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सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में बोला भारत, आतंकवाद मिटाए बगैर सार्क क्षेत्र में शांति नहीं

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दक्षेस विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्‍तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि सीमा पार आतंकवाद तीन प्रमुख वैश्विक चुनौतियों में से एक है जिसे दूर करने के लिए दक्षेस देशों को कड़े कदम उठाने होंगे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 04:47 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 08:39 PM (IST)
सार्क देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में बोला भारत, आतंकवाद मिटाए बगैर सार्क क्षेत्र में शांति नहीं
विदेश मंत्री ने सीमा पार आतंकवाद को प्रमुख वैश्विक चुनौती बताया है...

नई दिल्ली, जेएनएन। तमाम वजहों से सिर्फ औपचारिकता तक सिमट चुके सार्क देशों यानी दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन के विदेश मंत्रियों की गुरुवार को बैठक हुई। इस संगठन के तीन अहम देशों भारत, नेपाल व पाकिस्तान के रिश्तों में हाल के दिनों में आए तनाव की वजह से बैठक के गर्म माहौल में होने की उम्मीद थी। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सार्क देशों के बीच संबंधों की राह में आतंकवाद को बढ़ावा देने और कारोबार की राह में अड़चन डालने को सबसे बड़ी बाधा बताया। उन्होंने बगैर किसी देश का नाम लिए ही कहा कि, सार्क की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए हर सदस्य देश को उन शक्तियों को हराना होगा जो आतंकवाद के स्त्रोत बने हुए हैं। उसको पालते हैं और प्रोत्साहित करते हैं।

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कश्मीर का नाम नहीं लिया हालांकि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों को लागू करने की बात कही। उनका भाषण सधा हुआ था। उसमें भड़काने वाली कोई बात नहीं थी। कुरैशी के बैकग्राउंड में पाकिस्तान का कोई मानचित्र भी नहीं लगाया गया था जिससे भारत को आपत्ति हो।

हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठकों में पाकिस्तान वर्चुअल बैठकों में अपने नए मानचित्र को बैकग्राउंड में दिखाता था जिसमें कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया गया था। कुरैशी की जुबां पर कश्मीर का नाम नहीं आना भी महत्वपूर्ण है। माना जा रहा है कि सार्क देशों की शिखर बैठक की दावेदारी को देखते हुए पाकिस्तानी पक्ष ने इस मंच पर नरम रवैया अपनाया है। वर्ष 2016 में ही सार्क देशों की शिखर बैठक इस्लामाबाद में होनी थी जिसमें उड़ी हमले के बाद भारत व अन्य देशों ने हिस्सा लेने से मना कर दिया था। कुरैशी ने इस बैठक में कहा भी कि, पाकिस्तान जितनी जल्दी हो वह इस बैठक का आयोजन करने को तैयार है।

सीका की बैठक में बदला पाक का रुख

इस बैठक के कुछ ही देर बाद एशियाई देशों के बीच शांति, सुरक्षा व सहयोग को बढ़ावा देने के लिए गठित फोरम 'सीका' (कांफ्रेंस आन इंटरैक्शन एंड कान्फिडेंस बिल्डिंग मेजर्स इन एशिया) की बैठक में पाक के विदेश मंत्री का रुख बिल्कुल उल्टा था। वहां कश्मीर का मुद्दा जब उन्होंने उठाया तो भारत ने करारा जवाब दिया है। भारत ने अपने विशेषाधिकार का उपयोग करते हुए कहा है कि, 'पाकिस्तान ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय फोरम का गलत इस्तेमाल किया है और द्विपक्षीय मुद्दों को उठाया है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू व कश्मीर व लद्दाख हमेशा से भारत का अभिन्न हिस्सा रहे हैं और आगे भी रहेंगे। पाकिस्तान को कोई हक नहीं है कि वह भारत के आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप करे। सीका में पाकिस्तान का बयान भारत की संप्रभुता व अखंडता का उल्लंघन है। पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का केंद्र है और भारत में भी आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।'


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