संघ कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी बोले- बहुलवाद में बसती है भारत की आत्मा
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि 5000 वर्ष पुरानी हमारी सभ्यता को कोई भी विदेशी आक्रमणकारी और शासक खत्म नहीं कर पाया।
नागपुर (एजेंसी)। नागपुर में संघ के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि वह भारत के बारे में बात करने आए हैं। उन्होंने कहा, 'मैं इस कार्यक्रम में देशभक्ति की बात करने आया हूं। भारत के बारे में बात करने आया हूं। देश के प्रति निष्ठा ही देशभक्ति है। भारत के दरवाजे सभी के लिए खुले हुए हैं। भारत यूरोप और अन्य दुनिया से पहले ही एक देश था।' प्रणब मुखर्जी ने कहा कि विविधता ही भारत की ताकत है। असहिष्णुता से हमारी राष्ट्रीय पहचान धूमिल होती है। अगर हम भेदभाव और नफरत करेंगे, तो यह हमारी पहचान के लिए खतरा बन जाएगा। धर्म के आधार पर राष्ट्र की परिभाषा गलत, वसुधैव कुटुंबकर भारत का मंत्र रहा है।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि 5000 वर्ष पुरानी हमारी सभ्यता को कोई भी विदेशी आक्रमणकारी और शासक खत्म नहीं कर पाया। कई लोगों ने सैकड़ों सालों तक भारत पर शासन किया, फिर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारत पर शासन किया। बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी आई। 12वीं सदी के बाद भारत में 600 साल मुस्लिम शासकों का राज रहा। लेकिन हमारी संस्कृति कामय रही। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद किसी भाषा, रंग, धर्म, जाति आदि से प्रभावित नहीं होता। भारत की आत्मा बहुलवाद में बसती है। इतनी विविधता के बावजूद भारतीयता ही हमारी पहचान है। बातचीत से ही विभिन्न विचाराधारा के लोगों की समस्याओं का समाधान संभव है। हमें लोकतंत्र गिफ्ट के रूप में नहीं मिला। बाल गंगाधर तिलक ने 'स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है' का नारा दिया।
मोहन भागवत बोले- संघ के लिए कोई पराया नहीं
नागपुर के कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को अपना समय देने के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही कहा कि यह संघ का एक नियमित कार्यक्रम है, हर साल होता है, लेकिन इस बार चर्चा कुछ ज्यादा है। प्रणब मुखर्जी के कार्यक्रम में आने को लेकर तरह-तरह की चर्चा हो रही है, जो बेकार है। संघ के लिए कोई पराया नहीं है। संघ पूरे समाज को एकजुट करना चाहता है। भागवत ने कहा कि प्रणब मुखर्जी को कैसे और क्यों बुलाया, ये चर्चा गैरजरूरी है। भारत की भूमि पर जन्मा हर शख्स अपना है, इसमें कोई विवाद नहीं है। देश में विविधता होना सुंदरता और समृद्धि की निशानी है। दूसरों की विविधता को स्वीकार करके उसे सम्मान देते हुए एकता जरूरी है। भारत में जो कोई भी बाहर से आया उसे देश में शामिल किया गया। हम सभी को एक होकर देश की सेवा करनी होगी। सिर्फ सरकारें देश का भाग्य नहीं बनाती हैं।संघ प्रमुख ने बताया कि डॉ हेडगेवार आजादी से पहले कांग्रेस के आंदोलन में भी शामिल हुए थे। 1925 में हेडगेवार ने संघ की शुरुआत सिर्फ 17 लोगों के साथ की थी। स्थापना के बाद विभिन्न दिक्कतों के बाद भी संघ आगे बढ़ता गया, अब संघ लोकप्रिय है। आज संघ कार्यकर्ता जहां जाते हैं, उन्हें लोगों को प्यार मिलता है। संघ सबको जोड़ने वाला संगठन है।
इससे पहले प्रणब मुखर्जी आज नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक हेडगेवार के घर पहुंचे। यहां विजिटर बुक में प्रणब मुखर्जी ने हेडगेवार को भारत मां का महान सपूत लिखा। इस दौरान प्रणब मुखर्जी के साथ आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी मौजूद रहे। उन्होंने लिखा, 'मैं यहां भारत माता के महान सूपत को सम्मान और आदर देने के लिए आया हूं।'
भागवत के साथ प्रणब की चाय पर चर्चा
शाम 5.30 बजे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नागपुर के रेशमीबाग संघ मुख्यालय पहुंचे, जहां मोहन भागवत ने उनका स्वागत किया। वहां वे संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के स्मृति स्थल पर पुष्प अर्पित करने के बाद संघ के प्रमुख पदाधिकारियों से रूबरू हुए और मोहन भागवत और भैयाजी जोशी के साथ चाय पर चर्चा की।
पिता प्रणब का बेटी ने भी किया विरोध
संघ के आमंत्रण को प्रणब मुखर्जी द्वारा स्वीकार करने के बाद से ही उनका विरोध हो रहा है। पूर्व राष्ट्रपति की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी समेत कई कांग्रेस दिग्गजों ने मुखर्जी की इस प्रतिक्रिया का विरोध किया। शर्मिष्ठा ने ट्वीट कर लिखा कि आरएसएस भी इस बात पर विश्वास नहीं करेगा कि आप अपने भाषण में उनके विचारों का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि भाषण तो भुला दिया जाएगा, लेकिन तस्वीरें बनी रहेंगी और उनको नकली बयानों के साथ प्रसारित किया जाएगा।
आरएसएस को नहीं समझती कांग्रेस: एमजी वैद्य
पूर्व आरएसएस के प्रवक्ता एमजी वैद्य ने संघ के कार्यक्रम में प्रणब मुखर्जी को मुख्य् अतिथि बनाए जाने पर कहा कि कांग्रेस आरएसएस को नहीं समझती है। वे सोचते हैं कि आरएसएस भाजपा है। मैं भाजपा के प्रति उनका विरोध समझता हूं लेकिन आरएसएस भाजपा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘डॉ. मुखर्जी एक अनुभवी और परिपक्व राजनेता हैं। अनेक सामाजिक और राष्ट्रीय विषयों के बारे में उनके निश्चित विचार हैं। संघ ने उनके अनुभव और परिपक्वता को ध्यान में रख कर ही उन्हें अपने विचार स्वयंसेवकों के सम्मुख रखने के लिए आमंत्रित किया है। वहां वे भी संघ के विचार सुनेंगे, शिक्षार्थियों से भी उनका प्रत्यक्ष मिलना होगा। इससे उन्हें भी संघ को सीधे समझने का एक मौका मिलेगा।‘
गर्मियों के दौरान आरएसएस पूरे देश में अपने स्वयंसेवकों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित करता है। तृतीय वर्ष का अंतिम प्रशिक्षण शिविर संघ के मुख्यालय नागपुर में आयोजित किया जाता है। अक्सर तृतीय वर्ष प्रशिक्षण हासिल करने के बाद ही किसी स्वयंसेवक को आरएसएस का प्रचारक बनने के योग्य माना जाता है।