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मन की बात में पीएम की सराहना से गदगद हुए मोती की खेती करनेवाले किसान

समस्तीपुर के दलसिंहसराय में राजकुमार व प्रणव कर रहे उन्नत खेती। दर्जनभर प्रवासी प्रशिक्षण ले चुके जबकि 30 से अधिक ले रहे हैं।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 07:02 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jul 2020 07:02 AM (IST)
मन की बात में पीएम की सराहना से गदगद हुए मोती की खेती करनेवाले किसान
मन की बात में पीएम की सराहना से गदगद हुए मोती की खेती करनेवाले किसान

समस्तीपुर, [अंगद कुमार सिंह] । आत्मविश्वास से लबरेज और कुछ अलग करने का माद्दा। यही वजह रही कि नौकरी छोड़ शुरू की मोती की खेती। इस कार्य में एक साथी भी संग-संग चल पड़े। सफलता मिली तो उत्साह भी बढ़ा। फायदा देख कई और किसान भी इसी राह पर। अब, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में मोती की खेती की सराहना की तो समस्तीपुर जिले के दलसिंहसराय अनुमंडल निवासीराजकुमार शर्मा और प्रणव कुमार गदगद हैं। इनका हौसला बढ़ा है। राजकुमार कहते हैं कि 2017 में जब अकाउंटेंट की नौकरी छोड़ मोती की खेती की सोची तो लोगों ने मजाक उड़ाया। पर, कुछ नया करने की सोच लेकर भुवनेश्वर और जयपुर में इसका प्रशिक्षण लिया। इसके बाद अपने गांव बुलाकीपुर में खेती शुरू की।

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प्रवासियों में जगी उम्मीद की किरण

कोरोना संक्रमण काल में दिल्ली से लौटे मुंगेर के नीरज कुमार, अभिषेक कुमार, पंजाब से लौटे सीतामढ़ी के केके तिवारी और कोलकाता से लौटे बेगूसराय के अजय कुमार बताते हैं कि बाहर 10 से 20 हजार कमाते थे। अब मोती की खेती का प्रशिक्षण ले रहे, ताकि यहीं अपना रोजगार कर सकें। प्रणव बताते हैं कि कोरोना ने बहुत से लोगों की रोजी-रोटी छीन ली है। बेरोजगार होकर प्रवासी घर लौट आए हैं। इन्हें मोती की खेती से जोड़ा जा रहा है। दर्जनभर लोग प्रशिक्षण ले चुके हैं, जबकि 30 से अधिक ले रहे हैं। प्रशिक्षण के बाद 50 हजार के शुरुआती निवेश से कोई भी अपना काम शुरू कर सकता है।

ऐसे की जाती मोती की खेती

मोती की खेती के लिए सीमेंटेड वाटर टैंक या तालाब की जरूरत पड़ती है। सीप (ओएस्टर) प्रति पीस के अनुसार मंगाया जाता है। यह 10 से 15 रुपये में मिलता है। सीप में छोटी सी सर्जरी कर भुवनेश्वर से मंगाया गया बीज यानी न्यूक्लियस डाला जाता है। जालीदार बैग में पांच व छह सीप रखकर उसे तीन से चार फीट गहरे पानी में डाल देते हैं। मोती तैयार करने में 12 से 18 महीने लगते हैं। एक मोती में करीब 40 रुपये खर्च आता है। उसे स्थानीय बाजार में तीन से चार सौ रुपये तक में बेचा जाता है। मोती की खेती से राजकुमार सालाना दो लाख तक आमदनी कर रहे हैं। इसकी बिक्री स्थानीय बाजार सहित बाहर भी होती है। यहां मोती के तीन किस्मों की खेती की जाती है। इनमें केवीटी, गोनट और मेंटल टीशू शामिल हैं।

प्रधानमंत्री की सराहना से बढ़ा हौसला

राजकुमार शर्मा कहते हैं कि जब लीक से हटकर काम शुरू किया तो लोग हंसते थे। आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में बिहार में हो रही मोती की खेती को सराहा तो हमारे जैसे सभी किसानों को ऊर्जा मिली। बिहार विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि विजय कुमार चौधरी जिले में मोती की खेती प्रशंसनीय और अनुकरणीय है। इसमें अधिक से अधिक लोगों को जोडऩे और उन्हेंं प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इस प्रकार की खेती से किसान निश्चित रूप से आगे बढ़ सकते हैं।  


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