आपातकाल के विरोध में देशभर में काला दिवस मनाएगी BJP, कांग्रेस को घेरने की तैयारी
1975 आपातकाल के विरोध में कल यानी 26 जून को देशभर में भाजपा काला दिवस मनाएगी। रणनीति के साथ कांग्रेस को घेरने की तैयारी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारतीय जनता पार्टी आज और कल (25 और 26 जून) को देशभर में आपातकाल के विरोध में काला दिवस मनाएगी। 1975 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के विरोध में भाजपा पूरे देश में काला दिवस मना रही है। जानकारी के मुताबिक भाजपा देशभर के सभी बड़े शहरों में एक संवाददाता सम्मेलन के जरिए कांग्रेस की घेराबंदी करेगी। इसके चलते भाजपा के वरिष्ठ नेता अलग-अलग जगह विरोध प्रदर्शन करेंगे।
शाह ने संभाल रखी है कमान
बताया जा रहा है कि कांग्रेस की घेराबंदी करने की कमान खुद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने संभाल रखी है। वे अहमदाबाद में प्रेस वार्ता करके कांग्रेस को घेरेंगे और केंद्र की उपलब्धियों को गिनाएंगे। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह हैदराबाद में, प्रकाश जावड़ेकर जयपुर में, जितेंद्र सिंह गुवाहाटी, डॉ. महेश शर्मा चंडीगढ़, धर्मेंद्र प्रधान छत्तीसगढ़, एमजे अकबर कर्नाटक, रविशंकर प्रसाद भोपाल, जेपी नड्डा उत्तराखंड में मौजूद रहेंगे। इसके अलावा कई अन्य मंत्रियों को प्रमुख राज्यों की राजधानियों में संवाददाता सम्मलेन की जिम्मेदारी सौंपी गई है। भाजपा आपातकाल के संबंध में पूरी रणनीति के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
25 जून, 1975 को लागू की हुई थी इमरजेंसी
गौरतलब है कि 25 जून, 1975 को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन के हस्ताक्षर के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था। इस दौरान 26 जून की सुबह लोकनायक जय प्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई समेत तमाम दिग्गज नेताओं को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया था। आजाद भारत के इतिहास में यह पहला अवसर था जब राजनीतिक कारणों से देश में आपातकाल लगाया गया था। बता दें कि भाजपा हमेशा से ही कांग्रेस को आपातकाल के मुद्दे पर घेरती आई है।
आपको बता दें, इंदिरा गांधी ने भारत में 25 जून 1975 से लेकर 21 मार्च 1977 तक आपातकाल लागू किया था। इस दौरान देश की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिले थे। आपातकाल के दौरान प्रेस की आजादी पर भी हमला हुआ था और राजधानी दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित अखबारों के दफ्तरों की बिजली काट दी गई थी। उस दौरान कई अखबारों ने मुखर होकर आपातकाल का विरोध किया था।