शिवराज कैबिनेट में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने की कवायद, विंध्य क्षेत्र को स्पीकर पद की पेशकश
विधान सभा का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होना है। सबसे पहले स्पीकर का चुनाव ही होगा। फिलहाल भोपाल के भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा प्रोटेम स्पीकर हैं।
धनंजय प्रताप सिंह. भोपाल। मप्र मंत्रिमंडल विस्तार में प्रदेश के विंध्य क्षेत्र की उपेक्षा के आरोप के बाद अब भारतीय जनता पार्टी नई रणनीति पर आगे बढ़ रही है। उसने विंध्य के एक विधायक को विधानसभा अध्यक्ष बनाने की पेशकश की है। ऐसा कर पार्टी मंत्री पद के शेष दावेदारों की संख्या कम करना चाहती है।
विधान सभा का मानसून सत्र 20 जुलाई से
विधान सभा का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होना है और सबसे पहले स्पीकर का चुनाव ही होगा। फिलहाल भोपाल के भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा प्रोटेम स्पीकर हैं। विंध्य क्षेत्र में फिलहाल केदार शुक्ला, गिरीश गौतम और राजेंद्र शुक्ल तीन मंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं, जबकि विस्तार के बाद अब कैबिनेट में कोई गुंजाइश बची नहीं है। इन विधायकों ने अभी तक स्पीकर को लेकर चल रही सियासत पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन माना जा रहा है कि वे कैबिनेट में ही अपनी भागीदारी चाहते हैं। ऐसे में यह रणनीति कितनी कारगर होगी, इस पर भी संशय है।
विंध्य क्षेत्र के 30 विधायकों में से कैबिनेट में भागीदारी सिर्फ दो मंत्रियों की है
कहा जा रहा है कि विंध्य के विधायक बतौर विकल्प स्पीकर की बजाय निगम-मंडल के पद चाहते हैं, वह भी कैबिनेट मंत्री के दर्जे के साथ। इससे वह क्षेत्र के लिए कुछ काम करा सकें। इधर, विधायकों की संख्या देखी जाए तो विंध्य क्षेत्र के 30 विधायकों में भाजपा के 24 हैं, लेकिन मंत्री पद मिला सिर्फ लखन पटेल और मीना सिंह को। दरअसल विधायकों का मंत्री, निगम- मंडल आदि के लिए अनुपात का गणित ये है कि भाजपा के कुल 107 विधायकों में 24 विंध्य क्षेत्र से हैं। यानी 22 प्रतिशत विधायक इसी क्षेत्र ने दिया है, लेकिन 35 सदस्यीय कैबिनेट में भागीदारी सिर्फ दो मंत्रियों की है, जबकि 22 प्रतिशत के हिसाब से सात से आठ मंत्री होना थे। इस हिसाब से अभी कम से कम पांच और विधायकों को निगम मंडल में मंत्री का दर्जा देकर समायोजित करना होगा।
स्पीकर के लिए विधायक तैयार नहीं, विंध्य क्षेत्र का जातिगत समीकरण बिगड़ा
इधर भाजपा चाहती है कि पांच को मौका देने से अच्छा है कि किसी एक को स्पीकर बना दिया जाए, जिसके लिए विधायक तैयार नहीं है। विंध्य क्षेत्र के सियासी समीकरणों में यदि जातिगत समीकरण की बात करें तो यह दो ध्रुवों ब्राह्मण और ठाकुर पर टिका है। जबकि शिवराज कैबिनेट में शामिल दोनों मंत्री इन वर्गो से नहीं आते, ऐसे में नाराजगी सामने आ रही है। ठाकुर लॉबी में शीर्ष क्रम पर नागेंद्र सिंह नागौद हैं, जो पहले कैबिनेट में रहे हैं, लेकिन फिलहाल बाहर हैं। ब्राह्मण लॉबी से राजेंद्र शुक्ल का नाम सबसे आगे है, लेकिन वह भी कैबिनेट से बाहर हैं। इससे जातिगत समीकरण प्रभावित हो रहा है।
भारतीय जनता पार्टी संगठन और सरकार विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पदों समेत सभी राजनीतिक निर्णय सभी आयामों पर विचार कर लेंगे। सामूहिक विमर्श से उपजे निर्णय सर्वहितकारी होंगे। इन निर्णय का सभी स्वागत करेंगे -रजनीश अग्रवाल, प्रवक्ता भाजपा मप्र।