मणिपुर सरकार से इस्तीफा देने वाले एनपीपी के चारों मंत्री आए दिल्ली, हेमंत सरमा ने संभाली कमान
पिछले हफ्ते एनपीपी के चार मंत्रियों भाजपा के तीन बागी विधायकों तृणमूल कांग्रेस के एकमात्र विधायक व एक निर्दलीय विधायक के इस्तीफे के बाद राज्य की बीरेन सिंह सरकार संकट में आ गई है।
इंफाल, प्रेट्र। मणिपुर की एन. बीरेन सिंह सरकार पर मंडरा रहे संकट को दूर करने की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ा है। इसके तहत इस्तीफा देने वाले नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के चारों मंत्रियों को केंद्रीय नेतृत्व से मिलाने के लिए मंगलवार को दिल्ली ले जाया गया।
भाजपा सूत्रों ने बताया कि एनईडीए संयोजक हेमंत बिश्व सरमा व एनपीपी अध्यक्ष कॉनराड संगमा के साथ दिन में हुई ताजे दौर की बैठक में एनपीपी नेता राज्य की भाजपानीत गठबंधन सरकार के नेतृत्व में बदलाव की मांग पर अड़ गए। इसके बाद पूर्वोत्तर में भाजपा के संकटमोचक माने जाने वाले हेमंत सरमा विशेष विमान से चारों नेताओं को लेकर दिल्ली के लिए रवाना हो गए। इससे पहले सरमा ने कहा, 'इस समस्या का जल्द समाधान होगा।'
कांग्रेस ने सरकार बनाने की जताई उम्मीद
गत हफ्ते एनपीपी के चार मंत्रियों, भाजपा के तीन बागी विधायकों, तृणमूल कांग्रेस के एकमात्र विधायक व एक निर्दलीय विधायक के इस्तीफे के बाद राज्य की बीरेन सिंह सरकार संकट में आ गई है। एनपीपी के केवल चार विधायक हैं और पार्टी सरकार से समर्थन वापस ले सकती है। ऐसे में कांग्रेस नौ बागियों को साथ लेकर राज्य में सेक्यूलर प्रोग्रेसिव फ्रंट (एसपीएफ) की सरकार बना सकती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोइरंगथेम ओकेंद्र ने उम्मीद जताई कि एनपीपी के मंत्री भाजपा के दबाव में नहीं झुकेंगे और राज्य में एसडीएफ की सरकार बनेगी।
बता दें कि 19 जून के राज्यसभा चुनाव में, कांग्रेस के तीन दल बदलने वाले नेताओं को वोट डालने की अनुमति नहीं दी गई क्योंकि उनके खिलाफ मामले लंबित हैं। हालांकि, अन्य चार मतदान कर सकते थे। हाल ही में अयोग्य घोषित किए गए एक विधायक को भी मतदान प्रक्रिया में भाग लेने से रोक दिया गया था।
गौरतलब है कि 60 सदस्यीय विधानसभा में फिलहाल सदस्यों की संख्या 59 है। भाजपा के पास उसके 18 विधायक नगा पीपुल्स फ्रंट के चार विधायक और लोजपा का एक विधायक रह गए हैं। ऐसे में कांग्रेस, सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली है।