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Article 370 के हटते ही गायब हुआ जम्मू-कश्मीर का यह झंडा, जानिए क्या थे इसके मायने

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएंगे।

By Nitin AroraEdited By: Published: Thu, 17 Oct 2019 01:52 PM (IST)Updated: Thu, 17 Oct 2019 02:05 PM (IST)
Article 370 के हटते ही गायब हुआ जम्मू-कश्मीर का यह झंडा, जानिए क्या थे इसके मायने
Article 370 के हटते ही गायब हुआ जम्मू-कश्मीर का यह झंडा, जानिए क्या थे इसके मायने

श्रीनगर, एजेंसी। भारत सरकार द्वारा 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लेते हुए Article 370 को हटा दिया गया। इसके बाद कई सारे चेंज आए और आने भी हैं। यहां एक दिलचस्प बात यह भी है कि इस अनुच्छेद के हटने के पहले राज्य का एक अलग झंडा हुआ करता था। हालांकि, भारत का तिरंगा भी जम्मू-कश्मीर में लहराता था, लेकिन राज्य का अलग झंडा कही ना कही उसे देश से अलग करता था। अनुच्छेद 370 के हटने के लगभग तीन हफ्तों के बाद कश्मीर का झंडे को हटा दिया गया, जो भारत के तिरंगे के साथ उड़ता था।

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अधिकारियों ने उस दौरान बताया था कि सिविल सचिवालय से झंडे को हटा दिया गया है और वहीं कहा गया कि झंडे को अन्य सरकारी भवनों से भी हटा दिया जाएगा। बता दें कि अनुच्छेद 370 के तहत, जम्मू और कश्मीर को अपना स्वयं का झंडा रखने की अनुमति थी, जो कि तीन समान सफेद खड़ी पट्टियों और एक सफेद हल के साथ लाल रंग का था।

कहा गया कि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख अलग होने का जो कानून है उसके 31 अक्टूबर को प्रभाव में आने के बाद यह झंडा कही दिखाई नहीं देगा। हालांकि, देखा जाए तो कई नेताओं ने अपने गाड़ियों व अन्य संस्थाओं ने पहले इस्तेमाल किए जाने वाले जम्मू-कश्मीर के झंडे को उतार दिया है। बता दें कि 7 जून, 1952 को राज्य विधानसभा द्वारा इस ध्वज को अपनाया गया था, झंडे में तीन धारियों ने राज्य के तीन क्षेत्रों जम्मू, कश्मीर और लद्दाख का प्रतिनिधित्व किया था। 

ऐसे मिला झंडा

पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख मुहम्मद अब्दुल्ला 1952 में केंद्र और राज्य की शक्तियों को लेकर समझौता हुआ। इस समझौते में दोनों ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज और जम्मू-कश्मीर के झंडे को राज्य का झंडा माना।

बता दें कि केंद्र ने 5 अगस्त को संविधान में अनुच्छेद 370 प्रावधानों को निरस्त कर दिया था, जिसमें रेजीडेंसी और सरकारी नौकरियों के लिए जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया था। संसद ने इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और राज्य के दो संघ शासित प्रदेशों के विभाजन पर विधेयक भी पारित कर दिया। बाद में 9 अगस्त को, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 को स्वीकृति प्रदान की, जो दो केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाकर 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएगा।


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