संसदीय समिति में आधी आबादी का लहराया पूरा परचम, हिना गावित बनीं अध्यक्ष
संसद की यह स्थाई समिति महिलाओं के हित से जुड़ी सरकार की योजनाओं से लेकर देश में आधी आबादी के ज्वलंत मसलों पर गौर करती है।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। लोकसभा में महिलाओं के रिकार्ड संख्या में चुनाव जीतकर पहुंचने का ही यह असर कहा जाएगा कि संसदीय इतिहास में संभवत: पहली बार संसद की एक स्थाई समिति की सभी सदस्य महिला सांसद ही हैं। महिलाओं के सशक्तिकरण से संबंधित संसद की स्थाई समिति की सभी 30 सदस्य महिलाए हैं। लोकसभा में भाजपा की युवा सांसद डा हिना गावित को इस संसदीय स्थाई समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। संसद की यह स्थाई समिति महिलाओं के हित से जुड़ी सरकार की योजनाओं से लेकर देश में आधी आबादी के ज्वलंत मसलों पर गौर करती है।
संसद में महिलाओं को आरक्षण देने संबंधी विधेयक राज्यसभा में पारित होने के बाद भी भले वर्षो से लोकसभा की मंजूरी का इंतजार कर रहा हो मगर महिला सशक्तिकरण की संसदीय स्थाई समिति में जरूर आधी आबादी का परचम लहरा गया है क्योंकि इसमें कोई पुरूष सांसद नहीं है।
1997 में संसद की महिला सशक्तिकरण समिति का गठन
वैश्विक स्तर पर महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल के तहत भारत में भी आधी आबादी को बराबर के पायदान पर लाने की दिशा में कदम उठाने के मकसद से 1997 में संसद की महिला सशक्तिकरण समिति का गठन हुआ। तब से यह पहला मौका है जब इसकी सभी 30 सदस्य महिलाएं हैं जिनमें 20 लोकसभा सांसद और 10 राज्यसभा की सदस्य हैं।
समिति की अध्यक्ष गावित के अलावा लोकसभा की प्रमुख महिला सांसदों में भावना गवली, लॉकेट चटर्जी, कनीमोझी, ज्योत्सना चरणदास, अन्नपूर्णा देवी और संगीता सिंह देव प्रमुख हैं। वहीं राज्यसभा सदस्यों में सपा की जया बच्चन, राजद की मीसा भारती, जदयू की परवीन कहकशां, भाजपा की सरोज पांडेय और एनसीपी की वंदना चौहान आदि शामिल हैं।
16वीं लोकसभा में 30 सदस्यीय संसदीय स्थाई समिति
16वीं लोकसभा में महिला सशक्तिकरण से संबंधित 30 सदस्यीय संसदीय स्थाई समिति की 28 सदस्य महिलाएं थीं। इसमें लोकसभा की सभी 20 सदस्य महिलाएं थीं तो राज्यसभा के 10 में केवल दो प्रभात झा और अनुभव मोहंती ही पुरूष सांसद थे। वहीं 15वीं लोकसभा में इस संसदीय समिति के 24 सदस्यों में केवल पांच ही पुरूष सदस्य थे। लोकसभा से 13 महिला सांसदों के साथ तब वामपंथी दिग्गज गुरूदास दासगुप्ता, सिद्धांत मोहपात्रा और राजू शेट्टी और राज्यसभा से डा सी पी ठाकुर और अंबेथ राजन इस समिति के सदस्य थे।
संसदीय स्थाई समिति में पूर्ण रुप से महिलाओं के होने का सीधा ताल्लुक संसद में उनकी बढ़ी भागीदारी से भी जुड़ा है। संसद के दोनों सदनों को मिलाकर इस समय महिला सांसदों की कुल संख्या 104 है। 1952 के पहले चुनाव से लेकर अब तक 17वीं लोकसभा में ही सबसे ज्यादा 78 महिलाएं चुनकर आयी हैं। वहीं राज्यसभा के मौजूदा 240 सांसदों में महिला सांसदों की संख्या 26 है। 16वीं लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 64 थी तो 15वीं में महिला सांसदों की संख्या केवल 52 ही थी।
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