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विदेश मंत्री ने किया साफ, भारत किसी गठबंधन का नहीं बनेगा हिस्सा, फ्री ट्रेड जल्दबाजी नहीं

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि चीन की आक्रामकता की वजह से नए वैश्विक गठबंधन के आसार भी बन रह हैं लेकिन भारत किसी भी गठबंधन सिस्टम का हिस्सा नहीं बनेगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 08:38 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 03:39 AM (IST)
विदेश मंत्री ने किया साफ, भारत किसी गठबंधन का नहीं बनेगा हिस्सा, फ्री ट्रेड जल्दबाजी नहीं
विदेश मंत्री ने किया साफ, भारत किसी गठबंधन का नहीं बनेगा हिस्सा, फ्री ट्रेड जल्दबाजी नहीं

नई दिल्ली, जेएनएन। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दो टूक कहा है कि चीन के उद्भव से दुनिया में कई तरह के बदलाव आ रहे हैं और इसकी वजह से नए वैश्विक गठबंधन के आसार भी बन रह हैं लेकिन भारत किसी भी तरह के गठबंधन सिस्टम का हिस्सा नहीं बनेगा। जयशंकर के मुताबिक एक या दो शक्तियों पर केंद्रित रहने वाली वैश्विक व्यवस्था का अंत हो चुका है और अब जो नया ढांचा विकसित हो रहा है उसमें कई तरह की छोटी-बड़ी शक्तियां सक्रिय होंगी।

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बयान के मायने

चीन के साथ भारत के बेहद तनावपूर्ण रिश्ते और अमेरिका के साथ भारत के गहरे होते रणनीतिक रिश्तों को देखते हुए विदेश मंत्री का यह बयान काफी मायने रखता है। उनके बयान से साफ है कि भारत भी अपने आपको को एक उभरती शक्ति के तौर पर देख रहा है। सोमवार को माइंडमाइननेक्स्ट प्रोग्राम में हिस्सा लेते हुए विदेश मंत्री ने चीन के साथ भारत के रिश्ते और वैश्विक स्तर पर चीन के बढ़ते दबदबे के संदर्भ में भारत की नीतियों का भी जिक्र किया।

आर्थिक सुधारों में हुई देरी

चीन से भारत के पीछे छूट जाने की वजहों का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्य तौर औद्योगिकीकरण पर ज्यादा ध्यान नहीं देने और कई आधारभूत सुधारों को करने में देरी से ऐसा हुआ। पूर्व पीएम राजीव गांधी ने जब 1988 में चीन की यात्रा की थी तब दोनो देशों की इकोनॉमी में खास अंतर नहीं था लेकिन हमने सामान्य आर्थिक सुधार भी चीन से 15 वर्ष बाद किए। चीन ने आंतरिक तौर पर मजबूत होने के साथ ही वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति प्रभावी तरीके से रखी।

अमेरिका पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत को अब जोखिम नहीं उठाने की आदत भी छोड़नी होगी और बहुराष्ट्रीय मंचों पर आश्रित रखने की मनोदशा की भी तिलांजलि देनी होगी। हमें जोखिम उठाने के लिए भी तैयार रहना होगा। जयशंकर ने अमेरिका को लेकर भी कई बातें कहीं जो भारतीय कूटनीतिकारों की मनोदशा को बताती हैं और यह कहीं न कहीं यह संकेत भी देता है कि भारत अमेरिका पर आंख मूंद कर भरोसा नहीं करने जा रहा।

समूह-20 का दबदबा बढ़ा

विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका जिस तरह से अपनी भूमिका में बदलाव कर रहा है, उससे कई तरह के परिवर्तन हो रहे हैं और आगे होंगे। कई देशों के सिर पर अमेरिका की छतरी थी जो अब नहीं है जो देश अमेरिका पर पूरी तरह से आश्रित थे उन्हें अचानक ही कई तरह के मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन इस वजह से मझोली शक्तियों के लिए कई तरह के अवसर पैदा हो रहे हैं। समूह-20 के कई सदस्य देश अब ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में है।'

ग्लोबल सप्लाई चेन का हिस्‍सा बनने पर जोर

विदेश मंत्री ने भारत की अर्थनीति को लेकर भी कुछ महत्वपूर्ण संकेत दिए खास तौर पर मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के संदर्भ में। उन्होंने कहा, 'भारत को इन समझौतों से जिस तरह की आर्थिक उम्मीदें थी वैसी नहीं हुई। आरसेप देशों के साथ ही भारत के कारोबार पर नजर डालें तो हमारा कारोबारी संतुलन उनके साथ काफी तेजी से बढ़ा है। एफटीए ने देश को और देश की अर्थव्यवस्था को खास फायदा नहीं हुआ है। अभी इन समझौतों से ज्यादा ग्लोबल सप्लाई चेन में हिस्सा बनने से फायदा होगा।' 


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