शीतकालीन सत्र में गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए विधेयक पेश करेगी सरकार
गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के लिए सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में नेशनल रिवर गंगा बिल-2018 पेश करेगी।
हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। गंगा को अविरल और निर्मल बनाने के इरादे विशेष कानून बनाने की तैयारी कर रही सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में 'नेशनल रिवर गंगा (रिज्यूविनेशन, प्रोटेक्शन एंड मैनेजमेंट) बिल-2018' पेश करेगी।
केंद्र के वित्त मंत्रालय और पर्यावरण मंत्रालय सहित लगभग सभी संबंधित मंत्रालयों ने इस विधेयक के मसौदे पर अपनी राय दे दी है। जल संसाधन मंत्रालय दो हफ्ते में इसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज देगा।
सूत्रों ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने 'गंगा एक्ट' के लिए एक विधेयक का मसौदा तैयार किया था जिसे केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने विभिन्न मंत्रालयों के पास प्रतिक्रिया के लिए भेजा था।
वित्त मंत्रालय, पर्यावरण मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय सहित अधिकतर मंत्रालयों ने अपनी टिप्पणी व्यक्त कर दी है।
मसलन, वित्त मंत्रालय ने इस विधेयक के तहत प्रस्तावित प्रावधानों के वित्तीय प्रभावों के बारे में पूछा है वहीं पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि इस विधेयक के प्रावधान इस तरह तैयार किए जाएं कि यह पर्यावरण संरक्षण कानून की पुनरावृत्ति न हो।
इसी तह संस्कृति मंत्रालय और जहाजरानी मंत्रालयों ने कहा है कि उनके सचिवों को भी इस कानून के तहत बनने वाली गवर्निग काउंसिल का सदस्य बनाया जाए। इसी तरह पंचायती राज मंत्रालय ने भी कहा है कि गंगा सफाई का काफी काम गांवों में होगा, इसलिए इसमें उनकी भूमिका भी रखी जाए।
सूत्रों ने कहा कि एनएमसीजी अब इन मंत्रालयों की टिप्पणियों को समाहित कर पुन: मसौदा तैयार कर रहा है और इसे पंद्रह दिन के भीतर कैबिनेट सचिवालय तथा प्रधानमंत्री कार्यालय के पास भेज दिया जाएगा।
मंत्रालयों की टिप्पणी के साथ-साथ विधेयक में उन प्रावधानों को भी सम्मिलित कर लिया गया है जिनका सुझाव गंगा महासभा द्वारा तैयार किए गए विधेयक के मसौदे में था। अगले महीने के शुरु में कैबिनेट की मंजूरी मिलने पर इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश करने का रास्ता साफ हो जाएगा।