ट लगा चुका है सरकार को फटकार
बता दें कि मॉब लिंचिंग मामले में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने साफ कहा था कि कोई भी शख्स कानून को किसी भी तरह से हाथ में नहीं ले सकता। कानून व्यवस्था को बहाल रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है और प्रत्येक राज्य सरकार को ये जिम्मेदारी निभानी होगी। गोरक्षा के नाम पर भीड़ की हिंसा गंभीर अपराध है।
सुनवाई के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पीएस नरसिम्हा ने कहा था कि केंद्र सरकार इस मामले में सजग और सतर्क है, लेकिन मुख्य समस्या कानून व्यवस्था की है। कानून व्यवस्था पर नियंत्रण रखना राज्यों की जिम्मेदारी है। केंद्र इसमें तब तक दखल नहीं दे सकता जब तक कि राज्य खुद गुहार ना लगाएं।