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आर्थिक रूप से पिछड़ों के आरक्षण को दी जा सकती है कोर्ट में चुनौती

Upper caste reservation, आर्थिक रूप से पिछड़ों के आरक्षण को दी जा सकती है कोर्ट में चुनौती। कानून के विशेषज्ञों ने इसे असंवैधानिक और राजनीतिक हथियार बताया।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 08:46 AM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 08:46 AM (IST)
आर्थिक रूप से पिछड़ों के आरक्षण को दी जा सकती है कोर्ट में चुनौती

नई दिल्ली, जेएनएन। Upper caste reservation, आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण देने के लिए लोकसभा से पारित संविधान संशोधन विधेयक को कानून के विशेषज्ञों ने असंवैधानिक और राजनीतिक हथियार कहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

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तीन वरिष्ठ वकीलों ने जताई आशंका
वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी, राजीव धवन और अजित सिन्हा ने संविधान (124वां संशोधन) विधेयक 2019 को लेकर आशंका जताई है। द्विवेदी ने कहा कि यह कदम एक चुनावी हथकंडा है। धवन ने विधेयक को असंवैधानिक कहते हुए इसका पुरजोर विरोध किया। सिन्हा ने कहा कि विधेयक के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 में संशोधन की दरकार होगी। उन्होंने कहा कि इंदिरा साहनी मामले का फैसला भी सरकार के इस फैसले की राह में रोड़ा बनेगा। धवन ने कहा कि यह विधेयक असंवैधानिक है। पहला यह कि इंदिरा साहनी फैसले के बाद आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग आरक्षण का आधार नहीं हो सकता। नौ न्यायाधीशों में से छह ने नौकरी में एससी और एसटी को प्रोन्नति देने का पक्ष लिया था। शेष तीन ने कहा था कि आरक्षण के लिए आर्थिक आधार होना चाहिए, लेकिन एससी, एसटी और ओबीसी जैसा कोई और पैमाना नहीं हो सकता।

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नीयत साफ , दिशा सही हम सबका साथ और सबका विकास के सिद्धांत पर काम करते हैं। यही वजह है कि हम विधेयक को संविधान संशोधन के जरिए लेकर आए हैं। यह हमारी नीयत को दर्शाता है, अन्यथा इससे पहले भी इस संबंध में कदम उठाए गए थे, लेकिन सिर्फ आदेश के जरिए पहल की गई थी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। भले ही हम देर से विधेयक लाए, लेकिन अच्छी नीयत से लाए हैं।
थावरचंद गहलोत, केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री

नौंवी अनुसूची में डालें सरकारी ही नहीं बल्कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण लागू करने की मांग की। पासवान ने सरकार से इस बिल को संविधान की नौवीं सूची में शामिल करने की मांग की, ताकि सप्रीम कोर्ट भी इसमें कोई हस्तक्षेप न कर सकें।
- रामविलास पासवान, केंद्रीय मंत्री

100 फीसद आरक्षण हो सरकार जल्द जातिगत जनगणना की रिपोर्ट जारी करे। 100 सौ फीसदी आरक्षण व्यवस्था लागू होनी चाहिए जो सभी जातियों के बीच उनके अनुपात में बांट दिया जाना चाहिए। इससे आरक्षण को लेकर उठने वाला सारा विवाद ही खत्म हो जाएगा।
-धर्मेद यादव, सपा सांसद

अजा-जजा-पिछड़ों को दें 85 फीसदी आरक्षण
अजा-जजा, पिछ़़डों को अब 85 फीसदी आरक्षण चाहिए। अब वह 50 फीसद से संतुष्ट नहीं होने वाले हैं।
-जय प्रकाश नारायण यादव, राजद सांसद

साढ़े चार साल क्यों लगे
आर्थिक रूप से दुर्बल लोगों को आरक्षण से काफी मदद मिलती है। इसमें साढ़े चार साल क्यों लगे, यह सवाल मेरे मन में भी आता है। लेकिन कभी-कभी देरी से आए फैसले भी दुरस्त साबित होते हैं।
-आनंदराव अडसुल, शिवसेना

समय को लेकर शक 
तृणमूल बिल को लाने के समय से हमारे मन में शक पैदा हुआ है कि सरकार की मंशा आखिर है क्या। सरकार क्या वाकई में युवाओं को रोजगार देना चाहती है या फिर 2019 के चुनावों में फायदा उठाने के लिए यह कदम उठाया गया है?
-सुदीप बंदोपाध्याय, तृणमूल कांग्रेस

आर्थिक आधार पर आरक्षण क्यों आरक्षण सामाजिक न्याय के लिए दिया जाता है, मुझे समझ नहीं आ रहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण की जरूरत क्या है? क्या गरीबों के लिए आपकी सारी योजनाएं फेल हो गई?
-थंबी दुराई, अन्नाद्रमुक सांसद


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