सरकार और आरबीआइ के बीच होगी बीच की राह निकालने की कोशिश
आरबीआइ की तरफ से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि सरकार की तरफ से जो मुद्दे उठाए जा रहे हैं उन पर वह थोड़ा नरम पड़ सकता है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार पहले ही यह सार्वजनिक कर चुकी है कि रिजर्व बैंक के पूर्ण निदेशक बोर्ड की आगामी बैठक में उसके प्रतिनिधि किन मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाने की कोशिश करेंगे। अब आरबीआइ की तरफ से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि सरकार की तरफ से जो मुद्दे उठाए जा रहे हैं उन पर वह थोड़ा नरम पड़ सकता है।
ऐसे में इस बात की संभावना है कि प्रोम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीएसी), एनपीए और बासेल-तीन जैसे मुद्दे जो तनाव की वजह बने हैं उस पर थोड़े बहुत बदलाव के साथ सहमति बन जाए।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि तमाम उद्योग जगत से जुड़े लोग सरकार से तरलता संकट के बारे में शिकायत कर रहे हैं। तरलता (लिक्विडिटी यानी बैंकों की तरफ से फंड उपलब्ध कराने की व्यवस्था) के तरफ अभी ध्यान नहीं दिया गया तो यह पूरी अर्थव्यवस्था को धक्का पहुंचा सकता है। तरलता को दूर करने के लिए आरबीआइ को उक्त तीनों नियमों में थोड़ा बहुत बदलाव करना होगा।
आरबीआइ की तरफ से सरकार को इस बात के संकेत दिए गए हैं कि वह कुछ मुद्दों पर नरम रुख अपनाने को तैयार है। खास तौर पर छोटे व मझोले उद्योगों (एसएमई) को ज्यादा से ज्यादा कर्ज उपलब्ध कराने के मामले पर आरबीआइ समुचित कदम उठाने की जरुरत आरबीआइ भी महसूस कर रहा है।
एसएमई समेत समूचे उद्योग क्षेत्र को ज्यादा फंड उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वित्त मंत्रालय यह भी चाहता है कि फरवरी, 2018 से लागू एनपीए नियम में कुछ रियायत दी जाए। इस नियम के तहत बैंकिंग कर्ज को 180 दिनों तक नहीं चुकाने वाले सभी ग्राहकों के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत प्रक्रिया शुरु करने का प्रावधान है।
इस नियम के लागू होने से हजारों छोटे व मझोले उद्योगों को कर्ज नहीं मिल पा रहा है। वित्त मंत्रालय की मंशा है कि एसएमई को कुछ दिनों के लिए इस नियम से अलग रखा जाए। माना जा रहा है कि आरबीआइ यहां भी कुछ नरमी दिखा सकता है।
इसके अलावा ज्यादा फंड उपलब्ध कराने के लिए वित्त मंत्रालय की तरफ से बासेल-तीन नियमों में कुछ बदलाव का प्रस्ताव किया जाएगा। बासेल-तीन नियम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तय बैंकिंग नियम है जिसे दुनिया के हर केंद्रीय बैंक अपने अधिकार क्षेत्र के तहत आने वाले वाणिज्यिक बैंकों के लिए लागू कर रहे हैं। यह बैंकों को जोखिम की स्थिति में ज्यादा सुरक्षित रखने के लिए तैयार किये गये नियम है जिसके तहत बैंकों को ज्यादा राशि सुरक्षित रखनी होगी।
इसके तहत पूंजी पर्याप्तता अनुपात को 9 फीसद रखने के अलावा आपातकालीन परिस्थितियों के लिए अलग से 2.5 फीसद की राशि रखनी है। ये नियम मार्च, 2019 से लागू करने की घोषणा की गई है। वित्त मंत्रालय चाहता है कि इस नियम में बदलाव करते फिलहाल उन्ही बैंकों के लिए इसे लागू किया जाए जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालन कर रहे हैं। इससे देश के छोटे स्तर के सरकारी बैंक ज्यादा कर्ज वितरित कर सकेंगे।