परवान चढ़ने लगी है गरीबों के मुफ्त और कैशलेस इलाज की योजना
आयुष्मान भारत योजना के लांच के तीन महीने के भीतर छह लाख से अधिक गरीबों का मुफ्त व कैशलेस इलाज किया जा चुका है।
नई दिल्ली, नीलू रंजन। गरीबों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई आयुष्मान भारत धीरे-धीरे परवान चढ़ने लगी है। योजना के लांच के तीन महीने के भीतर छह लाख से अधिक गरीबों का मुफ्त व कैशलेस इलाज किया जा चुका है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि 'आंकड़े स्पष्ट तौर बताते हैं कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ सुदूरवर्ती इलाकों में भी गरीब लोगों को मिल रहा है।'
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जैसे-जैसे गरीब परिवारों को इस योजना की जानकारी मिल रही है, इसका लाभ उठाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। योजना की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां तीन महीने में लगभग 31 लाख ई-कार्ड लाभार्थियों को दिये गए थे, वहीं पिछले 24 घंटे में 1.21 लाख ई-कार्ड जारी किये गए हैं।
इस योजना के तहत प्रधानमंत्री की ओर से सभी गरीब परिवारों को पत्र भेजा जा रहा है। अभी तक 6.45 परिवारों को यह पत्र भेजा जा चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद समय-समय पर इस योजना की निगरानी कर रहे हैं। उनका स्पष्ट निर्देश है कि कोई भी गरीब पैसे की कमी के कारण इलाज से वंचित नहीं रह पाए।
सबसे बड़ी बात यह है कि इस योजना के तहत गरीबों के इलाज पर आने वाले खर्च के भुगतान के लिए अस्पतालों को लंबा इंतजार भी नहीं करना पड़ रहा है। इसके तहत अस्पतालों को 15 दिन के भीतर पूरा भुगतान किया जा रहा है। अभी तक गरीबों के इलाज पर कुल 817 करोड़ रुपये का खर्च आया है, जिनमें 472 करोड़ रुपये अस्पतालों को दिये जा चुके हैं।
यही कारण है कि अस्पतालों में भी इस योजना से जुड़ने की इच्छा बढ़ती जा रही है। अभी तक लगभग 16 हजार अस्पताल इस योजना से जुड़ चुके हैं, वहीं लगभग 59 हजार अन्य अस्पताल ने योजना से जुड़ने के लिए आवेदन किया है।
जेपी नड्डा के अनुसार 'आयुष्मान भारत के तहत शुरू किया गया प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना पहले दिन से ही उन गरीबों के लिए एक विश्वास बनकर उभरा है, इलाज के बोझ के कारण जिनका परिवार टूट जाता था या फिर वे इलाज से ही वंचित रह जाते थे।'
इस योजना के तहत लगभग 50 करोड़ गरीबों को सालाना पांच लाख रुपये तक मुफ्त और कैशलेस इलाज की सुविधा का प्रावधान है। लेकिन अभी तक इस योजना के तहत जो गरीब भर्ती हुए हैं, उनके इलाज पर औसतन 13 हजार से भी कम का खर्च आया है।
तेलंगाना, ओडिशा और दिल्ली को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश इस योजना में शामिल हैं। पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों में इस योजना पर आने खर्च का 90 फीसदी केंद्र सरकार वहन करती है, जबकि बाकि राज्यों में 60 फीसदी योगदान केंद्र सरकार का होता है।