विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की लेबनान, कोलंबिया और त्रिनिनाद एवं टोबैगो के विदेश मंत्रियों से बात
त्रिनिनाद और टोबैगो के विदेश मंत्री डेनिस मोसेस के साथ भारतीय विदेश मंत्री ने सूचना प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिलकर काम करने को लेकर बातचीत की।
नई दिल्ली, प्रेट्र। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को लेबनान, कोलंबिया, ग्रेनाडा, जांबिया, उरुग्वे और त्रिनिनाद एवं टोबैगो के विदेश मंत्रियों से बात की। इस दौरान उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के साथ-साथ आपसी सहयोग और साझेदारी बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया।जयशंकर ने ट्वीट कर बताया कि लेबनान के विदेश मंत्री नासिफ हित्ती के साथ कृषि समेत आर्थिक सहयोग के मसलों पर चर्चा हुई। कोलंबिया के विदेश मंत्री क्लॉडिया ब्लम डी बार्बेरी के साथ जयशंकर ने व्यापार एवं ऊर्जा के क्षेत्र में जारी वार्ता की समीक्षा की।
इस दौरान विदेश मंत्री ने कोलंबिया के नागरिकों को उनके देश भेजने में सहयोग करने का आश्वासन दिया। ग्रेनाडा के विदेश मंत्री पीटर डेविड के साथ जयशंकर ने कोरोना वायरस से निपटने में चिकित्सा सहयोग पर बात की। त्रिनिनाद और टोबैगो के विदेश मंत्री डेनिस मोसेस के साथ भारतीय विदेश मंत्री ने सूचना प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिलकर काम करने को लेकर बातचीत की।
जमैका की विदेश मंत्री कैमिना जॉनसन स्मिथ के साथ जयशंकर ने कोरोना वायरस के कारण पैदा हुई चुनौतियों पर चर्चा की। विदेश मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत दवाओं का उनका विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बनेगा। उरुग्वे के विदेश मंत्री अर्नेस्टो तल्वी के साथ उन्होंने दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग की संभावनाओं पर बात की।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया के बहुपक्षीय मंचों में वक्त के मुताबिक बदलाव करने की जोरदार वकालत की है ताकि वैश्विक स्तर पर डेवलपमेंट और ग्रोथ को फिर से केंद्र में लाया जा सके। जयशंकर ने यह बात ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों के मंच पर कही है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दो स्थाई सदस्य चीन और रूस भी हिस्सा हैं। इन तीन देशों के अलावा दक्षिण अफ्रीका व ब्राजील के विदेश मंत्रियों ने भी इसमें हिस्सा लिया। बैठक में मुख्य तौर पर कोविड-19 महामारी से उपजे हालात और इससे निपटने के लिए उठाये जाने वाले कदमों व भावी साझा सहयोग पर चर्चा की गई।
इस बैठक में फैसला किया गया कि सभी सदस्य देशों के बीच कोरोना वायरस से बचाव में अपने अनुभवों को साझा करने का एक मंच बनेगा। इसके लिए इन देशों के स्वास्थ्य विभागों से जुड़े अधिकारियों की एक बैठक 7 मई, 2020 को बुलाई गई है। यह बैठक सार्क देशों के बीच होने वाली बैठक की तरह ही होगी।