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गंगा की सफाई पर बोले गडकरी, सात राज्यों में बना रहे 115 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दावा किया कि अगले छह महीने में कुछ हद तक गंगा साफ नजर आने लगेगी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 07:24 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 12:09 AM (IST)
गंगा की सफाई पर बोले गडकरी, सात राज्यों में बना रहे 115 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
गंगा की सफाई पर बोले गडकरी, सात राज्यों में बना रहे 115 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि केंद्र सरकार ने गंगा के कायाकल्प के लिए भगीरथ प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके तहत एक बड़ा कदम उठाते हुए 18000 करोड़ रुपये की लागत से सात राज्यों में 115 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि अगले छह महीने में कुछ हद तक गंगा साफ नजर आने लगेगी।

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परिवहन, नदी विकास और गंगा पुनरोद्धार मंत्री गडकरी ने रविवार को बताया कि देश की सांस्कृतिक धरोहर की पहचान गंगा का कायाकल्प करना उनके दिल के करीब है। इस व्यापक परियोजना के अलावा, रिवर फ्रंट के विकास का काम भी जारी है।

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गंगा के नेशनल वाटरवेज-1 पर मालवाहक परिवहन विकसित करने की प्रक्रिया भी चल रही है। उन्होंने बताया कि गंगा को निर्मल और विरल बनाने के लिए सरकार उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और दिल्ली में 17,876.69 करोड़ रुपये की लागत से सीवेज ट्रीटमेंट परियोजना शुरू करा रही है।

उन्होंने बताया कि यह 115 नये सीवेज प्लांट गंगा नदी के पास कुल 240 सीवेज प्लांट विकसित करने के आधारभूत ढांचे का हिस्सा हैं। इनमें से 27 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का काम पूरा हो चुका है। 42 में कार्य प्रगति पर है और साथ परियोजना का काम स्वीकृत किया जा चुका है। इसके अलावा, 34 अन्य परियोजनाओं के लिए टेंडर निकाले जा चुके हैं।

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उत्तराखंड में 31, उप्र में 32 नये प्रोजेक्ट 
इसमें कुल 31 प्रोजेक्ट उत्तराखंड, 32 उत्तर प्रदेश, 20 बिहार, 16 पश्चिम बंगाल और दो-दो झारखंड और हरियाणा में बनने हैं। उन्होंने कहा कि हम नासिर्फ नई परियोजनाएं शुरू कर रहे हैं, बल्कि 84 पुराने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की समीक्षा भी हो रही है। इनमें से 39 प्लांट ठीक से काम कर रहे हैं लेकिन बाकियों में सुधार की जरूरत है। ऐसी 14 परियोजनाओं में सुधार का काम शुरू हो चुका है जबकि 12 के लिए मंजूरी दी जा चुकी है।

दस शहर करते हैं 65 फीसद प्रदूषण  
इन प्रयासों के चलते 1700 एमएलडी सीवेज को साफ करने की क्षमता हासिल हो चुकी है। नदी के किनारे बसे शहर 2,950 एमएलडी सीवेज पैदा करते हैं और अगर पानी को शुद्ध करने के कदम नहीं उठाए गए तो अगले 15 सालों में यह सीवेज 3,600 एमएलडी हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि गंगा नदी को प्रदूषित करने वाले कुल 97 शहर हैं। इसमें से दस शहर सबसे अधिक प्रदूषित करते हैं जिनमें हरिद्वार, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना, भागलपुर और कोलकाता शामिल हैं। अकेले यही शहर नदी में 65 फीसद कचरा डालते हैं।

प्रदूषणकर्ता 48 नये शहर पहचाने 
गडकरी ने बताया कि गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे ऐसे 48 नये शहरों की पहचान की गई है जो नदी को प्रदूषित कर रहे हैं। 'क्लीन गंगा' परियोजना के तहत इनकी सफाई की जाएगी। इसकी विस्तृत डीपीआर रिपोर्ट अक्टूबर तक आएगी। केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में महत्वाकांक्षी परियोजना नमामि गंगे के तहत 20,000 करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे।


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