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विदेशियों को हिरासत केंद्रों में रखने के लिए नियम बना रही है सरकार

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट सूचित किया है कि देश भर में विदेशियों को हिरासत केंद्रों में रखने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने प्रक्रिया बनाई जा रही है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 08:15 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 08:15 PM (IST)
विदेशियों को हिरासत केंद्रों में रखने के लिए नियम बना रही है सरकार
विदेशियों को हिरासत केंद्रों में रखने के लिए नियम बना रही है सरकार

 नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट सूचित किया है कि देश भर में विदेशियों को हिरासत केंद्रों में रखने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने प्रक्रिया बनाई जा रही है। केंद्र ने जस्टिस मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि हिरासत नियमावली या दिशा-निर्देश तैयार करने के काम को गंभीरता पूर्वक लिया गया है। सरकार ने यह भी कहा कि इस दिशा में असम को कुछ सर्कुलर जारी किए गए हैं।

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सुनवाई कर रही पीठ में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि केंद्र को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके द्वारा जारी परिपत्रों या दिशानिर्देशों का असम द्वारा पालन किया जाए।

असम में हिरासत केंद्रों की स्थिति से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान विदेशी नागरिकों को रखने के बारे में दिशानिर्देश बनाने का मुद्दा उठा था। असम की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि राज्य सरकार केंद्र के परिपत्रों को पूरी ईमानदारी से लागू करने के लिए सभी कदम उठाएगी।

मेहता ने कहा कि गोलपाड़ा में नए हिरासत केंद्र की स्थापना के लिए राज्य सरकार ने निविदाएं आमंत्रित की हैं और पहले से निर्मित प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर अगले साल 31 अगस्त तक इस काम को पूरा कर लेने की उम्मीद है।

राज्य सरकार ने यह भी कहा कि 47 घोषित विदेशी नागरिकों या उनके परिवार के सदस्यों, जिन्हें फिर से मिलाने के लिए स्थानांतरित करने का प्रस्ताव है, और स्थानांतरण की प्रक्रिया में करीब 15 दिन लगेंगे।

पीठ ने दो नवंबर को अपने आदेश में कहा कि उसका मत है कि बगैर किसी वैध कारण के परिवारों को, विशेषकर उस स्थिति में जब कई को पहले ही लंबे समय से अलग रखा जा चुका है, अलग रखना अनुचित होगा।

पीठ ने कहा कि इसलिए असम सरकार को इस प्रक्रिया को तेज कर सात दिन और अधिकतम दस दिन के भीतर पूरा करना चाहिए क्योंकि पहले ही काफी समय बीत गया है। पीठ इस मामले में अब अगले साल फरवरी में विचार करेगी


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