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एस जयशंकर बोले, चीन का उभार एक बड़ा घटनाक्रम लेकिन समय के अनुरूप उठाया गया कदम है क्वाड

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि क्वाड या चार देशों के गठबंधन के अंतर्गत भारत जापान अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का आना बदलते समय के अनुरूप उठाया गया कदम है। यह बहुध्रुवीय विश्व के उभरते परिदृश्य का प्रतिबिंब है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 06:02 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 06:02 AM (IST)
एस जयशंकर बोले, चीन का उभार एक बड़ा घटनाक्रम लेकिन समय के अनुरूप उठाया गया कदम है क्वाड
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि क्वाड बदलते समय के अनुरूप उठाया गया कदम है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि क्वाड या चार देशों के गठबंधन के अंतर्गत भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया का आना बदलते समय के अनुरूप उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि यह बहुध्रुवीय विश्व के उभरते परिदृश्य का प्रतिबिंब है। शुक्रवार को पब्लिक अफेयर्स फोरम ऑफ इंडिया (पीएएफआइ) द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन सम्मेलन में क्वाड से संबंधित सवालों के जवाब में जयशंकर ने कहा कि चीन का उभार एक बड़ा भूराजनीतिक घटनाक्रम है।

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जयशंकर ने कहा कि क्‍वाड समय के अनुरूप उठाया गया कदम है और हमारे सामने एक अधिक बंटी हुई दुनिया और अधिक बिखरा हुआ विश्व होगा। क्‍वाड देशों का यह विशेष संगठन मिलकर काम करेगा। शीतयुद्ध की अवधि और पश्चिमी प्रभुत्व के दौर समेत बीते कुछ दशकों में वैश्विक शक्ति समीकरण में बदलते आयामों के बारे में जयशंकर ने कहा कि विश्व एक अधिक बहुध्रुवीय दुनिया की ओर बढ़ रहा है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन का उभार एक बड़ा भूराजनीतिक घटनाक्रम है। आने वाले वक्‍त में कई खेमों में बंटा हुआ विश्‍व अपना खुद का तर्क गढ़ेगा। इसमें भारत खुद को बहुत ही अलग तरीके से अभिव्यक्त करेगा। क्वाड जैसे उदाहरण में आज इसकी झलक दिखाई देती है। क्वाड एकमात्र उदाहरण नहीं है जहां चार देशों ने इसे साझा हितों के मसले पर चर्चा करने के लिए उपयोगी पाया है।

इससे इतर विदेश में संयुक्त राष्ट्र के 75 साल पूरे होने पर स्मृति डाक टिकट जारी करने के बाद शुक्रवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के संस्थापक सदस्य के रूप में भारत ने वैश्विक निकाय की सफलता के लिए काफी काम किया है। इसके लक्ष्यों की पूर्ति तथा सदस्य राष्ट्रों की आशाओं के मुताबिक आगे भी मजबूती से अपनी भूमिका निभाता रहेगा। डाक विभाग ने 1954, 1985 और 1995 में संयुक्त राष्ट्र की नौवीं, 40वीं और 50वीं वर्षगांठ पर भी स्मृति डाक टिकट जारी किए थे। 


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