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केंद्रीय मंत्री ने कहा- मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता सीएए और एनपीआर लागू कराने की है

सरकार की पहली प्राथमिकता सीएए और एनपीआर लागू कराने की है। सरकार फिलहाल एनआरसी को आगे ब़़ढाकर विरोध प्रदर्शनों को हवा देने के मूड में नहीं है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 04 Feb 2020 11:05 PM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 11:05 PM (IST)
केंद्रीय मंत्री ने कहा- मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता सीएए और एनपीआर लागू कराने की है
केंद्रीय मंत्री ने कहा- मोदी सरकार की पहली प्राथमिकता सीएए और एनपीआर लागू कराने की है

नई दिल्ली [ ब्यूरो ]। भले ही पूरे देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर [ एनआरसी ] को लेकर प्रदर्शनों का दौर जारी है, लेकिन सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि इसको लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार ने संसद में बाकायदा लिखित जवाब में यह जानकारी दी है। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी साफ कर चुके हैं कि एनआरसी को लेकर सरकार के भीतर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है।

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सरकार की पहली प्राथमिकता सीएए और एनपीआर लागू कराने की है

सीएए से एनपीआर और एनआरसी जोड़कर आम जनता को गुमराह किए जाने के बाद सरकार इसे लेकर सतर्क हो गई है। सरकार की पहली प्राथमिकता सीएए और एनपीआर लागू कराने की है। सीएए में केवल अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए वहां के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इसके विरोध के औचित्य को सही ठहराना आसान नहीं है। इसी तरह एनपीआर का भी विरोध केवल एनआरसी से जोड़कर हो रहा है। ऐसे में सरकार फिलहाल एनआरसी को आगे ब़़ढाकर विरोध प्रदर्शनों को हवा देने के मूड में नहीं है।

एनआरसी पर अभी कोई फैसला नहीं

लोकसभा में एक सवाल के जवाब में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा, 'अभी तक सरकार ने भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर [ एनआरआईसी ] को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का कोई निर्णय नहीं लिया है।'

पीएम ने भी कहा था- एनआरसी को लेकर सरकार में कोई चर्चा नहीं हुई

इससे पहले 22 दिसंबर को दिल्ली में एक रैली में प्रधानमंत्री ने भी साफ-साफ कहा था कि 2014 में जबसे उनकी सरकार सत्ता में आई है, एनआरसी को लेकर सरकार के भीतर कोई चर्चा ही नहीं हुई है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि एनआरसी को लेकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है और यह आश्वासन दिया था कि जब भी एनआरसी आएगा किसी भी भारतीय नागरिक को इससे डरने की जरूरत नहीं है।

सदन में पूछे गए थे पांच सवाल

दरअसल, लोकसभा में सांसद चंदन सिंह और एन. नागेश्वर राव ने एनआरसी को लेकर सरकार से पांच सवाल पूछे थे, जिनमें एनआरसी शुरू करने की योजना, इसके पीछे का उद्देश्य, इसके लिए तय समय-सीमा, इससे प़़डने वाले आर्थिक बोझ और राज्य सरकारों से विचार-विमर्श किए जाने से जैसे सवाल थे।

इन सवालों का कोई औचित्य नहीं- मंत्री

गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने साफ कर दिया कि चूंकि एनआरसी पर कोई चर्चा ही नहीं हुई है, इसलिए इन सवालों का कोई औचित्य ही नहीं है।

राष्ट्रपति ने भी एनआरसी का कोई जिक्र नहीं किया था

इससे पहले सदन के मौजूदा सत्र के संयुक्त अधिवेशन में दिए अभिभाषषण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी एनआरसी का कोई जिक्र नहीं किया था। जबकि नई लोकसभा के गठन के बाद पहले संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने एनआरसी को नई सरकार की प्राथमिकता में गिनाया था। यही नहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने भी नागरिकता संशोधन कानून [ सीएए ] पर चर्चा के दौरान एनआरसी लाने की प्रतिबद्धता जताई थी।


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