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यूएस, चीन का साथ होने से पाक पर आतंकी फंडिंग मामले में नहीं लग सकेगा एफएटीएफ का अंकुश

एफएटीएफ कई देशों की सरकारों की तरफ से गठित संगठन है जो काला धन आतंकी फंडिंग को रोकने की दिशा में काम कर रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 24 Jan 2020 10:25 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 02:00 AM (IST)
यूएस, चीन का साथ होने से पाक पर आतंकी फंडिंग मामले में नहीं लग सकेगा एफएटीएफ का अंकुश
यूएस, चीन का साथ होने से पाक पर आतंकी फंडिंग मामले में नहीं लग सकेगा एफएटीएफ का अंकुश

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले दिनों जैसे ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के सामने दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंधों को बढ़ाने की बात कही उससे यह साफ हो गया था कि पाकिस्तान पर आतंकी फंडिंग के मामले में एफएटीएफ का अंकुश नहीं लग सकेगा।

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पाकिस्तान को काली सूची में नहीं डाला जाएगा

चीन का समर्थन पहले से है और अमेरिका का साथ भी मिलने से उम्मीद है कि अगले महीने पेरिस में जब एफएटीएफ की बैठक होगी तो पाकिस्तान को काली सूची में नहीं डाला जाएगा।

आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान ठोस व निर्णायक कदम उठाये- भारत

भारत इस नए हालात को समझ रहा है, इसके बावजूद अपने कुछ दूसरे मित्र देशों की मदद से पाकिस्तान पर जहां तक हो सके दबाव बनाने की कोशिश करेगा। भारत की कोशिश यही होगी कि आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान ठोस व निर्णायक कदम उठाये। संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर भारत की सबसे ज्यादा मदद करने वाले फ्रांस ने एफएटीएफ में भी पूरी मदद देने का आश्वासन दिया है।

फ्रांस को साथ लेकर एफएटीएफ में पाक को घेरेगा भारत

पेरिस में आगामी बैठक होने की वजह से फ्रांस के विचार का अपना अलग महत्व है। नई दिल्ली स्थित फ्रांस दूतावास के सूत्रों ने बताया कि उनके देश के लिए आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई बहुत ही अहम है। जहां तक चीन में होने वाले फाइनेंशिएल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक का सवाल है तो वहां भी जिन भी देशों को निगरानी सूची में रखा गया है उनको लेकर कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।

बीजिंग बैठक में पाकिस्तान देगा उठाये गये कदमों के बारे में जानकारी

सनद रहे कि चीन की राजधानी बीजिंग में होने वाली आगामी बैठक में पाकिस्तान पूर्व में दिए गए मानकों को पूरा करने के लिए उठाये गये कदमों के बारे में जानकारी देगा।

पाकिस्तान को एफएटीएफ की तरफ से ब्लैक लिस्ट में डालना नहीं होगा संभव

वैसे भारतीय पक्ष भी यह मान रहा है कि पाकिस्तान को एफएटीएफ की तरफ से ब्लैक लिस्ट में डालना फिलहाल संभव नहीं होगा, लेकिन वह अभी निगरानी सूची में बना रहेगा। भारतीय पक्ष इससे भी संतुष्ट है क्योंकि इसका मतलब होगा कि पड़ोसी देश को आतंकवाद को बढ़ावा देने की गतिविधियों से दूर रहेगा।

एफएटीएफ के डर से पाक सरकार ने एक वर्ष में कई बड़े आतंकवादियों को जेल में डाला

एफएटीएफ के डर से पाकिस्तान सरकार ने पिछले एक वर्ष में आतंकी संगठनों के बैंकिंग सिस्टम पर ना सिर्फ रोक लगाई है बल्कि कई बड़े आतंकवादियों को जेल के भीतर भी डाला है।

आतंकी फंडिंग पूरी तरह से खत्म हो- भारत

भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारी भी मानते हैं कि अंतिम उद्देश्य यह है कि पाकिस्तान में आतंकवादियों व आतंकी संगठनों को जो भी मदद मिल रही हो वह पूरी तरह से खत्म हो। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को प्रतिबंधित करना उद्देश्य नहीं है।

पाकिस्तान की कोशिश है कि वह ग्रे लिस्ट से बाहर निकले

दूसरी तरफ पाकिस्तान की कोशिश यह है कि वह ग्रे लिस्ट यानी निगरानी सूची से बाहर निकले। अभी पाकिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा है और ग्रे लिस्ट में होने पर भी उसे विदेशी फंड जुटाने में भी दिक्कत आ रही है। जब तक पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में रहेगा तब तक वहां बड़ी कंपनियां निवेश करने से हिचकती रहेंगी।

एफएटीएफ काला धन, आतंकी फंडिंग को रोकने की दिशा में काम कर रहा है

एफएटीएफ कई देशों की सरकारों की तरफ से गठित संगठन है जो काला धन, आतंकी फंडिंग को रोकने की दिशा में काम कर रहा है। इसके सदस्य देशों को इसकी तरफ से तय मानकों का पालन करना पड़ता है।


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