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कृषि कानून वापसी पर अड़े किसान, MSP पर नहीं बनी बात; अब 8 जनवरी को होगी बैठक

नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच सातवें दौर की बातचीत खत्म हो गई है ।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 04 Jan 2021 09:33 AM (IST)Updated: Mon, 04 Jan 2021 07:17 PM (IST)
कृषि कानून वापसी पर अड़े किसान, MSP पर नहीं बनी बात; अब 8 जनवरी को होगी बैठक
विज्ञान भवन में किसान प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए नरेंद्र सिंह तोमर और पियूष गोयल

नई दिल्ली, एएनआइ। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन (Farmer Protest) कर रहे किसानों और सरकार के बीच सातवें दौर की वार्ता खत्म हो गई है। आज की बैठक में किसान सिर्फ कानून वापसी की मांग पर ही अड़े रहे।

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सरकार के मंत्रियों ने कहा कि वे एक बार फिर से किसान संगठनों से बात करेंगे। दोनों पक्षों के बीच अगले दौर की वार्ता 8 जनवरी को होगी। वहीं, तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की मांग पर सरकार ने कहा एक संयुक्त कमेटी बना देते हैं वो तय करे कि इन तीनों कानूनों में क्या क्या संशोधन किए जाने चाहिए। वहीं, इस पर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार के इस प्रस्ताव को किसान संगठनों ने असंतुष्टि जाहिर करते हुए सरकार के इस प्रस्ताव को नकार दिया था।

बता दें कि अब तक केंद्र सरकार और किसान यूनियनों के बीच छह दौर की वार्ता हो चुकी है। किसान संगठन सितंबर में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को लगातार निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। सरकार का कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे। दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी।

Farmer Protest latest updates:

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमारी मांगों पर चर्चा हुई है। तीन कानूनों और MSP की वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं। 

किसान प्रतिनिधियों ने विज्ञान भवन में भोजनावकाश के दौरान भोजन किया। इसके बाद ये सभी एक बार फिर सरकार के साथ तीनों कृषि कानूनों पर बातचीत करेंगे।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के साथ अपने आवास से रवाना हुए। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, 'आज की बैठक में जो विषय बचे हुए हैं उन पर चर्चा होगी। मुझे आशा है कि सभी सकारात्मक हल निकालने में मदद करेंगे और हम सफल भी होंगे।'

सरकार और किसानों के बीच सातवें दौर की वार्ता से पहले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि उम्मीद है कि सरकार बात मान ले, अगर मांगें पूरी नहीं होती तो आंदोलन चलेगा। उन्होंने कहा कि कानून वापस हों, एमएसपी पर कानून बने, स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू हो। हमें बिन्दुवार वार्ता करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। विरोध के दौरान अब तक 60 किसान अपनी जान गंवा चुके हैं। हर 16 घंटे में एक किसान मर रहा है। इसका जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी है।

30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच चार मुद्दों में से दो पर सहमति बन गई थी। दोनों पक्षों में प्रस्तावित बिजली कानून, पराली जलाने से संबंधित मुद्दों पर सहमति बनी। हालांकि, गतिरोध दो मुख्य मांगों पर अभी भी जारी है। वहीं, 2 जनवरी को लगभग 40 किसान संगठनों ने धमकी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो किसान अपने ट्रैक्टर, ट्रॉलियों और अन्य वाहनों के साथ 26 जनवरी को दिल्ली में मार्च करेंगे।

दूसरी तरफ आंदोलन के दौरान सोनीपत के सिंघु और बहादुरगढ़ (झज्जर) के टीकरी बार्डर पर रविवार को चार किसानों की जान चली गई। दोनों धरनास्थल पर दो-दो किसानों की जान गई है। इनमें से दो हरियाणा और दो पंजाब के निवासी थे। सिंघु बार्डर पर जिन दो किसानों की जान गई है, उनमें से एक सोनीपत के गांव गंगाना का 52 वर्षीय कुलबीर था और दूसरा पंजाब के संगरूर के गांव लिद्दड़ान का रहना वाला 45 वर्षीय शमशेर था। इन दोनों की मौत का कारण भी सर्दी से हार्ट अटैक बताया जा रहा है।

यह भी देखें: आज किसान आंदोलन का 40वां दिन, 7वें दौर की वार्ता आज


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