ईवीएम विरोध की आदत, देश को बैलगाड़ी युग में ले जाना चाहती है कांग्रेस
क्या इससे शर्मनाक और कुछ हो सकता है कि जिस चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा दुनिया भर में है उसे संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ के लिए बदनाम करने का अभियान हमारे अपने ही लोगों ने छेड़ रखा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। ऐसा लगता है कि कुछ राजनीतिक दलों ने ईवीएम को निशाना बनाने की आदत पाल ली है। इससे भी खराब बात यह है कि इस आदत से वे राजनीतिक दल भी ग्रस्त हो गए हैं जो यह रोना रोते रहते हैं कि संस्थाओं को कमजोर और नष्ट किया जा रहा है। उन्हें यह बुनियादी बात जितनी जल्द समझ आ जाए उतना ही अच्छा कि ईवीएम पर संदेह जताकर वे चुनाव आयोग की पगड़ी उछालने का ही काम कर रहे हैं। क्या इससे शर्मनाक और कुछ हो सकता है कि जिस चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा दुनिया भर में है उसे संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ के लिए बदनाम करने का अभियान हमारे अपने ही लोगों ने छेड़ रखा है। इस अभियान के तहत ईवीएम को अविश्वसनीय करार देने की कोशिश रह-रह कर होती है।
हालांकि अभी तक ऐसी सारी कोशिशें नाकाम हुई हैं, लेकिन कुछ लोग बाज नहीं आ रहे हैं। वे ईवीएम के खिलाफ जनता को भरमाने और उकसाने के लिए छल-छद्म का सहारा लेने से भी नहीं चूक रहे हैं। इसी कारण हाल के समय में इस आशय की न जाने कितनी फर्जी खबरें आ चुकी हैं कि ईवीएम में छेड़छाड़ हो सकती है। दुर्भाग्य से इस तरह की खबरों को गढ़ने और उन्हें हवा देने में मीडिया का भी एक हिस्सा शामिल है कि ईवीएम भरोसेमंद नहीं और उसमें छेड़छाड़ कर उसका इस्तेमाल एक दल विशेष के पक्ष में किया जा रहा है अथवा करने की कोशिश की गई।
कायदे से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की जीत के बाद विपक्ष को ईवीएम पर सवाल उठाना बंद कर देना चाहिए, लेकिन अभी हाल में कोलकाता में विपक्षी दलों की रैली में मोदी हटाओ नारे के साथ ईवीएम के खिलाफ मोर्चा खोलने का भी काम किया गया। इतना ही नहीं, ईवीएम में कथित गड़बड़ी रोकने के उपाय खोजने के लिए एक समिति का भी गठन कर दिया गया। हास्यास्पद यह है कि इस समिति में उस कांग्रेस के नेता भी शामिल हैं, जिसने हाल में तीन राज्यों में भाजपा को पराजित कर सत्ता हासिल की है। इससे भी अधिक हास्यास्पद यह है कि गत दिवस लंदन में ईवीएम को हैक करने के नाम पर जो तमाशा हुआ उसमें कांग्रेसी नेता शामिल हुए।
लंदन में एक तथाकथित तकनीशियन ने ईवीएम को हैक करने का जो स्वांग रचा उसने उस तमाशे की याद दिला दी जो कुछ समय पहले एक नकली ईवीएम मशीन के जरिये दिल्ली विधानसभा में किया गया था। क्या यह महज दुर्योग है कि जिस समय लंदन में ईवीएम पर संदेह जताया जा रहा था उसी समय ममता बनर्जी ने इस मशीन को लेकर अपनी चिंता जाहिर की? ईवीएम के खिलाफ दुष्प्रचार को धार देने के लिए ऐसे तर्क देकर जनता को गुमराह करने की कोशिश ही होती है कि अगर कहीं कोई संदेह है तो उसका निवारण किया जाए। वोट के साथ पर्ची निकालने की व्यवस्था के बाद इसका कोई औचित्य नहीं कि ईवीएम पर बिना किसी प्रमाण संदेह जताया जाए। वास्तव में ईवीएम के खिलाफ जारी दुष्प्रचार केवल चुनाव आयोग को बदनाम करना ही नहीं, देश को बैलगाड़ी युग में ले जाना भी है।
हालांकि हैकर के दावे पर तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए आयोग ने कहा कि ईवीएम पूरी तरह से सुरक्षित है। मशीन तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में ही तैयार होती है। लंदन में हैकिंग को लेकर आयोजित कार्यक्रम को चुनाव आयोग ने प्रायोजित करार दिया है। आयोग ने हैकर के दावों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर विचार करने की बात कहते हुए ईवीएम को छेड़छाड़ से मुक्त करार दिया है।
आयोग ने एक बार फिर से अपनी इस बात को दोहराया है कि वर्ष 2010 में ही आयोग ने मशीनों की गुणवत्ता जांचने परखने के लिहाज से एक तकनीकी समिति का गठन किया था। सभी मशीनें इस समिति की देखरेख में ही बनती हैं। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि ईवीएम का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड की ओर से किया जाता है। यह निर्माण बेहद कठोर निगरानी और सुरक्षा नियमों को ध्यान में रखते हुए होता है।