Move to Jagran APP

सरकार बोली, वापस नहीं होंगे कृषि कानून, किसानों की मांगों के मुताबिक संशोधन पर कर सकते हैं विचार

कृषि सुधार कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों में जारी गतिरोध के बीच सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कृषि कानूनों को वापस तो नहीं लिया जाएगा। सरकार ने कहा है कि वह किसानों की मांगों के मुताबिक संशोधन पर विचार कर सकती है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 08:27 PM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 07:02 AM (IST)
सरकार बोली, वापस नहीं होंगे कृषि कानून, किसानों की मांगों के मुताबिक संशोधन पर कर सकते हैं विचार
सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कृषि कानूनों को वापस तो नहीं लिया जाएगा...

नई दिल्ली, एजेंसियां। कृषि सुधार कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध बना हुआ है। दोनों पक्षों के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी कोई समाधान नहीं निकल पाया है। किसान संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का एलान किया है। वो तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कृषि कानूनों को वापस तो नहीं लिया जाएगा, लेकिन जरूरत पड़ने पर सरकार किसानों की मांगों के मुताबिक संशोधन पर विचार कर सकती है।

loksabha election banner

किसानों को आजादी देते हैं ये कानून

केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा, 'सरकार ने जो कानून पास किए हैं वो किसानों को आजादी देते हैं। हमने हमेशा कहा है कि किसानों को यह अधिकार होना चाहिए कि वह अपनी फसल जहां चाहें बेच सकें। यहां तक स्वामीनाथन आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में इसकी सिफारिश की है। मैं नहीं समझता कि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। यदि जरूरी हुआ तो किसानों की मांगों के मुताबिक कानून में कुछ संशोधन किए जाएंगे।'

11 दिनों से जारी है किसानों का प्रदर्शन

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का धरना प्रदर्शन 11 दिनों से जारी है। किसान बाहरी दिल्ली के बुराड़ी में संत निरंकारी मैदान में जमे हुए हैं। इसके अलावा किसानों ने दिल्ली की सीमाओं को भी सील कर रखा है। किसानों ने आठ दिसंबर को उन्होंने भारत बंद बुलाया है। नौ दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच अगले दौर की बातचीत भी होने वाली है।

क्या है तीनों कानून

सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून बनाए हैं। ये कानून हैं-कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020। इन कानूनों के जरिये किसानों को अपने उत्पाद को कहीं भी बेचने की आजादी दी गई है।

राष्ट्रीय ढांचा बनाने का प्रावधान

कांट्रैक्ट फार्मिंग के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा बनाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्याज़ और आलू को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान है। सिर्फ युद्ध जैसी 'असाधारण परिस्थितियों' को छोड़कर अब जितना चाहे इनका भंडारण किया जा सकता है।

सरकार ने शुरू किया अभियान

सरकार ने मौजूदा कृषि कानूनों की असलियत बताने के लिए एक अभियान शुरू किया है। इसमें बताया जा रहा है कि मौजूदा कृषि कानून से सिर्फ छह फीसद अमीर किसानों को ही लाभ मिल रहा है, बाकी के 94 फीसद किसानों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है। इन 94 फीसद किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए ही मोदी सरकार नए कृषि कानून लेकर आई है, लेकिन निहित स्वार्थ के चलते इसका विरोध किया जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.