Move to Jagran APP

हर चरण में सिर्फ एक हफ्ते के चुनाव प्रचार की छूट देने के मूड में निर्वाचन आयोग, 30 जनवरी के बाद ही ढील के संकेत, बैठक आज

कोरोना के बीच चुनाव सुरक्षित भी हो और उम्मीदवारों को जनता के बीच जाने का अवसर भी मिले इसे लेकर मंथन तेज हो गया है। ऐसे में हर चरण में एक हफ्ते तक प्रचार की छूट देने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 08:28 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jan 2022 09:14 AM (IST)
हर चरण में सिर्फ एक हफ्ते के चुनाव प्रचार की छूट देने के मूड में निर्वाचन आयोग, 30 जनवरी के बाद ही ढील के संकेत, बैठक आज
कोरोना के बीच उम्मीदवारों को जनता के बीच जाने का अवसर देने पर मंथन तेज हो गया है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना के बीच चुनाव सुरक्षित भी हो और उम्मीदवारों को जनता के बीच जाने का अवसर भी मिले, इसे लेकर मंथन तेज हो गया है। ऐसे में हर चरण में एक हफ्ते तक प्रचार की छूट देने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है। अगर सहमति बनी तो 22 जनवरी यानी शनिवार तक पांच राज्यों में लगे प्रतिबंध को जनवरी के अंत तक बढ़ाया जा सकता है। उसके बाद पहले चरण वाले क्षेत्रों में प्रचार की अनुमति दी जा सकती है। यह छूट चरणवार दी जाएगी ताकि एकबारगी पूरे प्रदेश में भीड़ न इकट्ठी होने लगे।

loksabha election banner

आयोग ने स्थिति की समीक्षा के लिए शनिवार को स्वास्थ्य मंत्रालय सहित राज्यों के स्वास्थ्य प्रमुखों व विशेषज्ञों की उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है जिसमें कोरोना संक्रमण की स्थिति की समीक्षा होगी। कुछ राज्यों में कोरोना के मामले घट रहे हैं तो कई जगह बढ़ रहे हैं।

आयोग के सूत्रों के अनुसार, उम्मीदवारों का हक है कि वे जनता तक जाएं, अपनी बात रखें, उन्हें समझाएं और अपनी योजनाएं बताएं। लिहाजा अवसर तो देना ही होगा, लेकिन सतर्कता जरूरी है। चूंकि यह विधानसभा चुनाव है इसलिए एक हफ्ते की छूट पर्याप्त हो सकती है।

पहले चरण का चुनाव 10 फरवरी को है, ऐसे में अगर एक फरवरी से भी उन्हें छूट मिले तो आठ फरवरी की शाम तक प्रचार कर सकते हैं। वैसे भी आयोग ने बंद कमरे में अधिकतम 300 लोगों की बैठक करने का छूट पहले दिन से दे रखी है लिहाजा छोटी बैठकें हो सकती हैं।

मालूम हो कि चुनाव आयोग ने रोड शो और रैलियों पर प्रतिबंध का एलान चुनावों की घोषणा के साथ ही कर दिया था। उस समय यह प्रतिबंध सिर्फ 15 जनवरी तक के लिए था, लेकिन स्थिति की समीक्षा के बाद आयोग ने इसे 22 जनवरी तक बढ़ा दिया था। जिन मानकों के आधार पर आयोग ने प्रतिबंधों को आगे बढ़ाया था, उनमें अभी कोई बड़ा सुधार नहीं दिख रहा है।

बावजूद इसके राजनीतिक दलों की ओर से प्रचार की अनुमति देने का जिस तरह से दबाव बढ़ा हुआ है, उसमें चुनाव आयोग के पास भी सीमित विकल्प हैं। पिछले चुनावों में आयोग की इस मुद्दे पर जिस तरह किरकिरी हुई थी, उसके बाद अब आयोग जल्दबाजी में कोई निर्णय लेने के मूड में नहीं है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.