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BJP को दिक्कत थी तो तीन साल तक सरकार में रहते बात क्यों नहीं की : महबूबा मुफ्ती

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भाजपा की ओर से लगाए गए आरोंपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा था तो भाजपा अब तक चुप क्यों थी?

By Vikas JangraEdited By: Published: Sun, 24 Jun 2018 06:33 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jun 2018 06:40 PM (IST)
BJP को दिक्कत थी तो तीन साल तक सरकार में रहते बात क्यों नहीं की : महबूबा मुफ्ती
BJP को दिक्कत थी तो तीन साल तक सरकार में रहते बात क्यों नहीं की : महबूबा मुफ्ती

नई दिल्ली [जेएनएन]। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भाजपा की ओर से लगाए गए आरोंपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा था तो भाजपा अब तक चुप क्यों थी। साथ ही उन्होंने कहा कि जो भी फैसले लिए गए, उनमें भाजपा का समर्थन था और उन्हें भाजपा की सहमति भी थी। 

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महबूबा मुफ्ती ने भाजपा की ओर से लगाए आरोपों पर चुप्पी तोड़ते हुए कई ट्वीट किए। इन ट्वीट्स में उन्होंने जम्मू और लद्दाख के साथ भेदभाव, धारा 370 के अलावा भाजपा नेता की ओर पत्रकारों को धमकाए जाने को लेकर बात रखी। बता दें कि गत 19 तारीख को भाजपा ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, जिसके बाद भाजपा-पीडीपी गठबंध की सरकार गिर गई। फिलहाल, राज्य में राज्यपाल शासन लागू है।

महबूबा ने आरोपों पर जवाब देने की शुरुआत करने हुए ट्विटर पर लिखा, "हमारे गठबंधन के पूर्व सहयोगियों की ओर से हम पर कई झूठे आरोप लगाए गए।' इसके बाद महबूबा ने आरोपों का जवाब देते हुए आगे लिखा- 'एजेंडे के प्रति हमारी वचनबद्धता कभी भी अस्थिर नहीं हुई। इस एजेंडे का खाका भाजपा नेता राम माधव ने तैयार किया था और राजनाथ सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं ने इसका समर्थन किया था। यह देखना दुखद है कि वह (भाजपा) अपनी ही पहल को अस्वीकार कर रहे हैं और 'नरम दृष्टिकोण' करार दे रहे हैं।”

महबूबा ने अगले ट्वीट में लिखा, 'अनुच्छेद 370 की यथास्थिति बनाए रखना, पाकिस्तान और हुर्रियत के साथ संवाद गठबंधन के एजेंडा के हिस्से थे। संवाद को प्रोत्साहन, पत्थरबाजों के खिलाफ मामले वापस लेना और एकतरफा संघर्षविराम जमीन पर (लोगों में) विश्वास बहाल करने के लिए अत्यंत जरूरी कदम थे। इन बातों को बीजेपी मान्यता और समर्थन दिया था।'

महबूबा ने इसके आगे लिखा, 'जम्मू एवं लद्दाख के साथ भेदभाव के आरोपों का असलियत में कोई आधार नहीं है। हां, (कश्मीर) घाटी में लंबे समय से उथल-पुथल रही है और 2014 की बाढ़ राज्य के लिए एक झटका थी, इसलिए यहां ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता थी। इसका यह मतलब नहीं है कि किसी जगह कम विकास किया गया।”

महबूबा ने आरोपों का जवाब देने के बाद भाजपा पर पलटवार किया और लिखा, 'हकीकत सबके सामने है। अगर (भाजपा को) कुछ करना है तो उन्हें अपने मंत्रियों के प्रदर्शन की समीक्षा करनी चाहिए, जिन्होंने जम्मू क्षेत्र का काफी हद तक प्रतिनिधित्व किया। अगर ऐसी कोई (भेदभाव) चिंताएं थीं, तो पिछले 3 वर्षों के दौरान उनमें (भाजपा) से किसी ने भी, चाहे वो राज्य स्तर पर हो या केंद्रीय स्तर पर, बात क्यों नहीं की?'

महबूबा यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने आगे लिखा, 'रसाना रेप और हत्या मामले को सीबीआई को नहीं सौंपा, दुष्कर्म समर्थक मंत्रियों को कैबिनेट से हटाया, गुर्जर और बकरवाल समुदाय का उत्पीड़न नहीं करने का आदेश जारी किया, जो कि मुख्यमंत्री के रूप में मेरे कर्तव्य थे, ताकि दोनों समुदायों (गुज्जर-बकरवाल) में सुरक्षा की भावना जगे।'

इसके बाद महबूबा ने शुजात बुखारी को हत्या को लेकर भी भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा- 'शुजात बुखारी की हत्या पर जम्मू एवं कश्मीर में अभिव्यक्ति की आजादी के बारे में चिंता जताने के बाद उनके (भाजपा) विधायक, जो कि कठुआ मामले में अपनी भूमिका के लिए कुख्यात हैं और यहां तक कि दंडित भी हैं, अभी भी घाटी के पत्रकारों को धमका रहे हैं। तो अब वे उनके बारे में क्या करेंगे?”


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