INX Media Case: कार्ति चिदंबरम को बड़ा झटका, ईडी ने जब्त की 54 करोड़ रुपये की संपत्तियां
ईडी ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की 54 करोड़ रुपये की संपत्तियां अटैच कर ली हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्लीआईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को बड़ा झटका लगा है। प्रवर्तन निदेशालय ने आईएनएक्स कार्ति चिदंबरम की देश-विदेश में लगभग 54 करोड़ रुपये की संपत्तियों और बैंक में जमा राशियों को जब्त कर लिया है। संपत्तियों में दिल्ली के जोर बाग का बंगला, ऊटी और कोडाईकनाल में मौजूद बंगले, इंगलैंड में स्थित आवास तथा स्पेन के बार्सीलोना में मौजूद एक संपत्ति शामिल हैं।
आईएनएक्स मीडिया केस में कार्ति चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने आईएनएक्स मीडिया को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से मंजूरी दिलाने के लिए दस लाख अमेरिकी डॉलर लिए। 2007 में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड ने आईएनएक्स मीडिया को विदेश से 305 करोड़ रुपये की रकम प्राप्त करने के लिए अनुमति प्रदान करने में अनियमिताएं की। इस समय कार्ति के पिता पी चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे।
दरअसल, सीबीआई इस बात की जांच कर रही है कि 2006 में वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए चिदंबरम ने कैसे एक विदेशी कंपनी को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी दिला दी जबकि सिर्फ कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति को ऐसा करने का अधिकार था।
3,500 करोड़ रुपए के एसरसेल मैक्सिस करार और 305 करोड़ रुपए के आईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम की भूमिका भी जांच एजेंसियों की छानबीन के दायरे में है।प्रवर्तन निदेशालय इस मामले में इससे पहले भी कार्ति चिदंबरम और पी चिदंबरम के ठिकानों पर छापेमारी कर चुका है, जिसके बाद इसी साल सीबीआई ने कार्ति को गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने रिमांड पर कार्ति चिदंबरम से लंबी पूछताछ की थी।
यहां तक कि कार्ति को जेल जाना पड़ा था, बाद में दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद से वो अब बाहर हैं। अभी पिछले दिनों एयरसेल-मैक्सिम मामले में पी चिदंबरम और कार्ति को फौरी तौर पर राहत मिली है, दोनो कि गिरफ्तारी में दिया गया अंतरिम संरक्षण एक नवंबर तक बढ़ाया गया है। कार्ति ने इस संबंध में ट्वीट कर अपना पक्ष रखा है।
कार्ति ने इसे विचित्र प्रॉविजनल अटैचमेंट आर्डर बताते हुए कहा है कि यह मात्र सुर्खियां बनाने के लिए दिया गया है। कार्ति ने दावा किया है कि कानून के सामने यह आदेश ठहर नहीं सकेगा। उन्होंने इस मामले को उचित लीगल फोरम के आगे उठाने की बात कही है।