Chidambaram: ईडी के आरोप, 'स्कैम के पैसे से विदेशों में खरीदी ये संपत्तियां'
आखिरकार पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को जेल जाने की नौबत क्यों आन पड़ी घोटाले के पैसे का कहां कहां किया इस्तेमाल पूरे मामले की पड़ताल करती रिपोर्ट...
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। आईएनएक्स मीडिया घोटाला मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिंदबरम पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। फिलहाल चिदंबरम भूमिगत हैं और केंद्रीय जांच एजेंसियां सीबीआइ व ईडी की टीमें बड़ी शिद्दत से उनकी तलाश रही हैं। इससे बचने के लिए चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चूंकि, चिदंबरम वकील हैं इसलिए उन्हें कानून से बचने के सारे दांवपेंच भी मालूम हैं। वह गिरफ्तारी से बचने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। बावजूद इसके यदि चिदंबरम को सीबीआई और ईडी में से कोई भी गिरफ्तार कर लेती है तो उन्हें 28 दिन (14-14 दिन) तक जेल में रहना पड़ सकता है। चिदंबरम के खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी हो चुका है। आखिरकार, चिदंबरम को जेल जाने की नौबत क्यों आई है आइये करते हैं इसकी पड़ताल...
कार्ति ने अपने पिता के वित्त मंत्री होने का उठाया फायदा
दरअसल, पूरा मामला आईएनएक्स मीडिया घोटाले से जुड़ा हुआ है। इसमें 15 मई 2017 को सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद 2018 में प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। यह केस आइएनएक्स मीडिया को सन 2007 में गलत तरीके से विदेशी निवेश की मंजूरी देने का है। पी. चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए आइएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश की मंजूरी मिली थी। जिस आइएनएक्स कंपनी के लिए विदेशी निवेश मंजूर किया गया था उसकी सहयोगी कंपनी चिदंबरम के बेटे की थी। आरोप हैं कि कार्ति चिदंबरम ने अपने पिता के वित्त मंत्री होने का फायदा उठाया और गैरकानूनी निवेश को भी मंजूरी दिला दी। मामले में पी. चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम दोनों ही आरोपी हैं।
चार करोड़ निवेश की मंजूरी, जमा कराए 305 करोड़
आरोप है कि आइएनएक्स को टीवी न्यूज में विदेशी निवेश के लिए केवल चार करोड़ 62 लाख रुपये की मंजूरी मिली थी, लेकिन कथित हेराफेरी के जरिये करीब 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश लाया गया। आरोप यह भी हैं कि अवैध तरीके से लाई गई रकम को गलत तरीके से दूसरी कंपनियों में ट्रांसफर किया गया। चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया और एयरसेल मैक्सिस (Aircel-Maxis 2G scam case) दोनों मामलों में फंसे हैं। चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति से पूछताछ के लिए केंद्रीय जांच एजेंसियां ईडी और सीबीआई उनकी हिरासत मांग रही हैं। गिरफ्तारी से बचने के लिए चिदंबरम को इन मामलों में हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी जो कि पिछले साल जुलाई से हाल फिलहाल तक कई बार बढ़ी।
स्कैम के पैसे से स्पेन में टेनिस क्लब, ब्रिटेन में कॉटेज...?
प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि पी. चिदंबरम के बेटे ने कथित घोटाले की रकम से स्पेन में एक टेनिस क्लब, ब्रिटेन में कॉटेज एवं भारत में 54 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां खरीदी हैं। ईडी द्वारा साल 2008 में पास किए गए अटैचमेंट ऑर्डर के मुताबिक, कार्ति ने उक्त सारी संपत्तियां कथित तौर पर रिश्वत के पैसे से खरीदी हैं। मामले में जांच एजेंसियों द्वारा चिदंबरम का 16 करोड़ की कीमत वाला बंग्ला अटैच किया जा चुका है। यही नहीं कार्ति के 09.23 करोड़ (Indian Overseas Bank’s Nungambakkam branch in Chennai) और 90 लाख (Advantage Strategic Consulting Pvt Ltd, ASCPL) के दो फिक्स डिपॉजिट भी अटैच किए जा चुके हैं। एजेंसियों की मानें तो कार्ति के बार्सिलोना स्थित टेनिस क्लब की कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये है।
'आरोपी राहत पाने के हकदार नहीं'
कल यानी मंगलवार का दिन चिदंबरम के लिए भारी साबित हुआ। दिल्ली हाईकोर्ट ने चिदंबरम को तगड़ा झटका देते हुए बीते 19 महीने से लंबित उनकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी। साथ ही कुछ तल्ख टिप्पणियां भी की। अदालत ने कहा कि चिदंबरम को केवल इस बिना पर गिरफ्तारी से छूट नहीं दी जा सकती है कि वे संसद के सदस्य हैं। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि प्रथम दृष्टया लगता है कि मामले की मुकम्मल जांच के लिए चिदंबरम को हिरासत में लेकर पूछताछ करना बेहद जरूरी है। 24 पेज के फैसले में यह साफ कर दिया गया कि इस तरह के मामले में आरोपी राहत पाने के हकदार नहीं हैं।
कब-कब क्या हुआ
15 मई 2017: आईएनएक्स मीडिया मामले में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की। इसमें आईएनएक्स मीडिया समूह पर 2007 में विदेशों से 305 करोड़ रुपये लेने के लिए एफआईपीबी की मंजूरी हासिल करने में अनियमितता का आरोप लगाया गया।
साल 2018: ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। सीबीआई ने पूछताछ के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम को समन किया।
30 मई 2018: चिदंबरम ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में अग्रिम जमानत का अनुरोध किया।
23 जुलाई 2018: चिदंबरम ने प्रवर्तन निदेशालय के धन शोधन मामले में अग्रिम जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में गुहार लगाई।
25 जुलाई 2018: दिल्ली हाईकोर्ट ने आईएनएक्स मीडिया और एयरसेल मैक्सिस (Aircel-Maxis 2G scam case) दोनों ही मामलों में गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी।
25 जनवरी 2019 : उच्च न्यायालय ने दोनों ही मामलों में चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।
20 अगस्त 2019: दिल्ली हाईकोर्ट ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत की याचिका ठुकराई। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत देने से भी इनकार कर दिया।
21 अगस्त 2019: प्रवर्तन निदेशालय ने चिदंबरम के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल करके मांग की कि एजेंसी का पक्ष सुने बिना अदालत कोई आदेश पारित ना करे।