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राज्यों के चुनाव ने बदला राज्यसभा का सियासी संतुलन, जानें कब तक हो जाएगा एनडीए का बहुमत

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा बहाल होने तक राज्यसभा की कुल संख्या 245 से घटकर 241 रह जाएगी और ऐसे में एनडीए को बहुमत के लिए 121 सीटों की जरूरत होगी। जबकि एनडीए के सदस्यों का सदन में आंकड़ा मौजूदा वक्त में 112 पहुंच गया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 17 Nov 2020 06:57 PM (IST)Updated: Tue, 17 Nov 2020 06:57 PM (IST)
राज्यों के चुनाव ने बदला राज्यसभा का सियासी संतुलन, जानें कब तक हो जाएगा एनडीए का बहुमत
भारतीय संसद में राज्‍यसभा की फाइल फोटो।

 नई दिल्ली, संजय मिश्र। बिहार चुनाव के साथ मध्यप्रदेश-गुजरात सरीखे राज्यों में हुए उपचुनाव के नतीजों ने अगले डेढ साल में भाजपा-एनडीए के राज्यसभा के आंकड़ों के गणित को और मजबूत करने की राह खोल दी है। राज्यों की चुनावी कामयाबी भाजपा-एनडीए को राज्यसभा में बहुमत के और निकट पहुंचा रही है। राजनीतिक उलटफेर ज्यादा नहीं हुआ तो 2022 के राज्यसभा के द्विवाíषक चुनाव के समय भाजपा उच्च सदन में संख्या बल का शतक पूरा कर लेगी। जबकि एनडीए इस दौरान बहुमत की दहलीज पर पहुंचने के करीब होगा। अगले साल राज्यसभा की सात सीटें खाली हो रही हैं, मगर जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का अस्त्तिव नहीं होने की वजह से वहां की चार सीटों पर चुनाव नहीं हो सकेंगे। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा बहाल होने तक राज्यसभा की कुल संख्या 245 से घटकर 241 रह जाएगी और ऐसे में एनडीए को बहुमत के लिए 121 सीटों की जरूरत होगी। जबकि एनडीए के सदस्यों का सदन में आंकड़ा मौजूदा वक्त में 112 पहुंच गया है। साफ है कि एनडीए को अपने बूते बहुमत के लिए अब नौ से दस सीटों की ही जरूरत है। 

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विपक्ष की एकजुट ताकत पर भी एनडीए भारी

वैसे एनडीए के मित्र दल बीजू जनता दल के पास नौ, वाइएसआर कांग्रेस के छह, अन्नाद्रमुक के नौ सदस्य हैं। इन दलों ने लगभग हर बडे विधायी मामलों में विपक्षी खेमे के रुख से अलग एनडीए सरकार का साथ दिया है। इन तीन दलों की साझी संख्या मिलाकर एनडीए के पास राज्यसभा में 136 सदस्यों की ताकत का समर्थन है। अभी हाल में ही एनडीए से अलग हुए अकाली दल के तीन और बसपा के चार सदस्य हैं। बसपा 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही हर अहम मुददों पर राज्यसभा में विपक्षी खेमे के रुख से अलग प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से एनडीए सरकार के साथ ही खड़ी दिखाई पड़ी हैं। जबकि हाल में कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ एनडीए से अलग हुई अकाली दल के भी तीन सदस्य हैं जो विपक्षी खेमे के बजाय एनडीए के निकट हैं। इस तरह राज्यसभा में संख्या बल के हिसाब से अब विपक्ष की एकजुट ताकत पर भी एनडीए भारी पडेगा।

छह सालों में कांग्रेस की सीटें आधी से भी ज्यादा घटी

राज्यसभा के लिए नवंबर की शुरूआत में हुए चुनाव में उतरप्रदेश से आठ सीटें जीतकर भाजपा ने उच्च सदन में अपने सीटों की संख्या 92 पहुंचा ली है जो पार्टी के लिए रिकॉर्ड भी है। बिहार में राज्यसभा की अभी दो सीटें रिक्त है, जिसमें एक भाजपा को मिलनी तय है। इस तरह राज्यसभा में तीन अंकों का आंकड़ा छूने से भाजपा अब बहुत दूर नहीं है। बिहार, मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक जैसे राज्यों में अगले डेढ़ साल में होने वाले चुनावों में भाजपा शतक के आंकड़े तक पहुंच जाएगी।

वहीं लोकसभा में अपनी कमजोर संख्या के चलते राज्यसभा को प्रभावी विपक्ष का जरिया बनाने वाली कांग्रेस की बीते छह साल में संख्या घटकर आधी से भी कम रह गई है। उच्चसदन में अब कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 38 रह गई है जो 2014 में 85 से ज्यादा थी। राज्यसभा में नेता विपक्ष गुलाम नबी आजाद अगले साल फरवरी में रिटायर हो रहे हैं और जम्मू-कश्मीर की सीटों के भरे जाने की कहीं कोई गुंजाइश नहीं। ऐसे में कांग्रेस की एक और सीट कम हो जाएगी। वैसे अभी ही राज्यसभा में विपक्षी की साझी ताकत घटकर 78 के करीब रह गई है, जिसमें तृणमूल कांग्रेस, वामदल और शिवसेना भी शामिल है। 


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