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G7 Summit 2021: पीएम मोदी ने दिया 'वन अर्थ, वन हेल्थ' का मंत्र, कहा- महामारी को रोकने में लोकतांत्रिक देशों की भूमिका महत्वपूर्ण

सूत्रों ने बताया कि ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन ने TRIPS छूट के बारे में पीएम मोदी के साथ चर्चा की। इस मसले को ऑस्ट्रेलिया ने मजबूती से उठाने व अपने समर्थन देने की बात कही। फ्रांस बोला- बड़े पैमाने पर वैक्सीन उत्पादन के लिए भारत जरूरी

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 11:16 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 08:53 AM (IST)
G7 Summit 2021: पीएम मोदी ने दिया 'वन अर्थ, वन हेल्थ' का मंत्र, कहा- महामारी को रोकने में लोकतांत्रिक देशों की भूमिका महत्वपूर्ण
G7 Summit: पीएम मोदी ने आउटरीच सत्र में दिया 'वन अर्थ, वन हेल्थ' का मंत्र

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। दुनिया के सबसे विकसित सात लोकतांत्रिक देशों की शिखर बैठक जी-7 की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन अर्थ-वन हेल्थ का नारा दिया है। पिछले दो दिनों से चल रही इस शिखर बैठक में कोरोना महामारी से बचाव के उपायों और वैश्विक अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के सामूहिक उपायों पर चर्चा हो रही है। विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वर्चुअल संबोधन में दुनिया के हर नागरिक के लिए एक जैसी स्वास्थ्य सुविधाएं होने की बात सामने रखी है।

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प्रधानमंत्री ने विश्व के सभी नागरिकों के लिए समान स्वास्थ्य सुविधाओं की परिकल्पना पेश की

कोरोना काल में प्रधानमंत्री मोदी ने हेल्थ सेक्टर में दुनिया के तमाम देशों के बीच भेदभाव मिटाने की तरफ इशारा किया जिसका कुछ दूसरे वैश्विक नेताओं ने स्वागत किया। वन अर्थ-वन हेल्थ के उनके नारे का जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने समर्थन किया। ब्रिटेन में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान की सरकारों के प्रमुखों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के लिए खास इंतजाम किया गया था। सिर्फ वैश्विक नेताओं के बीच बंद कमरे में आयोजित बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जानसन, जर्मन चांसलर मर्केल समेत हर नेता के सामने एक टीवी स्क्रीन था जिन्हें प्रधानमंत्री मोदी ने सजीव संबोधित किया।

सूत्रों के मुताबिक, मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य में कोरोना जैसी दूसरी महामारी न हो, इससे बचने के लिए लोकतांत्रिक देशों के बीच और बेहतर सामंजस्य होना चाहिए। मोदी ने इस बात को रखने के लिए लोकतांत्रिक और पारदर्शी समाज का विशेषण इस्तेमाल किया जिसका कूटनीतिक सíकल में खास मतलब निकाला जा रहा है। सनद रहे कि कोरोना महामारी के लिए जिस वायरस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, उसकी उत्पत्ति को लेकर चीन की भूमिका पर सवाल उठाया जा रहा है। सवाल उठाने में अमेरिका समेत जी-7 के कुछ अन्य देश महत्वपूर्ण हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कोरोना से भारत की लड़ाई के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि महामारी के खिलाफ भारत ने एक समग्र समाज के तौर पर लड़ाई लड़ी और इसमें सरकार, उद्योग व सिविल सोसायटी की एक समान भूमिका रही। भारत ने ओपन सोर्स डिजिटल टूल का इस्तेमाल किया इससे संक्रमित लोगों की पहचान करने, वैक्सीन प्रबंधन करने में मदद मिली। मोदी ने यह भी प्रस्ताव रखा कि भारत अपने इस अनुभव को दूसरे देशों के साथ साझा करने को भी तैयार है। वैश्विक स्तर पर एक हेल्थ गवर्नेंस बनाने की मुहिम को भी भारत की तरफ से पूरा समर्थन देने की बात प्रधानमंत्री ने कही।

उन्होंने विश्व व्यापार संगठन में कोरोना महामारी से जुड़ी दवाइयों व वैक्सीन को पेटेंट से मुक्ति दिलाने की कोशिश में जी-7 देशों की मदद भी मांगी। सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्काट मारीसन ने अपने संबोधन में भारत व दक्षिण अफ्रीका की तरफ से लाए गए इस प्रस्ताव को पूरा समर्थन देने का एलान किया। मोदी ने यह भी प्रस्ताव किया कि कोरोना वैक्सीन के लिए जरूरी कच्चे माल की आपूर्ति को निर्बाध तौर पर जारी रखना सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए जरूरी है।

भारत के इस प्रस्ताव का भी दूसरे देशों ने समर्थन किया। प्रधानमंत्री मोदी रविवार को भी इस बैठक के एक सत्र को संबोधित करेंगे। रविवार का दिन जी-7 देशों की बैठक के लिए काफी महत्वपूर्ण है। सनद रहे कि पहले प्रधानमंत्री मोदी को इस बैठक में भाग लेने के लिए ब्रिटेन जाना था, लेकिन देश में कोरोना की स्थिति को देखते हुए उन्होंने यात्रा टाल दी थी।


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