Move to Jagran APP

रघुराम बोले- बड़े बकायेदारों की सूची पर कुंडली मारे बैठी रही मनमोहन सरकार, नहीं लिया एक्शन

राजन ने दावा किया कि बैंकों के सामने सबसे ज्यादा बैड लोन ऐसे हैं जिन्हें 2006 से 2008 के बीच आवंटित किया गया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 06:18 PM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 07:15 AM (IST)
रघुराम बोले- बड़े बकायेदारों की सूची पर कुंडली मारे बैठी रही मनमोहन सरकार, नहीं लिया एक्शन
रघुराम बोले- बड़े बकायेदारों की सूची पर कुंडली मारे बैठी रही मनमोहन सरकार, नहीं लिया एक्शन

नई दिल्‍ली, जेएनएन। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराज राजन ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर गंभीर आरेाप लगाए हैं। उन्‍होंने अपने कार्यकाल में बड़े बकाएदारों की एक सूची तत्‍कालीन पीएमओ को दी थी, जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लोकलेखा समिति के सामने पूर्व रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के बयान के बाद नॉन परफॉर्मिंग असेट (एनपीए) की समस्या और गंभीर हो गई है।

अब तक जहां कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम यह दावा करते रहे कि एनपीए की समस्या यूपीए के कार्यकाल के बाद विकट हुई, वहीं सत्तारूढ़ एनडीए का दावा है कि एनपीए की समस्या उन्हें विरासत में मिली है।  ऐसे में रघुराम राजन के जवाब के बाद एनपीए की समस्‍या को सीधे-सीधे यूपीए सरकार को जिम्‍मेदार माना गया है।   

loksabha election banner

राजन ने दावा किया कि बैंकों के सामने सबसे ज्यादा बैड लोन ऐसे हैं जिन्हें 2006 से 2008 के बीच आवंटित किया गया। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह ऐसा समय था जब आर्थिक विकास दर बेहद अच्छी थी और बैंकों को अधिक से अधिक कर्ज देकर इस रफ्तार को बढ़ाने की जरूरत थी लेकिन ऐसी परिस्थिति में बैंकों को चाहिए था कि वह कर्ज देने से पहले यह सुनिश्चित करता कि जिन कंपनियों को वह कर्ज दे रहा है, उनका स्वास्थ्य अच्छा है और वह समय रहते अपने कर्ज का भुगतान करने की स्थिति में हैं।

गौरतलब है कि लोकलेखा समिति ने पूर्व गवर्नर से कमेटी के सामने पेश होने की अपील की थी और बैंकों के एनपीए पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। कमेटी ने राजन को अपना पक्ष पत्र के जरिए रखने की छूट दी थी, जिसके बाद पूर्व गर्वनर ने एनपीए पर लोकसभा समिति को जवाब दिया। समिति को लिखे पत्र गए में राजन ने एनपीए की समस्या के रहस्य से पर्दा उठाते हुए लिखा है कि देश के बैंक एक टाइम बम पर बैठे हैं और जल्द इस बम को निष्क्रिय नहीं किया गया तो इसे फटने से कोई रोक नहीं सकता।

Image result for raghuram rajan and manmohan singh

गंदे तरीके से कर्ज देने की हुई शुरुआत

रघुराम राजन ने दावा किया कि जहां बैंकों ने इस दौरान नया कर्ज बांटने में लापरवाही बरती, वहीं ऐसे लोगों को कर्ज देने का काम किया, जिनका कर्ज नहीं लौटाने का इतिहास रहा है। ऐसे लिहाजा, यह बैंकों की बड़ी गलती थी और देश में गंदे तरीके से कर्ज देने की शुरुआत थी। राजन ने दावा किया कि इस दौर में कर्ज लेने वाले एक प्रमोटर ने उन्हें बताया कि बैंक ऐसे लोगों को भी कर्ज दे रहा था जिन्हें कर्ज की जरूरत नहीं थी और बैंक ने महज कंपनी से यह बताने के लिए कहा कि उसे कितने रुपयों का कर्ज चाहिए और वह कर्ज कंपनी को दे दिया गया।

बैंकों ने नहीं बरती सतर्कता
हालांकि रघुराम राजन ने कहा कि ऐसे दुनिया के अन्य देशों में भी देखने को मिला कि जब अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही होती है तो बैंक ज्यादा से ज्यादा कर्ज बाजार को देने को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन ऐसी स्थिति में बैंक को जरूरत से ज्यादा सजग रहने की जरूरत थी क्योंकि इन कर्जों के वापस न लौटने से तेज दौड़ती अर्थव्यवस्था कमजोर पड़ सकती है।

Related image

सरकारी बैंकों की भूमिका बेहद खराब
राजन ने एनपीए का ठीकरा देश की बैंकिंग व्यवस्था पर फोड़ते हुए लिखा कि एनपीए के खेल में देश के सरकारी बैंकों की भूमिका बेहद खराब रही। पूर्व गवर्नर के मुताबिक सरकारी बैंकों से कर्ज आवंटन में ऐसी लापरवाही की उम्मीद नहीं की थी। राजन के मुताबिक कर्ज देने के बाद बैंकों ने समय-समय पर कंपनियों द्वारा कर्ज की रकम खर्च किए जाने की सुध नहीं ली, जिसके चलते ज्यादातर कंपनियां कर्ज के पैसे का गलत इस्तेमाल करने लगीं।

वहीं कुछ प्रमोटर्स ने बैंकों की इस लापरवाही के चलते सस्ते उपकरणों की महंगी खरीद दिखाने के लिए फर्जी रसीद का सहारा लिया और बैंकों ने इसकी जांच किए बगैर उन्हें पास करने का काम बड़े स्तर पर किया। राजन ने दावा किया जहां देश प्राइवेट बैंक ऐसी कंपनियों को कर्ज देने से कतराने लगे जहां पैसा डूबने का डर था लेकिन सरकारी बैंकों ने इससे कोई सीख नहीं ली और लगातार डिफॉल्टर कंपनियों को कर्ज देने का काम जारी रखा।

कोयला आवंटन रद्द किए जाने का बड़ा प्रभाव
रघुराम राजन ने लोकसभा की समिति को लिखे पत्र में दावा किया कि जहां बैंक बड़े स्तर पर कंपनियों को कर्ज देने का काम कर रहे थे, वहीं देश में पहले यूपीए और फिर एनडीए सरकारें फैसला लेने में देरी करती रहीं। इस दौरान कोयला खदानों के आवंटन पर सवाल खड़ा हुआ, अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर फैसला करने में देरी हुई। कोयला आवंटन रद्द किए जाने का नतीजा यह रहा कि कर्ज लेकर शुरू किए गए ज्यादातर प्रोजेक्ट्स या तो शुरू नहीं हो सके, शुरू हुए तो उनकी लागत में बड़ा इजाफा हो गया अथवा प्रोजेक्ट्स को बंद करने की नौबत आ गई।

Image result for रघुराज राजन

राजन बोले, नीति आयोग नहीं करता होमवर्क
हाल ही में नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने आरोप लगाया था कि बीते तीन साल अर्थव्यवस्था में दर्ज हुई गिरावट के लिए रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन जिम्मेदार हैं। राजीव कुमार ने कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 की पहली तिमाही से पहले लगातार 9 तिमाही में दर्ज हुई गिरावट के लिए राजन की आर्थिक नीतियां जिम्मेदार हैं। राजीव कुमार ने कहा कि बीते तीन साल के दौरान विकास दर में गिरावट बैंक के एनपीए में हुई बढ़ोतरी के चलते है। कुमार ने कहा कि जब मोदी सरकार ने सत्ता संभाली, तब बैंकों का एनपीए चार लाख करोड़ रुपये था, लेकिन मार्च 2017 तक यह एनपीए बढ़कर 10.5 लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर गया। एनपीए में हुई इस बढ़त के चलते तीन साल के दौरान जीडीपी में लगातार गिरावट देखने को मिली और इसके लिए सिर्फ रघुराम राजन जिम्मेदार हैं।

पीएम मोदी ने भी एनपीए के लिए पूर्ववर्ती यूपीए सरकार को ठहराया था जिम्‍मेदार  
कुछ दिन पहले ही पीएम मोदी ने बैंकिंग क्षेत्र में डूबे कर्ज (एनपीए) की भारी समस्या के लिये पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के समय 'फोन पर कर्ज' के रूप में हुए घोटाले को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा कि‘नामदारों’के इशारे पर बांटे गए कर्ज की एक-एक पाई वसूली की जाएगी। उन्होंने कहा कि चार-पांच साल पहले तक बैंकों की अधिकांश पूंजी केवल एक परिवार के करीबी धनी लोगों के लिए आरक्षित रहती थी। आजादी के बाद से 2008 तक कुल 18 लाख करोड़ रुपये के कर्ज दिए गए थे लेकिन उसके बाद के 6 वर्षों में यह आंकड़ा 52 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.