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Exclusive Interview: प्यार में धर्मातरण पर चिंता नहीं मगर छिपा एजेंडा अस्वीकार्य: प्रकाश जावडेकर

यहां के लोगों की भावना के अनुसार हमने लव जिहाद के खिलाफ कानून की बात कही है। देखिए अपने यहां धर्मातरण यदि प्यार से होता है तो कोई चिंता नहीं है। मगर जबरन या धूल झोंककर अगर एजेंडा के तहत ऐसा होता है तो वह गलत है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 25 Mar 2021 10:25 PM (IST)Updated: Thu, 25 Mar 2021 10:25 PM (IST)
Exclusive Interview: प्यार में धर्मातरण पर चिंता नहीं मगर छिपा एजेंडा अस्वीकार्य: प्रकाश जावडेकर
केरल आए भाजपा के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय सूचना प्रसारण व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर

केरल के चुनाव में सियासी गहमागहमी अब चरम पर पहुंचने लगी है। राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज यहां पहुंचकर एक दूसरे की कमजोर नसों पर सीधा हमला कर रहे हैं। इसी क्रम में केरल आए भाजपा के वरिष्ठ नेता व केंद्रीय सूचना प्रसारण व पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने घोटालों और सबरीमाला पर रुख को लेकर एलडीएफ सरकार पर हमला बोला तो लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने के भाजपा के वादे को सही ठहराया। तिरुअनंतपुरम में जावडेकर ने दैनिक जागरण के सहायक संपादक संजय मिश्र से इन मसलों पर खास बातचीत की। पेश है इसके प्रमुख अंश:

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केरल के चुनाव में भाजपा को आप तीसरे विकल्प के रूप में किस आधार पर देख रहे हैं?

भाजपा की ग्रोथ जिन लोगों ने देखी है, वे इसके साक्षी हैं। खासकर जिस तरह नरेंद्र मोदी के आने के बाद भाजपा की ग्रोथ हुई है, वह असाधारण है। बंगाल में भी तो पहले हमारी राजनीतिक ताकत काफी कम थी और 2014 में वहां हमारे केवल तीन लोकसभा सांसद जीत पाए थे। लेकिन 2019 में तृणमूल कांग्रेस और हम बराबर हो गए और इस चुनाव में तो बंगाल में हम सत्ता में आएंगे। ऐसी स्थिति केरल में कभी न कभी आएगी।

केरल में माकपा के नेतृत्व वाले एलडीएफ और कांग्रेस की अगुआई वाले यूडीएफ के मजबूत सियासी आधार में आपके लिए जगह कहां है?

पिछले करीब 60 साल से यहां यूडीएफ और एलडीएफ ही चल रहा है और लोग इनसे ऊब चुके हैं और केरल को नया विकल्प चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के रूप में लोगों को यह आशा दिखती है क्योंकि मोदी जी केरल में सत्ता में न होने के बावजूद 13 लाख लोगों को मुद्रा योजना का लाभ देते हैं। सूबे की 55 हजार महिलाओं को फ्री गैस कनेक्शन मिला है और 1.27 लाख लोगों को घर मिला है। साथ ही, यहां के 36 लाख किसानों को छह हजार रुपये हर साल खाते में मिल रहे हैं। ये सब योजनाएं मोदी सरकार की हैं और लोग यह समझते हैं। हालांकि एलडीएफ सरकार ने नाम में हेर-फेर कर इस अपना बताने का प्रयास तो बहुत किया।

सबरीमाला को लेकर हुए आंदोलन से क्या आप भाजपा के आधार में इजाफे की संभावना देख रहे हैं?

सबरीमाला का आंदोलन वास्तव में यहां की राजनीति के लिए टर्निग प्वाइंट है। केरल की जनता इस बात को लेकर उद्वेलित है और 99.99 फीसद लोग आस्था को मानते हैं जिसमें महिलाएं भी पूरी तरह शामिल हैं। जब रामजन्म भूमि का सवाल आया था तो कांग्रेस वाले पूछते थे कि सबूत क्या है। तब हमारा उत्तर होता था कि 130 करोड़ लोगों की आस्था ही इसका सबूत है। केरल में इस मुददे पर माकपा और कांग्रेस दोनों पाखंड कर रहे हैं।

कांग्रेस का दृष्टिकोण बिल्कुल आस्था और परंपरा को कायम रखने का है? भाजपा-कांग्रेस इस पर एकमत दिख रहे हैं? रुख चाहे एक दिख रहा हो मगर हमने लड़ाई लड़ी है और कांग्रेस कम्युनिस्टों के साथ है। बंगाल में दोस्ती और केरल में कुश्ती के पाखंड को लोग भी समझते हैं। यहां मदनी को छुड़ाने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव आता है तो कांग्रेस और माकपा साथ वोट करते हैं। सीएए के विरोध में दोनों पार्टियां साथ वोट करती हैं। लोकसभा और राज्यसभा में हमेशा ही दोनों एक साथ वोट करते हैं और कांग्रेस तथा माकपा की दोस्ती है, यही सच्चाई है। वाम के उम्मीदवार पुनर्विचार की बात करते हैं मगर पिनरई विजयन और सीताराम येचुरी दोनों प्रवेश देने की हिमायत करते हैं। इसलिए हमारा प्रश्न यही है कि इंट्री मिलनी चाहिए या नहीं, इस पर माकपा अपना रुख साफ करे।

चुनावी वादे के संकल्प के तौर पर भाजपा-एनडीए ने विकास के साथ एक प्रगतिशील केरल का वादा किया है? मगर लव जिहाद का कानून बनाने का वादा क्या इससे मेल खाता है?

यहां के लोगों की भावना के अनुसार हमने लव जिहाद के खिलाफ कानून की बात कही है। देखिए अपने यहां धर्मातरण यदि प्यार से होता है तो कोई चिंता नहीं है। मगर जबरन या धूल झोंककर अगर एजेंडा के तहत ऐसा होता है तो वह गलत है। पैसे का प्रलोभन और दूसरा कोई उददेश्य नहीं होना चाहिए। इस कानून की लोगों की मांग है और उसको हमने आवाज दी है।

कांग्रेस के इस आरोप पर क्या कहेंगे कि केंद्र की भाजपा और केरल की माकपा सरकार के बीच एक गुपचुप अघोषित समझौता है सीपीएम को जिताने के लिए ताकि अगले चुनाव में भाजपा को राजनीतिक स्पेस मिल जाए?

यह बिल्कुल गलत आरोप है। सीपीएम को हम कभी जिता नहीं सकते। वास्तविकता तो यह है कि कांग्रेस और सीपीएम एक हैं। जो बंगाल और देश भर में दिखाई दे रहा है और इसलिए जो लोग इनको आपस में विरोधी समझ कर वोट देते थे, अब ऐसा नहीं करेंगे। इसीलिए केरल में भाजपा मजबूती से उभरेगी।


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