Move to Jagran APP

दुश्‍मनों के लिए काल साबित होंगे यूटिलिटी और मल्टी रोल हेलीकॉप्टर, सेना होगी मजबूत

पड़ोसी देशों से अक्सर मिलने वाली सैन्य चुनौतियों का सामना करने के लिए केंद्र सरकार ने रक्षा सौदों के लिए बड़ी रकम खर्चने की मंजूरी दी है। इससे देश की सेना के तीनों अंगों को सैन्य आधुनिकीकरण के लिए भरपूर मदद मिलेगी।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 10 Sep 2018 11:09 AM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 08:36 AM (IST)
दुश्‍मनों के लिए काल साबित होंगे यूटिलिटी और मल्टी रोल हेलीकॉप्टर, सेना होगी मजबूत
दुश्‍मनों के लिए काल साबित होंगे यूटिलिटी और मल्टी रोल हेलीकॉप्टर, सेना होगी मजबूत

डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव। पाकिस्तान और चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने नौसेना और थल सेना के लिए करीब 45,879 करोड़ रुपये के रक्षा सौदों को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस अहम निर्णय से नौसेना एवं थल सेना की ताकत में बढ़ोतरी होगी। इस फैसले के मुताबिक लगभग 21,000 करोड़ रुपये से नौसेना के लिए 111 यूटिलिटी हेलीकॉप्टर खरीदे जाएंगे। भारतीय नौसेना हिंद महासागर में चीन की चुनौतियों के बीच अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए लंबे समय से इन हेलीकॉप्टरों की मांग कर रही थी। भारत को घेरने के लिए चीन श्रीलंका, मालदीव, पाकिस्तान एवं मलेशिया में अपने सैनिक अड्डे बना रहा है। पाकिस्तान से घुसपैठ और समुद्री सीमा से आतंकी हमले की आशंका रहती है। इसके अलावा करीब 24,879 करोड़ रुपये से 24 बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर, थल सेना के लिए 150 उन्नत किस्म की आधुनिक आर्टिलरी गन सिस्टम की तोपें एवं कम दूरी तक मार करने वाली 14 मिसाइलें खरीदने का फैसला हुआ है। ये खरीद प्रस्ताव काफी दिनों से अटके हुए थे।

loksabha election banner

रिक्वेस्ट फॉर इनफॉरमेशन
अगस्त 2017 में नौसेना ने 111 यूटिलिटी हेलीकॉप्टर व 123 मल्टी रोल हेलीकॉप्टरों के लिए रिक्वेस्ट फॉर इनफॉरमेशन (आरएफआइ) दी थी। इसके पहले वर्ष 2011 तथा 2013 में भी आरएफआइ जारी हुई थी। रक्षा खरीद से जुड़े इन तमाम सौदों को स्वीकृति देने से देश में रक्षा मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में आत्मनिर्भरता आएगी। रक्षा मंत्रालय के बहुचर्चित सामरिक भागीदारी मॉडल के तहत यह पहला प्रोजेक्ट है। सामरिक भागीदारी मॉडल की विषेशता यह है कि इसके तहत भारतीय सामरिक भागीदार लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, पनडुब्बी और बख्तरबंद वाहन जैसे बड़े रक्षा प्लेटफार्म देश में ही बनाए जाएंगे। 125 अगस्त को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद की बैठक में इन अहम प्रस्तावों को मंजूरी देने के बाद रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ को एक नई उड़ान मिलेगी।

सेना की ताकत में भारी इजाफा
इसके साथ ही नौसेना तथा थल सेना की ताकत में भारी इजाफा होगा। रक्षा मंत्रालय ने रणनीतिक साझेदारी के स्ट्रेटजिक प्लेटफॉर्म मॉडल के तहत इन हेलीकॉप्टरों को हासिल करने की यह पहली योजना तैयार की है। इस योजना के तहत भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों से साझेदारी सहयोग कर विशिष्ट तकनीक हासिल करेगी। दरअसल रक्षा मंत्रालय का उद्देश्य रणनीतिक साझेदारी के सहारे स्वदेश में ही रक्षा उत्पादन एवं अनुसंधान का ढांचा तैयार करना है। इस तरह विदेशों की वास्तविक उत्पाद निर्माता कंपनियों यानी ओरिजनल एक्वीपमेंट मैन्यूफैक्चर्स की मदद से देश में बड़े स्ट्रेटजिक प्लेटफॉर्म बनने लगेंगे। हेलीकॉप्टर खरीद के इस तरीके से स्वदेश में रक्षा उड्डयन उद्योग का भी विस्तार होगा। यूटिलिटी हेलीकॉप्टर एक तरह का बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर है। यह जमीनी हमले से लेकर हवाई हमले करने तक की क्षमता रखता है।

यहां आएंगे काम
सैनिकों की रसद सामग्री, कमान और नियंत्रण के अतिरिक्त सैनिकों को लाने व ले जाने में भी यह सहायक है। इन विषेशताओं के कारण ये हेलीकॉप्टर नौसेना की अग्रिम पंक्ति के धावा बोलने के अहम अंग होंगे। नौसेना के लिए खरीदे जाने वाले यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों का उपयोग हमलावर अभियानों में किया जाएगा। साथ ही तलाशी, बचाव एवं निगरानी अभियानों में भी इन्हें लगाया जाएगा। रक्षा खरीद परिषद ने पनडुब्बी रोधी क्षमता वाले 24 मल्टीरोलर उड़न खटोलों की खरीद की भी मंजूरी प्रदान की है। इससे नौसैन्य बल की समुद्री ताकत व रणनीतिक क्षमता में काफी इजाफा होगा। ये पनडुब्बी रोधी हेलीकॉप्टर नौसेना के विमानवाहक युद्धपोतों, जंगी जहाजों व अन्य युद्धपोतों में तैनात किए जाएंगे। फ्रांस सरकार से राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद की तरह 24 बहुउद्देश्यीय एमएच-60 रोमियो चॉपर्स हेलीकॉप्टर सीधे अमेरिका से खरीदे जाएंगे।

लॉकहीड कंपनी ने किया निर्माण 
इनका निर्माण अमेरिका की लॉकहीड कंपनी ने किया है। लंबे समय से ऐसे हेलीकॉप्टरों की जरूरत थी। ये पनडुब्बी रोधी अभियानों के साथ ही समुद्र में पूर्व चेतावनी देने संबंधी काम भी करेंगे। ऐसे हेलीकॉप्टर विमानवाहक पोतों, विध्वंसक पोतों और फ्रिगेट जैसे युद्धपोतों का हिस्सा होते हैं। रोमियो चॉपर्स हेलीकॉप्टर चीनी पनडुब्बियों के समानांतर नौसेना की आक्रमण करने की अग्रिम पंक्ति के महत्वपूर्ण अस्त्र-शस्त्र और उपकरण के भाग होंगे। इसके अलावा 14 छोटी दूरी के मिसाइल सिस्टम को भी नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात किया जाएगा। इनकी मदद से नौसेना के युद्धपोत जरूरत पड़ने पर सीधे दुश्मन के जहाजों और युद्धपोतों पर तेजी से आक्रमण कर उन्हें आसानी से नष्ट कर सकेंगे। इस मिसाइल प्रणाली को नौसेना समुद्र में अपने जहाजों को दुश्मन के हमलों से बचाव के लिए रक्षा कवच बनाएगी। ऐसे 10 सिस्टम देश में ही विकसित किए जाएंगे।

डीआरडीओ
थल सेना के आधुनिकीकरण के सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए सरकार ने उसके लिए देश में ही बनी 150 स्वदेशी अत्याधुनिक तोप प्रणाली की खरीद की जाएगी। इस नवीनतम तोप प्रणाली का डिजाइन विकास भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने किया है। डीआरडीओ ने इस अत्याधुनिक आर्टिलरी गन सिस्टम को थल सेना की जरूरतों के हिसाब से ही विकसित किया है। ये तोपें भविष्य में सेना के तोपखाने का प्रमुख आधार बनेंगी। रक्षा मंत्रालय का मकसद पुराने गन सिस्टम की जगह सेना को 155 मिलीमीटर के आधुनिक सिस्टम से लैस करना है और उसे उम्मीद है कि यह गन सिस्टम सीमा पर सेना के मुख्य हथियारों का हिस्सा होगा।

मनोबल होगा ऊंचा
इस गन सिस्टम की जरूरत सेना काफी पहले से ही बता रही थी। बोफोर्स तोपों की खरीद के बाद अब नई तोपों के मिलने से सेना का मनोबल भी ऊंचा होगा। उपरोक्त रक्षा खरीद प्रक्रिया की मंजूरी भले ही देर से दी गई हो लेकिन इस प्रक्रिया से जहां मेक इन इंडिया को गति मिलेगी वहीं नौसेना व थल सेना की ताकत बढ़ेगी। इन प्रयासों की प्रक्रिया में यह तथ्य भी उभरकर सामने आएगा कि रक्षा क्षेत्र में पहली बार स्वदेशी कंपनियों की क्षमता की जानकारी हासिल होगी और इससे नए रास्ते भी खुलेंगे।

[लेखक सैन्‍य विज्ञान के प्राध्यापक हैं]

हवाई सफर करने वालों को अब नहीं होगी बोर्डिंग पास की टेंशन, चेहरा करेगा ये काम
इस इंसान ने बदल दी गांव के युवाओं की जिंदगी, कोई है IAS तो कोई IPS
आप भी जानें आखिर चीन और पाकिस्‍तान के सामने कहां ठहरती है हमारी वायु सेना
छत्तीसगढ़ के छोटे से गांव पुरई के 12 नन्हे तैराकों को बनाया जाएगा भविष्य का ओलंपियन
जानिये आखिर भारत ने भी क्‍यों बनाया ओरेंज कलर का स्‍पेस सूट, क्‍या है इसके पीछे राज
रूस शुरू करने वाला है अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्‍यास, नाटो भी जवाब देने को उतावला 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.