अमित शाह बोले, ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जहां RTI की जरूरत ही न रहे
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि हम ऐसी व्यवस्था चाहते हैं जहां लोगों को RTI का आवेदन करने की जरूरत न महसूस हो।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सरकार के कामकाज को पारदर्शी बनाने पर जोर दिया है, ताकि किसी को आरटीआइ की जरूरत ही नहीं पड़े। उनके अनुसार मोदी सरकार ने पिछले पांच साल में इस दिशा में अहम कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि अब किसी को सरकारी कामकाज की जानकारी लेने के लिए आरटीआइ लगाने की जरूरत नहीं है, बल्कि सरकार के काम को वह डैशबोर्ड पर लाइव देख सकता है। आरटीआई कानून को लोकतंत्र में मील का पत्थर बताते हुए बताते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने इससे सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने में मदद मिली है।
सरकार का काम संतोषजनक
केंद्रीय सूचना आयोग के 14वें वार्षिक सम्मेलन में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा सूचनाओं को सक्रियता से सार्वजनिक पटल पर रखना है ताकि आरटीआई आवेदन दायर करने की जहमत न उठानी पड़े। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित शाह ने यहां कहा, 'आरटीआई आवेदन दायर करने के सहज तरीके उपलब्ध होने के बावजूद उनकी संख्या कम होने का अर्थ है कि सरकार का काम संतोषजनक है।'
गृह मंत्री ने सरकार की स्वच्छ कार्यप्रणाली पर बात करते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाई गई डैशबोर्ड प्रणाली ने सुनिश्चित किया कि हर किसी को बिना आरटीआई आवेदन दायर किए देश में जारी योजनाओं की ऑनलाइन जानकारी मिल सके। उन्होंने यहां बताया कि, डैशबोर्ड के प्रयोग के जरिए, सरकार एक नये पारदर्शी युग की शुरुआत की है। जिसमें एक व्यक्ति डैशबोर्ड पर जाकर देख सकता है कि कितने शौचालय बनाए गए है। सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन कब मिलेगा। एक महिला डैशबोर्ड पर क्लिक कर जान सकती है कि उसे गैस सिलेंडर कब मिलेगा।
आरटीआई आवेदन दायर करने की बहुत कम जरूरत
शाह ने आरटीआई की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि सरकार पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कानून से दो कदम आगे बढ़ गई है। उन्होंने कहा, सरकार ने प्रशासन का काम इतना पारदर्शी बना दिया है कि आरटीआई आवेदन दायर करने की बहुत कम जरूरत है। यह प्रणाली इस तरह से काम करेगी कि हमें आरटीआई आवेदनों को दाखिल करने की जरूरत न हो। शाह ने कहा कि कानून बनाने की पीछे की मंशा को पूरा करने में देश पिछले 14 साल से सफल रहा है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून बनाने के बीच मूल विचार व्यवस्था में लोगों का विश्र्वास बढ़ाना था। उन्होंने कहा व्यवस्था संविधान के चार कोणों पर चलती है। कानून का मुख्य उद्देश्य लोगों में विश्र्वास पैदा करना है कि व्यवस्था संविधान के अनुसार चल रही है। संविधान और व्यवस्था में जब यह विश्र्वास जागृत रहता है, तो लोगों की सहभागिता अपने आप बढ़ जाती है जो देश को आगे ले जाती है। लेकिन जब अविश्र्वास होता है तो लोगों की सहभागिता मंद पड़ जाती है।
आरटीओ का सदुपयोग ज्यादा, दुरुपयोग कम
उन्होंने कहा कि भारत जैसे देश में आवश्यक है कि शासन एवं व्यवस्था में लोगों का विश्र्वास एवं सहभागिता मजबूत हो। गृह मंत्री ने कहा, जब हम आरटीआई के परिणामों का आकलन करते हैं तो हम देखते हैं कि पारदर्शिता बढ़ी है, भ्रष्टाचार खत्म हुआ है और इस कानून की वजह से सुशासन की गति भी बढ़ी है। आरटीआई पर संतोष जताते हुए शाह ने कहा कि आरटीआई एक्ट की जो कल्पना की गई थी उसे लगभग अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचाने में हमारा देश सफल रहा है।
शाह ने बताया कि 2016 में जब उन्होंने इस कानून की पढ़ाई की तो उन्हें इसके दुरुपयोग का डर था लेकिन आज वो इस बात से संतुष्ट है कि इस कानून का दुरुपयोग बहुत कम हुआ है और सदुपयोग बहुत ज्यादा हुआ है।