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किसान आंदोलन पर अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में भी राजनीतिक रोटी सेंकने की हो रही कोशिश, सरकार ने दिया करारा जवाब

भारत में जारी किसान आंदोलन पर पहले कनाडा और उसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन में राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिशें हो रही हैं।वहीं भारत ने साफ कर दिया है कि वह ऐसी खेमेबंदी को कोई खास तवज्जो नहीं देना चाहता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 07:11 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 07:38 AM (IST)
किसान आंदोलन पर अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में भी राजनीतिक रोटी सेंकने की हो रही कोशिश, सरकार ने दिया करारा जवाब
भारत में जारी किसान आंदोलन पर विदेशों में भी राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिशें हो रही है।

नई दिल्ली, जेएनएन। भारत में जारी किसान आंदोलन पर पहले कनाडा और उसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन के कुछ राजनेताओं की तरफ से उल्टी प्रतिक्रिया जताने को भारत फिलहाल खास तवज्जो नहीं देना चाहता। भारत मानता है कि दूसरे देशों के कुछ राजनेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए भारतीय किसानों के प्रति हमदर्दी दिखा रहे हैं। वैसे दूसरे देशों में स्थित भारतीय राजनयिक और दूतावास वहां के स्थानीय सरकार के प्रतिनिधियों को जमीनी हकीकत से रूबरू करवा रहे हैं।

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आगे भी दिया जाएगा माकूल जवाब

यदि किसी दूसरे देश की सरकार के प्रतिनिधि की तरफ से इस मुद्दे को उठाया जाता है तो फिर उसका कूटनीतिक जवाब दिया जाएगा। हाल ही में कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने जब किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया था तो भारतीय विदेश मंत्रालय ने उसका माकूल जवाब दिया था।

अमेरिका में लामबंदी

अमेरिका के सात सांसदों ने विदेश मंत्री माइकल पोंपियो को पत्र लिख कर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जारी किसान आंदोलन पर चिंता जताई है। इसमें भारतीय मूल की प्रमिला जयपाल के अलावा डोनाल्ड नॉरक्रॉस, बीएफ बॉयले, ब्रायन फिट्जपैट्रिक, मेरी गे सैलॉन, डेबी डिंगेल व डेविड ट्रोन शामिल हैं।

पोंपियो को लिखा पत्र

पत्र में पोंपियो से कहा गया है कि वह भारतीय विदेश मंत्री से संपर्क करें और उन्हें राजनीतिक विरोध की आजादी के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता के बारे में बताएं। इस पत्र में एक तरफ भारत सरकार की तरफ से कृषि सेक्टर की स्थिति को सुधारने के लिए कानून व नीति बनाने के अधिकार का आदर करने की बात है तो साथ ही इस कानून का विरोध करने वाले लोगों के अधिकार की रक्षा की भी बात कही गई है।

ब्रिटेन में सुगबुगाहट

उधर, जब से यह स्पष्ट हुआ है कि ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन गणतंत्र दिवस पर भारत के राजकीय मेहमान होंगे तब से वहां भी किसान आंदोलन को लेकर नई सुगबुगाहट शुरू हो गई है। इस मुद्दे को वहां के संसद में उठा चुके भारतीय मूल के सांसद तनमनजीत सिंह धेसी ने शुक्रवार को एक वीडियो जारी कर कहा कि वह तमाम दूसरे ब्रिटिश सांसदों की तरफ से लिखे गए पत्र को पीएम जॉनसन को सौंपेंगे और उनसे आग्रह करेंगे कि इस मुद्दे पर वह अपना रूख स्पष्ट करें।

कनाडा में भी उठा था मुद्दा

तनमनजीत सिंह धेसी ने यह भी कहा कि, ब्रिटिश पीएम भारतीय पीएम से बात कर मौजूदा किसान आंदोलन को जल्दी से समाप्त करने की कोशिश करें। सनद रहे कि पूर्व में कनाडा के पीएम ने इस मुद्दे को उठाया था जिस पर भारत ने काफी सख्त प्रतिक्रया जताई थी।

भारत का रुख बिल्‍कुल साफ

सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत का स्टैंड पूरी तरह से साफ है कि कृषि क्षेत्र में सुधार भारत की सुधारवादी प्रक्रिया के तहत उठाया गया कदम है। जहां तक इसके विरोध की बात है तो सरकार लगातार इन किसानों के साथ संपर्क में है और राजनीतिक विमर्श के जरिये इसे सुलझाने की कोशिश जारी है। भारत को यह भी उम्मीद है कि अमेरिका व ब्रिटेन की सरकारें इसे भारत के आंतरिक मामले के तौर पर ही देखेंगी। हाल ही में भारत के दौरे पर आए ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने यह स्पष्ट भी किया था।


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